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SC ने केंद्र को लगाई फटकार, कहा- 'क्यों नहीं दे रहे दागी सांसद और विधायकों का रिकॉर्ड'

Aditya Mishra
Published on: 30 Aug 2018 9:17 AM GMT
SC ने केंद्र को लगाई फटकार, कहा- क्यों नहीं दे रहे दागी सांसद और विधायकों का रिकॉर्ड
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नई दिल्‍ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने केन्द्र सरकार को आपराधिक रिकॉर्ड वाले सांसदों और विधायकों की जानकारी न देने के मामले में फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट में दागी नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के जल्‍द निपटारे के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने की मांग को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने अब सरकार से 5 सितंबर तक दागी नेताओं की सूची सौंपने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को ही है।

सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसदों और विधायकों के मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष अदालत बनाने की मांग वाली जनहित याचिका को स्थगित कर दिया है। जस्टिस जे रंजन गोगोई ने मामले में दाखिल केंद्र सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर कहा कि सरकार की मामले में अभी कोई तैयारी नहीं है। सरकार की ओर से देशभर में नेताओं के लंबित पड़े मामलों की जानकारी कोर्ट को उपलब्ध न कराने पर नाराजगी का इजहार किया।

ये है पूरा मामला

दरसअल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि कितने सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले लंबित हैं और उन मामलों की स्थिति क्या है और विशेष कोर्ट के गठन का क्या हुआ। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी। ऐसे में कोर्ट ने टिप्पणी की कि हमने आपसे क्या मांगा था और आपने कोर्ट को क्या जानकारी उपलब्ध करायी है। कोर्ट ने मामले को स्थगित कर दिया है। मामले में अगली सुनवाई बुधवार यानी पांच सितंबर को होगी।

पिछले दिनों खबर आई थी कि देश में ऐसे सांसदों और विधायकों की संख्या 1,765 हो गई है, जिनके विरुद्ध 3,045 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। दूसरे शब्दों में 36 प्रतिशत सांसद और विधायक दागी हैं। उत्तर प्रदेश में यह संख्या अधिकतम (248) है। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु (178) है। तीसरे पर बिहार (144) है। चौथे पर पश्चिम बंगाल (139) और पांचवें स्थान पर आंध्र प्रदेश (132) है।

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राज्‍यों में ऐसी विशेष अदालतों का नहीं हुआ गठन

यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि ऐसे सभी मुकदमों का निस्तारण एक वर्ष में हो जाना चाहिए और उसके तहत कई राज्यों में विशेष अदालतों का गठन भी किया गया, परंतु स्थिति में कोई विशेष सुधार होता नहीं दिखता। ज्‍यादातर राज्‍यों में ऐसी विशेष अदालतों का गठन नहीं किया गया है।

36 प्रतिशत सांसद और विधायक दागी

36 प्रतिशत सांसद और विधायक दागी होने के बावजूद हम अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गर्व करते हैं और बड़ी शान से यह कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। आम चुनाव के समय अन्य देशों के लोग हैरान होकर देखते हैं कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश में मतदान कैसे इतने शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न हो जाते हैं, परंतु ऐसा लग रहा है कि इस लोकतंत्र में दीमक लगती जा रही है। बाहर से यह व्यवस्था भले ही ठीकठाक लगती हो, परंतु अंदर से खोखली होती जा रही है। चिंता के कई पहलू हैं।

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Aditya Mishra

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