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सहारा को बड़ा झटका: SC ने कहा- 48 घंटों के भीतर हो एंबी वैली की नीलामी
नई दिल्लीः एंबी वैली की नीलामी को लेकर सहारा प्रमुख सुब्रत राय की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 अक्टूबर) को पुणे के पुलिस अधीक्षक को दिए आदेश में कहा है कि एंबी वैली की नीलामी 48 घंटों के भीतर की जाए। गौरतलब है, कि बीते अगस्त महीने में सहारा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर कर नीलामी रोकने की अपील दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया है कि '48 घंटे के भीतर एंबी वैली की नीलामी की जाए। यदि कोई भी इस प्रक्रिया को रोकने की कोशिश करता है तो उसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और जेल भेज दिया जाएगा।' सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के डीजीपी को निर्देश दिया है कि '48 घंटों के भीतर एंबी वैली का कब्जा ऑफिसियल लिक्विडेटर को सौंपें।' साथ ही, कोर्ट ने ये भी कहा कि लिक्विडर, कंपनी जज और हाईकोर्ट के जस्टिस ओका की निगरानी में एंबी वैली की नीलामी होगी।
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10 अक्टूबर को होनी थी एंबी वैली की नीलामी
बता दें, कि 10 अक्टूबर को एंबी वैली की नीलामी होनी थी। लेकिन उसी दिन सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सहारा प्रमुख सहित अन्य निदेशकों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाने की गुहार लगाई थी। सेबी की ओर से प्रताप वेणुगोपाल ने जस्टिस रंजन गोगोई को बताया, कि 'सहारा एंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया में अड़ंगा डाल रहा है। उन्होंने अवमानना की याचिका दाखिल की है जिस पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए।
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..इसलिए नीलामी में आ रही रुकावट
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में सेबी ने कहा, कि 'एंबी वैली लिमिटेड ने नीलामी से कुछ दिन पहले ही ताला लगा दिया। पुलिस को लिखा कि वो एंबी वैली की सुरक्षा करें क्योंकि इसके लिए कंपनी के पास पैसे नहीं हैं। इसके बाद पुलिस ने एंबी वैली की सुरक्षा का जिम्मा संभाल लिया है। इसकी वजह से नीलामी प्रक्रिया में रुकावट आ गई है।'
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सहारा को ऐसा पत्र नहीं लिखना चाहिए था
इसके बाद सेबी के आरोपों का संज्ञान लेते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एके सिकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, कि 'सहारा समूह को इस मामले में पुणे के पुलिस अधीक्षक को इस तरह का पत्र नहीं लिखना चाहिए था, क्योंकि नीलामी का आदेश शीर्ष अदालत ने दिया है।'
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अभी नहीं होगी अवमानना कार्यवाही
सहारा समूह की ओर से मुकुल रोहतगी ने इस तर्क का जवाब दिया। कहा, कि 'संपत्ति पुलिस को नहीं सौंपी गई है। कोर्ट को प्रभावित करने के लिए ही पूरी तरह से गलत बयान दिया जा रहा है। हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि वह इस समय अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं कर रही है।'