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कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर कोर्ट ने कहा- विरोध को रोकेंगे तो लोकतंत्र टूट जाएगा
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व एक वकील की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि विरोध लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, यदि प्रेशर कुकर में सेफ्टी वॉल्व नहीं होगा तो वो फट सकता है।
जस्टिस चंद्रचूण ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि असहमति या नाइत्तेफाकी हमारे लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, यदि आप प्रेशर में सेफ्टी वॉल्व नहीं लगाएंगे तो वो फट सकता है। लिहाजा अदालत आरोपियों को अंतरिम राहत देते हुए अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक लगाती है। तब तक सभी आरोपी हाउस अरेस्ट में रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी।
प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर व कार्यकर्ता माजा दारुवाला ने यह याचिका दाखिल की है। इन पांचों को मंगलवार को कथित नक्सली संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई दोपहर बाद 3.45 बजे की जाएगी।
थापर, दारुवाला व तीन अन्य कार्यकर्ताओं की तरफ से अदालत में पेश वकील प्रशांत भूषण ने अदालत से मामले में तत्काल सुनवाई का आग्रह किया, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने यह बात कही।
महाराष्ट्र पुलिस ने पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, वेरनोन गोंसालविस व अरुण फेरेरिया को मंगलवार को गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने जनजातीय अधिकार कार्यकर्ता सतन स्वामी व आनंद तेलतुम्बड़े व अन्य के घर में छापा भी मारा था।