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सुर्ख़ियों में श्रीनाथ राघवन की ये किताब, कश्मीर को लेकर हैं कई खुलासे

shalini
Published on: 9 Jun 2018 1:57 PM IST
सुर्ख़ियों में श्रीनाथ राघवन की ये किताब, कश्मीर को लेकर हैं कई खुलासे
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नई दिल्ली: करगिल युद्ध से पहले अमेरिकी के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति बिल क्‍ल‍िंटन ने नवाज शरीफ को चेताया था कि वो भारत के साथ युद्ध में न जाए।

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अमेरिका के साउथ एश‍िया के देशों खासकर भारत, पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान के साथ संबंधों पर लिखी गई श्रीनाथ राघवन की किताब इन दिनों सुर्खियों में है। 'The Most Dangerous Place' में करगिल युद्ध और कश्‍मीर को लेकर भी कई नए खुलासे किए गए हैं।

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किताब के अनुसार 1998- 99 की सर्दी में पाकिस्‍तानी सेना ने एलओसी के उत्‍तरी भाग और भारत के हिस्‍से के करगिल इलाके में कब्‍जा कर लिया था। उससे पहले तक जबकि ठंड के मौसम में दोनों देशों की सेनाएं इस पोस्‍ट को खाली कर दिया करती थीं, ऐसे में पाकिस्‍तान एक कमांडिंग पॉजिशन पर कब्‍जा कर चुका था और इसके साथ ही इस हिस्‍से में भारत के नियंत्रण पर खतरा मंडराने लगा था।

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इसके पीछे पाकिस्‍तान का मकसद कश्‍मीर में विद्रोह को बढ़ावा देना भी था। इस ऑपरेशन को पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ के आदेश पर अंजाम दिया गया था, हालांकि अब तक इस बात को लेकर अबतक संदेह क‍ि इस ऑपरेशन की जानकारी पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन पीएम नवाज शरीफ को थी या नहीं और थी तो किस हद तक।

किताब के अनुसार वॉश‍िंगटन को भी इस ऑपरेशन की जानकारी हो गई थी और उसके लिए यह काफी चिंता की बात थी । क्‍लिंटन सरकार को चिंता सता रही थी कि कहीं भारत एलओसी के पार स्‍ट्राइक न शुरू कर दे।

किताब में कहा गया है कि अगर भारत ऐसा करता तो इसके बड़े परिणाम सामने आ सकते थे। साथ ही अमेरिका को डर सता रहा था कि तीसरे देश भी इस युद्ध का हिस्‍सा बन सकते थे। चीन और अरब देश जहां पाकिस्‍तान के साथ खड़े होते तो भारत के साथ रूस और इजरायल। इस युद्ध में परमाणु हथ‍ियारों का भी इस्‍तेमाल हो सकता था।

किताब के अनुसार 3 जुलाई 1999 को नवाज शरीफ अपने परिवार के साथ अमेरिका के यात्रा पर पहुंचे थे। उस समय तक अमेरिकी खुफ‍िया सूत्रों को जानकारी मिल गई थी कि पाकिस्‍तानी परमाणु हथ‍ियारों को तैनात करने की योजना पर काम कर रहा है। क्‍ल‍िंटन के अध‍िकारी टेलबॉट के अनुसार यह समय काफी जोखिम भरा था। ऐसे में अमेरिका के नेशनल सेक्‍योरिटी एडवाइजर सैंडी बर्गर ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति क्‍ल‍िंटन को सलाह दी कि मुलाकात में नवाज शरीफ से पाकिस्‍तानी सेना को पीछे हटाने को कहे और साथ ही शरीफ को सत्‍ता में रखने कोश‍िश करें। ऐसा इसलिए कहा गया क्‍योंकि नवाज शरीफ सपरिवार अमेरिका पहुंचे थे तो यह संदेश साफ था कि उन्‍हें पाकिस्‍तान में अपनी पोजिशन का पूरा भरोसा नहीं है।

क्‍ल‍िंटन के लिए भारत से भी रिश्‍ते सुधारने पर ध्‍यान देना जरूरी था। किताब के अनुसार 4 जुलाई को हुई बैठक में क्‍ल‍िंटन ने यह साफ कर दिया कि पाकिस्‍तान के पीछे हटने को कश्‍मीर मामले में अमेरिकी दखल से जोड़कर न देखा जाएगा, हालांकि नवाज शरीफ ने मांग रखी कि पाकिस्‍तान पीछे हटने के लिए तैयार है, लेकिन भारत को वादा करना होगा कि वह कश्‍मीर मुद्दे का हल एक टाइम फ्रेम के अंदर करेगा।

क्‍ल‍िंटन ने इसका जवाब दिया था कि अगर वह भारत के पीएम होते तो ऐसा करने को कभी तैयार नहीं होते। साथ ही क्‍ल‍िंटन ने शरीफ को बिना सोचे समझे पाकिस्‍ताना को युद्ध में झोंकने के खतरे से भी आगाह कराया।

26 जुलाई को पाकिस्‍तान के घुसपैठिये एलओसी के पीछे हट गए लेकिन अक्‍टूबर 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने शरीफ को सत्‍ता से बेदखल कर दिया। इसके बाद अमेरिका और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों में खटास आने लगी और अमेरिका और भारत के रिश्‍ते सुधरने लगे । इसके साथ ही अक्‍टूबर 1999 के अंत तक अमेरिका ने भारत पर से कई प्रत‍िबंध हटा दिए, वहीं पाकिस्‍तान पर कई प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका यह दिखाना चाह र‍हा था कि वह परमाणु संपन्‍न होने के बावजूद लोकतांत्रिक भारत के साथ वह रिश्‍ते मजबूत करना चाहता है न कि पाकिस्‍तान के सैन्‍य तानाशाह के साथ।

किताब में 1990 के कश्‍मीर में मौजूद हालात का भी जिक्र है जिसमें कहा गया है कि 1990 के शुरुआत सालों में पाकिस्‍तान कश्‍मीर में हालात बिगाड़ने की कोश‍िश कर रहा था। भारत ने पाकिस्‍तान पर आरोप लगाए थे कि वह कश्‍मीरी आतंकियों को ट्रेनिंग देकर भारत के ख‍िलाफ एक छद्म युद्ध शुरू करने की कोशिश कर रहा है। उस दौरान पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ और राष्‍ट्रपति से सलाह लेकर तत्‍कालीन पीएम बेनजीर भुट्टो ने अपने अध‍िकारी याकूब खान को भारत भेजा था। याकूब ने उन बैठकों में धमकी भरे शब्‍दों का उल्‍लेख करते हुए कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान का पक्ष रखा था। ऐेसे में भारत के तत्‍कालीन पीएम वीपी सिंह ने भी जवाब साफ कर दिया था कि अगर पाकिस्‍तान परमाणु क्षमता का इस्‍तेमाल सैन्‍य गत‍िविध‍ियों के लिए करता है तो वह भी अपने शांतिपूर्ण परमाणु पॉलिसी पर दोबारा विचार करेगा।

उस दौरान भारतीय खुफिया तंत्रों को यह भी सूचना मिली थी कि पाकिस्‍तान उत्‍तरी पंजाब में हमले की योजना बना रहा है। 13 मार्च 1990 को भुट्टो ने पाकिस्‍तान अध‍िकृत कश्‍मीर पहुंचकर हजार साल युद्ध लड़ने का बयान देकर आग में घी डालने का काम किया था। इस पर वीपी सिंह ने संसद में कहा था कि जो लोग 1000 साल तक युद्ध की बात करते हैं, उन्‍हें यह बात पता कर लेनी चाहिए कि वह 1000 घंटे युद्ध भी नहीं झेल सकेंगे और साथ ही उन्‍होंने भारतीयों से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा था।

सीआईए को चिंता थी कि युद्ध में परमाणु हथ‍ियारों का इस्‍तेमाल हो सकता है। ऐसे में तत्‍कालीन बुश सरकार ने 20 डिप्‍टी एनएसए रोबर्ट गेट्स को पाकिस्‍तान और भारत की यात्रा पर भेजा। गेट्स ने पाकिस्तान को साफ कर दिया कि अगर युद्ध होता है तो अमेरिका उसका साथ नहीं देगा जबकि भारत को आश्‍वासन दिया कि पाकिस्‍तान अपनी सेना पीछे करने के लिए तैयार हो गया है।

क्या था मामला?

- हरदोई के मल्लावां थाना क्षेत्र के अंतर्गत डायल 100 के एक दरोगा का वीडियो वायरल हुआ था, जो दिन में शराब के नशे में धुत पटरी दुकानदारों को जमकर गाली गलोज कर रहा था।

- लोगों ने जब उस दरोगा की शिकायत करने की बात कही तो दरोगा राजेंद्र सिंह दुकानदारों पर भड़कने लगा और क्या कार्रवाई करा दोगे मेरे खिलाफ कहने लगा।

दरोगा का कराया गया मेडिकल परीक्षण

ऐसे में वहां से गाली गलौज करता हुआ दरोगा जा ही रहा था कि तब तक दुकानदारों ने इस पूरे प्रकरण की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी, तब जाकर मल्लावां पुलिस के द्वारा दरोगा राजेंद्र सिंह का मेडिकल परीक्षण कराया गया।

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