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परौख से रायसीना तक, रामनाथ कोविंद ने ऐसा तय किया संघर्षपूर्ण सफर
रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति होंगे राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना के बाद गुरुवार (20 जुलाई) को घोषित नतीजे के अनुसार कोविंद को 65.65 फीसदी वोट मिले।
नई दिल्ली: रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति होंगे राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना के बाद गुरुवार (20 जुलाई) को घोषित नतीजे के अनुसार कोविंद को 65.65 फीसदी वोट मिले। जबकि मीरा कुमार को 35.34 फीसदी वोट मिले। एनडीए उम्मीदवार कोविंद ने यूपीए प्रत्याशी मीरा कुमार को करीब तीन लाख 34 हजार वोटों के अंतर से हराया। आइए जानते हैं कैसा रहा है कोविंद का यूपी के एक छोटे से गांव परौख से रायसीना तक का सफर ....
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संघर्षपूर्ण रास्ता
भारत के नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म यूपी के कानपुर देहात जिले के डेरापुर के एक छोटे से गांव परौख में 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था। रामनाथ कोविंद का विवाह 30 मई 1974 को हुआ। कोविंद की पत्नी का नाम सविता देवी है। इनके एक बेटा प्रशांत और बेटी का नाम स्वाति है।
रामनाथ कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा गांव पर हुई। इसके बाद वह कानपुर पढाई करने के लिए गए जहां उन्होंने हाईस्कूल व इंटर किया। फिर बीकॉम किया। इसके बाद डीसी लॉ कॉलेज से वकालत की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली चले गए।
दिल्ली में रह कर सिविल सॢवसेज के तीसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास की लेकिन मुख्य सेवा के बजाए एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी छोड़ दी।
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आपातकाल के बाद जून 1975 में उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत से करियर की शुरुआत की। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद रामनाथ कोविंद तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने।
मोरारजी देसाई के निजी सचिव बनने के बाद वह बीजेपी नेतृत्व के संपर्क में आये। कोविंद को बीजेपी ने 1990 में घाटमपुर से लोकसभा का टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए।
1993 और 1997 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश से दो बार राज्यसभा भेजा। 2007 में कानपुर देहात की भोगनीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। वह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ महामंत्री भी रह चुके हैं।
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अगस्त 2015 में वह बिहार के राज्यपाल बनाये गये। वह बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता, पार्टी के दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोरी समाज के अध्यक्ष भी रहे हैं।
गवर्नर ऑफ बिहार की वेबसाइट के मुताबिक कोविंद दिल्ली हाई कोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील रहे। 1980 से 1993 तक केंद्र सरकार के स्टैंडिग काउंसिल में थे। कोविंद गवर्नर्स ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के भी सदस्य रहे हैं।