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अमिताभ सर! बात तो आपकी सही है, लेकिन कहने का तरीका गलत है
नई दिल्ली : नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि पूर्वी भारत के सात से आठ राज्य हैं, जो भारत को आगे बढ़ने से रोक रहे हैं (होल्डिंग इंडिया बैक) और इन राज्यों की नाकामियों के बारे में सभी को बताकर इन्हें शर्मिदा करने की जरूरत है ताकि यह सुधर सकें। कांत ने कहा कि विश्लेषण से पता चला है कि देश के करीब 200 जिले शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के मामले में असफल हैं।
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नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने यहां इंपैक्ट कॉन्क्लेव में कहा, "जब हम भारत को अलग-अलग कर देखते हैं, तो पाते हैं कि दक्षिणी और पश्चिमी हिस्से अपेक्षाकृत बेहतर कर रहे हैं। लेकिन, देश का जो पूर्वी भाग है वह पूरी तरह से लाल निशान के घेरे में है।"
उन्होंने कहा, "इसलिए भारत की विफलता का कारण यही पिछड़े राज्य हैं। जब तक इनमें सुधार नहीं होगा, इन राज्यों के 200 सबसे ज्यादा पिछड़े जिलों में सुधार नहीं होगा, तब तक भारत के लिए आगे बढ़ना काफी मुश्किल होगा।"
इन राज्यों का नाम लिये बिना कांत ने कहा कि इन स्थानों पर शासन की बहुत बड़ी असफलता है। जब तक उनमें बदलाव नहीं आएगा, भारत 'सतत विकास लक्ष्यों' को हासिल नहीं कर सकेगा क्योंकि हम मिलेनियम विकास लक्ष्यों में बुरी तरह विफल रहे हैं।
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उन्होंने कहा, "हमें एक आधारभूत सर्वेक्षण बनाने, इन राज्यों और जिलों को नियमित आधार पर निगरानी करने की आवश्यकता है और इन सब चीजों को सार्वजनिक रूप से सबके सामने रखने की आवश्यकता है। हमें इन राज्यों और जिलों का नाम जाहिर कर उन्हें शर्म महसूस करवाने की जरूरत है, ताकि वे सुधार करें। हमें इन राज्यों को सुधारने की जरूरत है, क्योंकि ये भारत को पीछे धकेल रहे हैं।"
कांत ने यह बातें 'दो साल के सतत विकास लक्ष्यों के बदलाव पर' आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में कहीं।
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उन्होंने कहा कि जब दुनिया के 33 फीसदी अविकसित बच्चे भारत के हैं, तो इससे अहसास होता है कि 'शासन-प्रशासन में कुछ गंभीर गड़बड़ी' है।
उन्होंने कहा, "यह वित्तीय संसाधनों के बारे में नहीं है। महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग, आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के लिए कई योजनाएं हैं। ये सभी योजनाएं 45 साल से चल रही हैं, लेकिन 'लीकेज लेवल' इतना ज्यादा है कि ऐसा लगता है कि प्रशासन के साथ गंभीर गड़बड़ी है।"
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कांत ने कहा कि भारत का हाल जापान से अलग है जहां लोग टीम के रूप में कार्य करते हैं। भारत में अकेले, अलग-थलग काम करने की प्रवृत्ति पाई जाती है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता विभागों के मिलजुल कर काम करने पर ही पोषण के लक्ष्यों को हासिल करना संभव है। लेकिन, जिलों का हाल यह है कि यह विभाग एक-दूसरे से बात तक नहीं करते। इन सब को साथ लाने के लिए जमीनी स्तर पर काफी काम करने की जरूरत है।