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क्या होगा गुजरात के मुख्यमंत्री का फार्मूला, रिजल्ट ने उलझाई इक्वेशन
योगेश मिश्र
गुजरात में सीटों की संख्या ने भाजपा के लिए मुख्यमंत्री का चयन बेहद पेंचीदा बना दिया है। विजय रुपाणी के अलावा स्मृति इरानी, मनसुख मांडविया, पुरुषोत्तम रूपाला, नितिन पटेल और वजूभाई वाला के नाम पर भाजपा में विचार होने लगा है। पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसंबर को शपथ ग्रहण की तिथि रखी जानी है। इस बहाने पार्टी गुजरात में अटल बिहारी वाजपेयी को याद करेगी।
99 के चक्कर में फंसने से पहले तकरीबन यह तय था कि विजय रूपाणी पार्टी के अगले मुख्यमंत्री होंगे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में बाकयदा इस बात का ऐलान भी किया था। लेकिन सीटों की संख्या और गुजरात के मतदाताओं के रुझान से सबक लेते हुए भाजपा ने कई और नामों पर विचार शुरु कर दिया है। इसमें विजय रुपाणी और मनसुख मांडविया पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के लेफ्टिनेंट माने जाते हैं। मनसुख सौराष्ट्र से हैं। पटेल हैं। पार्टी का सौराष्ट्र इलाके में प्रदर्शन खराब रहा है। ऐसे में उसकी कोशिश मनसुख मांडविया के मार्फत सौराष्ट्र में अपनी जडें मजबूत करनी हो सकती है। हालांकि पुरुषोत्तम रुपाला भी सौराष्ट्र से हैं और केंद्र सरकार में कृषि राज्य मंत्री हैं। ये भी पटेल हैं।
उत्तरी गुजरात के नितिन पटेल जो हाल फिलहाल विजय रुपाणी के साथ उपमुख्यमंत्री हैं वे भी इस रेस में शामिल हैं। पटेल नेताओ में मनसुख मांडविया, पुरुषोत्तम रुपाला और नितिन पटेल के नामों पर विचार चल रहा है। भाजपा ने अगर राजपूत कार्ड खेलने का मन बनाया तो कर्नाटक के इन दिनों गवर्नर वजूभाई वाला की भी लाटरी खुल सकती है।
गुजरात के मुख्यमंत्रियों के दौड़ में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का नाम भी खासी सुर्खियों में हैं। वह केंद्र में दो विभागों की कैबिनेट मंत्री हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोटे की मानी जाती हैं। स्मृति ईरानी और वजूभाई वाला दोनों को गुजरात की राजनीति में मोदी परस्त माना जाता है। जबकि मनसुख मांडविया और विजय रुपाणी अमित शाह के करीबियों में शुमार हैं। हाल फिलहाल जो विजय रुपाणी जो मुख्यमंत्री थे वे जैन समाज से थे जिसकी आबादी गुजरात में एक फीसदी भी नहीं ठहरती है।
गुजरात में बहुमत के आंकडे के खेल ने सरकार की रफ्तार पर अवरोध के कई मजबूत हथियार विपक्ष को दिए हैं। सदन के अन्दर जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर होंगे तो सदन के बाहर हार्दिक पटेल। इन नेताओं से लड़ने के लिए स्मृति ईरानी मुख्यमंत्री की दौड़ में शरीक नामों में सबसे मुफीद कही जा सकती है। देखना यह होगा कि आखिर भाजपा इन फायर ब्रांड नेताओं का काउंटर तलाशती है, सौराष्ट्र और पटेल समीकरण साधती है या कोई नया फार्मूला निकालती है।