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PAC के सामने पेश हुए RBI गवर्नर, बोले- नोटबंदी का फैसला लंबे समय में फायदेमंद
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गवर्नर उर्जित पटेल शुक्रवार को पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (पीएसी) के सामने पेश हुए। उर्जित ने पीएसी से कहा है कि वह देश में डिजिटल पेमेंट की लागत कम करने का प्रयास कर रहे हैं। नोटबंदी के बाद आम आदमी को कैश की किल्लत से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने का विकल्प चुना।
आरबीआई गवर्नर के साथ सभी डिप्टी गवर्नर पीएसी से मिले। सूत्रों की मानें तो नोटबंदी के मुद्दे पर हुई इस मुलाकात में रिजर्व बैंक ने माना कि इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि यह नुकसान ज्यादा दिनों तक नहीं होगा। इन्होंने समिति को बताया कि लंबे समय में यह फैसले अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
ये भी बताया आरबीआई गवर्नर ने:
-डिजिटल माध्यमों से ट्रांजैक्शन, कैश ट्रांजैक्शन की तरह मुफ्त नहीं है।
-डिजिटल ट्रांजैक्शन को पूरा करने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेना पड़ता है।
-बैंकों के जरिए होने वाले डिजिटल ट्रांजैक्शन का खर्च बैंक भरते हैं।
-वहीं किसी दुकान से खरीदारी के लिए होने वाले डिजिटल ट्रांजैक्शन को दुकानदार की जेब से निकाला जाता है।
-इसके अलावा किसी डिजिटल ट्रांजैक्शन को पूरा करने के लिए ग्राहक को भी इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग सहित अन्य सेवाओं को इस्तेमाल करने के लिए एक कीमत अदा करनी पड़ती है।
पीएसी ने पूछे थे सवाल
-गौरतलब है कि पिछले हफ्ते पीएसी ने रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय से सवाल पूछे थे।
-पूछा था कि वह नोटबंदी के बाद देश में आम आदमी को हो रही दिक्कतों को कम करने के लिए क्या कदम उठा रही है।
पीएसी की आपत्ति
-नोटबंदी के फैसले पर गंभीर टिप्पणी करते हुए समिति ने कहा था कि जिस देश में कॉल ड्रॉप गंभीर समस्या है वहां सरकार कैसे पूरे देश को कैशलेस व्यवस्था पर ले जा सकती है।
-पीएसी देश में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट की समीक्षा करता है और जरूरी मामलों में टिप्पणी कर सकता है।
-पीएसी के मुताबिक पीएम 50 दिन में स्थिति को सामान्य करने के वादे पर खरे नहीं उतरे हैं।
-लिहाजा, अहम सवाल ये है कि क्या केंद्र सरकार ने अधूरी तैयारी के साथ नोटबंदी का फैसला लिया था।
-अब इसके गंभीर परिणाम अर्थव्यवस्था के सामने हैं।