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रूस-अमेरिका को साधकर किया कमाल, एलएनजी की पहली खेप भारत पहुंची

Manoj Dwivedi
Published on: 5 Jun 2018 4:49 AM GMT
रूस-अमेरिका को साधकर किया कमाल, एलएनजी की पहली खेप भारत पहुंची
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नई दिल्ली: रूस और अमेरिका को एक साथ साधकर अपनी ऊर्जा और रक्षा जरूरतों को पूरा करना बहुत ही मुश्किल काम था। लेकिन केंद्र सरकार की कूटनीतिक सफलता का ही परिणाम है कि प्राकृतिक गैस की पहली खेप रूस से भारत पहुंची। यह केंद्र सरकार के लिए विन-विन सिचुएशन जैसा है। भारत ने कैसे 25 अरब की इस डील को अंजाम तक पहुंचाया। जानने के लिए पढ़ें ये स्टोरी...

25 अरब की है डील

भारत को रूस से एलएनजी की पहली खेप मिल गई। डील के तहत रूसी क्रायोजेनिक शिप एलएनजी की पहली खेप लेकर सोमवार को भारत पहुंचा। सी कंपनी गैजप्रोम का पोत पेट्रोनेट एलएनजी के गैस आयात टर्मिनल पर पहुंचा तो नया इतिहास बन गया। दुनिया की टॉप लिस्टेड नैचरल गैस कंपनी से गैस के आयात के साथ ही भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में अहम सफलता हासिल की है। इसके अलावा भारत ने 25 अरब डॉलर की इस डील के जरिए अमेरिका के साथ ही रूस को भी साधा है। गेल के साथ 20 साल के लिए यह करार हुआ है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत गेल की ओर से 2012 में साइन की गई डील के तहत रूस से हर साल 1.5 अरब डॉलर की गैस का आयात करेगा।

यह है गोल्डन डे

इस मौके पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, 'भारत की सुरक्षा जरूरतों के रोडमैप के लिहाज से आज का दिन गोल्डन डे के तौर पर याद किया जाएगा।' भारत के तेजी से विकसित होते ऑइल और गैस सेक्टर में रूस के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि लॉन्ग टर्म के लिए गैस सप्लाइ पर सहमति बनने से दोनों देशों के बीच एक पुल बना है। खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी प्रेजिडेंट व्लादिमीर पुतिन के बीच रणनीतिक आर्थिक सहयोग को लेकर चल रही चर्चा का एक हिस्सा है।

यह है एलएनजी

लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) स्पष्ट, बेरंग व गैर जहरीला तरल है। प्राकृतिक गैस की तुलना में अधिक आसानी से संग्रहित किया जा सकता है, क्योंकि यह 600 गुना कम जगह घेरती है। इसको बनाने के लिए-160 डिग्री पर प्राकृतिक गैस को ठंडा किया जाता है। यह कहीं भी आसानी से ले जायी जा सकती है। वर्तमान में पानी के जहाजों में इसका उपयोग किया जा रहा है।

भारत को यह होगा फायदा

भारत की ओर से जो यह डील की गई है वह 2038 तक के लिए है। इस सहमति से भारत को बहुत फायदा होने वाला है। इस संशोधित फार्मूले से भारत में गैस की कीमत 12 से 13 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से घटकर 6 से 7 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट रह जाएगी। यह दाम पहले की तुलना में लगभग आधे हैं। सरकार ने हाल में संकेत दिया था कि घरेलू गैस उत्पादन का इस्तेमाल केवल घरेलू कार्यों के लिए किया जाएगा, जबकि इंडस्ट्रियल यूनिट्स को आयातित गैस पर निर्भर रहना पड़ेगा। ऐसे मेें एलएनजी से घरेलू ईंधन के दाम कम होंगे।

Manoj Dwivedi

Manoj Dwivedi

MJMC, BJMC, B.A in Journalism. Worked with Dainik Jagran, Hindustan. Money Bhaskar (Newsportal), Shukrawar Magazine, Metro Ujala. More Than 12 Years Experience in Journalism.

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