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बाबरी केस: सुप्रीम कोर्ट के रुख से आडवाणी-जोशी-कल्याण की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
नई दिल्ली: अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह सहित 13 नेताओं के खिलाफ रुका हुआ मुकदमा लखनऊ की विशेष अदालत में चलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'महज टेक्नीकल ग्राउंड पर इन्हें राहत नहीं दी जा सकती है। इस संबंध में अदालत 22 मार्च को अपना फैसला सुना सकती है।
सोमवार (6 मार्च) को हुई सुनवाई में जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की खंडपीठ ने सीबीआई और हाजी महबूब अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए 22 मार्च की तारीख तय की है। इस याचिका के जरिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले की सुनवाई पर सोमवार (6 मार्च) को चिंता जताई। कहा, कि रायबरेली और लखनऊ में मामलों की सुनवाई को एक किया जा सकता है। इसकी सुनवाई लखनऊ की विशेष अदालत में की जा सकती है। विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले की सुनवाई रायबरेली और लखनऊ की अदालत में चल रही थी।
मामले में इनका भी नाम
इनके अलावा सतीश प्रधान, सी आर बंसल, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी रितम्भरा, वी एच डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, आर वी वेदांती, परम हंस राम चंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बी एल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे के खिलाफ भी आरोप हटाए गए थे। बाल ठाकरे के निधन के बाद उनका नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया गया था।
अब 22 मार्च को होगी सुनवाई
विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में अलग-अलग एफआईआर में अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की गई थी। जिसमें एक चार्जशीट में 120 बी यानि षडयंत्र नहीं लगाया गया था। सभी आरोपी बीजेपी नेताओं ने इसी को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट से राहत ले ली थी। सुप्रीम कोर्ट अब 22 मार्च को पूरे मामले की सुनवाई करेगी।