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शीर्ष अदालत में दलील: प्रमोशन में आरक्षण उचित न होने के साथ संवैधानिक भी नहीं

Manali Rastogi
Published on: 24 Aug 2018 2:48 AM GMT
शीर्ष अदालत में दलील: प्रमोशन में आरक्षण उचित न होने के साथ संवैधानिक भी नहीं
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार को बताया गया कि प्रोन्नति (प्रमोशन) में आरक्षण उचित नहीं है और यह संवैधानिक भी नहीं है। प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध करते हुए एक मामले प्रतिवादी की तरफ से वरिष्ठ वकील शांति भूषण और राजीव धवन ने यह दलील दी।

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मामला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण में प्रोन्नति प्रदान करने से जुड़ा है, जिसमें केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत के 2006 के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।

प्रतिवादी के वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि संतुलन के बगैर आरक्षण नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, "राज्य की जिम्मेदारी महज आरक्षण लागू करना नहीं है, बल्कि संतुलन बनाना भी है।"

वर्ष 2006 के नागराज निर्णय की बुनियादी खासियत का जिक्र करते हुए धवन ने कहा कि क्रीमी लेयर समानता की कसौटी थी और समानता महज औपचारिक नहीं, बल्कि वास्तविक होनी चाहिए।

--आईएएनएस

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