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मोदी में ट्रंप को चुनौती देने का है माद्दा, जानिए डोकलाम पर क्या बोलीं सुषमा

विदेश मंत्री सुषमा सवराज लोकसभा में गुरुवार (03 अगस्त) को विदेश नीति पर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया।

tiwarishalini
Published on: 3 Aug 2017 6:52 PM IST
मोदी में ट्रंप को चुनौती देने का है माद्दा, जानिए डोकलाम पर क्या बोलीं सुषमा
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LIVE: लोकसभा में सुषमा स्वराज दे रहीं विपक्ष को विदेश नीति पर जवाब

नई दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सदन में गुरूवार को विदेश नीति पर विपक्ष के सवालों का करारा जवाब दिया। मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाने पर सुषमा स्वराज ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर कोई यह कहे कि हमने पाकिस्तान के साथ दोस्ती की पहल नहीं की तो यह गलत है। सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत ने मोदी सरकार के आने के बाद अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को नई उंचाईयों पर पहुंचाया है। सुषमा स्वराज ने कहा कि हमने अपने सभी पड़ोसियों का साथ दिया और जो चीन हमें श्रीलंका में घेर रहा था, उसके खतरे को हमनें कम किया।

टेररिज्म और टॉक एकसाथ नहीं

डोकलाम पर सुषमा स्वराज ने कहा कि जंग किसी समस्या का हल नहीं है। डोकलाम पर चीन के साथ मिलकर मुद्दा सुलाझाने की कोशिश कर रहे हैं, हमारी बाइलेटरल रिश्तों पर भी चीन के साथ बातचीत चल रही है। अक्लमंदी यही है कि विवाद का हल डिप्लोमैसी के जरिए निकाला जाए। उन्होंने भारत-पाक रिश्तों पर कहा कि रोडमैप एकतरफा नहीं चल सकता। टेररिज्म और टॉक एकसाथ नहीं हो सकते।

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मोदी में ट्रंप को चुनौती देने का है माद्दा

सुषमा स्वराज ने कहा कि विपक्ष कह रहा है कि हम अमेरिकी विदेश नीति में जूनियर साथी हैं। ट्रंप ने कहा कि भारत ने बिलियन और बिलियन डॉलर के लिए पेरिस जलवायु समझौते पर दस्तखत किए, पर हमारे पीएम नरेंद्र मोदी ने तुरंत पलटवार किया। पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को आइना दिखाते हुए कहा कि हम किसी के एक पैसे के मोहताज नहीं हैं। पर्यावरण को बचाने की प्रतिबद्धता हमारी 5 हजार सालों की हैं। हम धरती को बचाने के लिए काम करते रहेंगे। ये हमारी सरकार है, जो ट्रंप सरकार को चुनौती देने का माद्दा रखती है।

डोकलाम विवाद पर क्या बोलीं सुषमा ?

डोकलाम विवाद पर बोलते हुए सुषमा ने कहा कि भारत-चीन को 2012 के समझौते पर ही काम करना होगा। हमारे बीच राजनयिक संबंध जारी हैं। हम 2012 के समझौते के मुताबिक ही काम कर रहे हैं। सुषमा स्वराज ने चीन पर भारत के स्टैंड पर अपना आधिकारिक नोट पढ़ते हुए कहा कि डोकलाम ईश्यू को लेकर भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ा जरूर है। डोकलम ट्राई जंक्शन को लेकर भारत-चीन अपने अपने रूख पर कायम है। चीन हमसे सेना हटाने को कहता है। हमनें 2012 के डोकलम नोट के हिसाब से दोनों ही पक्षों को पीछे हटने को कहा है। जबतक चीन की सेनाएं पीछे नहीं हटेंगी, हम इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करेंगे। सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर हमारा पक्ष 1914 के ब्रिटेन-चीन समझौते के हिसाब से है।

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हम रमुआ नहीं हैं

सुषमा ने कहा कि इतने देश साथ देते हैं, फिर भी आप कहते हैं कि हम अकेले खड़े हैं। जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और रूस हमारे साथ हैं। हम रमुआ नहीं हैं। जैसा शरद यादव ने कहा था। पेरिस एग्रीमेंट पर ट्रंप के बयान पर मोदी ने कहा था कि हम पांच हजार साल पुराने देश हैं। संसदीय मर्यादा का पालन करें। ट्रंप जो बोले वो तो याद रखते हैं, लेकिन मोदी जो बोलते हैं, वो याद नहीं रखते।

नवाज ने उन्हें बुलाया तो पीएम चले गए

सुषमा ने कहा कि पाकिस्तान का रोडमैप तो हमने शपथ ग्रहण के पहले ही साफ कर दिया था। शपथ के बाद द्विपक्षीय बैठक हुई थी। 9 दिसंबर 2015 को मैं इस्लामाबाद गई। नवाज ने सरताज अजीज से कहा कि अब पूरी द्विपक्षीय बातचीत करो। दोनों देशों के फॉरेन सेक्रेटरीज बैठे। पीएम का काबुल से लाहौर तक जाना सब पब्लिक डोमैन में है। मोदी ने नवाज को जन्मदिन की बधाई दी थी। नवाज ने उन्हें बुलाया तो पीएम चले गए। पठानकोट के बाद भी दोस्ती बदरंग नहीं नहीं हुई। कहानी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद चीजें बिगड़ीं। नवाज ने उसे शहीद बता दिया। रोडमैप एक तरफा नहीं चल सकता।

तब किसकी सरकार थी ?

सुषमा ने कहा कि जहां तक पड़ोसी देशों का संबंध है। हम किसे मित्र कहते हैं? जो संकट में मदद करें। मालदीव का पानी संकट आया। मैंने तीन घंटे में रेल नीर भेजा। श्रीलंका में मदद की। नेपाल में भी किया। डोनर कॉन्फ्रेंस में भारत ने 1 बिलियन डॉलर दिए। 17 साल तक भारत का कोई पीएम नेपाल नहीं किया। 11 साल तक कांग्रेस की सरकार थी। राजीव जी की सरकार के वक्त क्या हुआ? जो पीएम ना जाए तब अच्छा और जो दो पीएम दो-दो बार जाए वो संबंध खराब।

चीन ने पाकिस्तान और श्रीलंका में पोर्ट कब बनाए? 2008 में तब किसकी सरकार थी? कोलंबो में 2011 में शुरू हुआ 2014 में पूरा हुआ? अगर आप इतने परेशान हैं तो देश के सामने 2008 का जिक्र क्यों नहीं। जो चिंताए आप बता रहे हैं तो उसके जन्मदाता आप हैं। आज हम पर आरोप ना लगाएं। हमने तो इसे सिक्योर किए। श्रीलंका ने चीन से कहा है कि कंट्रोल श्रीलंका का रहेगा।"

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सुषमा स्वराज ने कहा कि जहां तक पड़ोसी देशों का संबंध है। हम किसे मित्र कहते हैं? जो संकट में मदद करें। मालदीव का पानी संकट आया। मैंने तीन घंटे में रेल नीर भेजा। श्रीलंका में मदद की। नेपाल में भी किया। डोनर कॉन्फ्रेंस में भारत ने 1 बिलियन डॉलर दिए। 17 साल तक भारत का कोई पीएम नेपाल नहीं किया। 11 साल तक कांग्रेस की सरकार थी। राजीव गांधी की सरकार के वक्त क्या हुआ? जो पीएम ना जाए तब अच्छा और जो पीएम दो-दो बार जाए वो संबंध खराब।"

राहुल गांधी पर बिफरीं सुषमा

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की चीनी राजदूत लुओ झाओहुई से बीते महीने हुई मुलाकात की निंदा की। सुषमा ने कहा, "मैं बहुत दुखी हुई कि विपक्ष भारत सरकार के दृष्टिकोण को समझने के बजाय चीनी राजदूत से मिलने गया।"

सुषमा ने कहा, "उन्होंने भारत सरकार से स्थिति (सीमा गतिरोध) समझने की कोशिश नहीं की, इसकी बजाय वे चीनी पक्ष से उनकी राय जानने के लिए मिले।" बता दें कि नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर 8 जुलाई की राहुल गांधी और लुओ की बैठक की जानकारी को पोस्ट किया था, लेकिन बाद में हटा लिया था।

मुस्लिम देशों से हमारे रिश्ते सबसे अच्छे

सुषमा ने कहा कि मोदी सरकार के आने के पहले ये चिंता थी कि हमारे वेस्ट एशिया से रिश्ते खत्म हो जाएंगे, क्योंकि वो मुस्लिम देश हैं। आज हमारे सबसे अच्छे रिश्ते उन्हीं से हैं। आबुधाबी के प्रिंस पिछले गणतंत्र दिवस पर हमारे मेहमान थे। सऊदी नरेश से मोदी ने बात की। उन्होंने पीएम से कहा था कि वो दिन में 2 घंटे गोलाबारी बंद कर सकते हैं? ये बहुत मुश्किल था। इसके बाद मैंने यमन से बात की। 9 से 11 तक गोलीबारी बंद होती थी। इस दौरान यमन का हवाई अड्डा खुलता था। 48 देशों के नागरिक निकाल कर लाए थे हम तब।

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फिलिस्तीन का साथ नहीं छोड़ेंगे

सुषमा ने कहा कि इजरायल हमारा दोस्त जरूर है लेकिन फिलिस्तीन का साथ हम नहीं छोड़ेंगे। पहली बार हमने फिलिस्तीन के साथ बात की। मैं पहले फिलिस्तीन और बाद में इजरायल गई। फिलिस्तीन के पीएम यहां आए बाद में मोदी जी इजरायल गए। फिलिस्तीन में मेरी प्रेसिडेंट अब्बास और विदेश मंत्री से बात हुई। प्रेसिडेंट ने कहा कि भारत को इजरायल से हमारे विवाद को सुलझाना चाहिए। मोदी से भी फिलिस्तीन के पीएम ने यही कहा था। अरे वो दोनों हमारे साथ हैं।

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