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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- उम्मीदवार शैक्षणिक योग्यता छिपाते हैं तो रद्द होगा निर्वाचन
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की नई व्यवस्था के अनुसार यदि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अपनी शैक्षणिक योग्यता छिपाते हैं या गलत जानकारी देते हैं तो उनका निर्वाचन रद्द हो सकता है। कोर्ट ने कहा है कि मतदाता को प्रत्याशी की शैक्षणिक योग्यता जानने का मौलिक अधिकार है। ऐसे में चुनावी हलफनामे में झूठी जानकारी देना उनके लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।
गौरतलब है कि अगले साल यूपी और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। सुप्रीम कोर्ट की ये व्यवस्था ऐसे उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है जो गलत चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देकर चुनाव लड़ते हैं।
हारने वाले प्रत्याशी को नहीं देने होंगे साक्ष्य
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों और फार्म-26 में भी स्पष्ट है कि यह प्रत्याशी का कर्तव्य है कि वह अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में सही जानकारी दें। अदालत ने यह भी व्यवस्था दी, कि यदि चुनाव में दो प्रत्याशी हैं और यह सिद्ध हो गया कि विजयी उम्मीदवार का नामांकन पत्र गलत तरीके से स्वीकार किया गया है तो चुनाव हारने वाले प्रत्याशी के लिए ऐसा साक्ष्य पेश करने की जरूरत नहीं है कि चुनाव वास्तव में प्रभावित हुआ है।
एक-दूसरे के खिलाफ दी थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मैरेम्बम पृथ्वीराज उर्फ पृथ्वीराज सिंह और पुखरेम शरतचंद्र सिंह की एक-दूसरे के खिलाफ दायर अपील पर यह व्यवस्था दी। हाईकोर्ट ने 2012 में मोयरंग विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी शरतचंद्र सिंह के खिलाफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पृथ्वीराज का निर्वाचन निरस्त घोषित कर दिया था। आरोप लगाया गया था कि पृथ्वीराज ने अपने नामांकन पत्र में कहा था कि वह एमबीए हैं जो गलत पाया गया।