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पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पूरी तरह से नहीं लगाई रोक
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट देश में पटाखों के निर्माण, बिक्री और अपने पास रखने के संबंध में प्रतिबंध लगाने वाली याचिकाओं पर आज फैसला सुनाया गया। मामला सोमवार को सूचीबद्ध था, लेकिन इसपर फैसला मंगलवार (23 अक्टूबर) को सुनाया गया। कोर्ट ने पटाखों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई है।
कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ पटाखों की बिक्री को मंजूरी दी है। इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा कि पटाखों की ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी। साथ ही, जिनके पास लाइसेंस है, सिर्फ वो ही पटाखों की बिक्री कर सकेंगे। कोर्ट ने ये भी कहा कि जो पटाखें कम शोर मचाते हैं सिर्फ उनकी ही बिक्री होगी। कोर्ट ने ये भी कहा कि दीपावली की रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखें फोड़े जा सकेंगे।
कोर्ट ने कहा कि प्रशासन ऐसे इलाकों की पहचान करेंगे जहां सामूहिक रूप से पटाखे जलाए जा सकें और यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को इस बारे में जानकारी हो।
अदालत ने कहा कि पुलिस थाना प्रभारी इस आदेश के अनुपालन को सुनिश्चित करवाने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। अदालत ने लड़ी वाले पटाखों पर भी प्रतिबंध लगाया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीबीसीबी) के वकील विजय पंजवानी ने इस फैसले को संतुलित बताया।
वहीं, पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध का दबाव बना रहे वकीलों ने कहा कि स्पष्ट व्यावहारिक कारणों से अदालत के आदेश को लागू करना मुश्किल होगा। कोर्ट ने 28 अगस्त को वायु प्रदूषण के चलते बिगड़ते हालात को नियंत्रित करने के मद्देनजर पूरे देश में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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अदालत ने याचिकाकर्ताओं, पटाखा निर्माताओं और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्वास्थ्य का अधिकार और व्यापार या व्यवसाय चलाने के अधिकार के बीच सामंजस्य बनाने की जरूरत है।
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पटाखा निर्माण करने वालों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि दिवाली के दौरान केवल पटाखे प्रदूषण बढ़ाने की एकमात्र वजह नहीं है। यह प्रदूषण बढ़ाना वाला एक कारक है और इस आधार पर पूरे उद्योग को बंद नहीं किया जा सकता।
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अदालत ने सुनवाई के दौरान वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों में श्वास की समस्याओं के बढ़ने को लेकर भी चिंता जताई थी और कहा था कि वह इस पर निर्णय करेगी कि क्या पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा या मुनासिब नियंत्रण स्थापित किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने 2017 में दिवाली के दौरान दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।