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बिना पुख्ता सबूत के लापता भारतीयों को मृत घोषित नहीं कर सकते: सुषमा

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Published on: 26 July 2017 7:44 AM GMT
बिना पुख्ता सबूत के लापता भारतीयों को मृत घोषित नहीं कर सकते: सुषमा
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नई दिल्ली: इराक में लापता हुए 39 भारतीय मुद्दे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को लोकसभा अपना स्टेटमेंट दिया है। उन्होंने कहा कि लापता हुए भारतीयों के बारे में कोई अभी पुख्ता सबूत नहीं हैं। ऐसे में उनके मारे जाने की फाइलें तब तक नहीं बंद होंगी, जब तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल जाती।

बता दें कि तीन साल पहले इराक के मोसुल से इन भारतीयों को आतंकी संगठन ISIS ने किडनैप किया था। मोसुल को ISIS के कब्जे से छुड़ाया जा चुका है। इंडिया को उम्मीद है कि अब इनका पता लगाया जा सकता है। जबकि विपक्ष लगातार सुषमा पर देश को गुमराह करने के आरोप लगा रहा था।

क्या-क्या बोलीं सुषमा स्वराज

उन्होंने कहा- "न तो लाशें मिलीं, न ही खून के धब्बे मिले। 24 नवंबर, 2014 को मैं सदन में आई। तब ये विषय ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उठाया। नोटिस नहीं देने पर भी मैंने बोलने को कहा।"

- "एक व्यक्ति कह रहा है कि वो मार दिए गए। हमारा सोर्स कह रहा है कि वो जिंदा हैं। तो मुझे क्या करना चाहिए? उन्हें डेड मानकर तलाश छोड़ देनी चाहिए या उनकी तलाश जारी रखनी चाहिए। मैं उन लोगों से सीधे कांटेक्ट में नहीं हूं। मेरे पास उनके जिंदा होने के प्रूफ नहीं हैं, लेकिन मेरे पास उनके मारे जाने के सबूत भी नहीं हैं।

- "मैं सदन को बताना चाहती हूं कि हमें तुर्की की हेल्प मिल सकती है। तलाश करने वाले देशों से खुद पीएम मोदी जी ने भी बात की है। हम लोग ये सोचकर आगे बढ़ रहे थे कि हमें उनके जिंदा या मृत होने का सॉलिड प्रूफ मिल जाए।"

- "लापता लोगों में 4 कैटेगरी के लोग आते हैं- प्रिजनर्स ऑफ वॉर, मिसिंग, किल्ड और बिलीव्ड टू बी किल्ड। ऐसे में जब तक उनके मारे जाने के सबूत नहीं मिल जाते, उनकी फाइल बंद नहीं होगी। ऐसा न करना पाप होगा। मैंने कभी नहीं कहा कि वो जेल में हैं।"

इस पर पहले तो विपक्षियों ने सुषमा को बोलने नहीं दिया पर बाद में उन्होंने अपनी बात रखी।

आगे की स्लाइड में जानिए विपक्ष के हंगामे पर क्या बोली सुषमा

इराक के मोसुल से 39 भारतीय लापता होने के मुद्दे पर मचे हंगामे को लेकर सुषमा स्वराज ने कहा, "मैंने अभी राज्यसभा में कोई स्टेटमेंट नहीं दिया। ये इम्पोर्टेन्ट मुद्दा है। देश जानना चाहता है। ये सदन सुनना चाहता है। पर ये तभी होगा, जब ये लोग वेल में आकर हंगामा न करें।"

इससे पहले इराक के फॉरेन मिनिस्टर इब्राहिम अल जाफरी ने बताया था- "हमें बिल्कुल भी इस बात का पता नहीं है कि लापता हुए भारतीय जिंदा हैं या मारे गए।" जाफरी चार दिन के ऑफिशियल विजिट पर नई दिल्ली आए थे।

बता दें कि तीन साल पहले इराक के मोसुल से इन भारतीयों को आतंकी संगठन ISIS ने किडनैप किया था। मोसुल को ISIS के कब्जे से छुड़ाया जा चुका है। इंडिया को उम्मीद है कि अब इनका पता लगाया जा सकता है।

- सुमित्रा महाजन ने कहा, "वेल में क्यों आते हो? मैं टाइम दे दूंगी। आप सुनना चाहते हो या नहीं। सुषमाजी को स्टेटमेंट देने दो। उन्हें कोऑपरेट करो। वेल में आकर हंगामा करने से चर्चा नहीं होती। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मोसुल में जो हमारे लोग फंसे हुए हैं, उनके बारे में आप सुनना चाहते हैं या नहीं।"

- वहीं खड़गे ने कहा, "मॉब किलिंग को लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी आलोचना हो रही है।"

- सुषमा स्वराज ने मुद्दे की गंभीरता के चलते हंगामे के बीच स्टेटमेंट देने से साफ़ मना कर दिया।

कैसे लापता हुए थे 39 भारतीय?

- बता दें कि इराक में लापता हुए भारतीयों में ज्यादातर लोग पंजाब के रहने वाले हैं। ये सभी मोसुल और इसके आस-पास के शहरों में मजदूरी के लिए गए थे।

- 2014 में आईएस ने इन्हें किडनैप किया। इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा और वहां उनसे मजदूरी कराई गई। इसके बाद से इन भारतीयों के बारे में कभी कुछ पुख्ता तौर पर सामने नहीं आया। सरकार इनका पता लगाने की लगातार कोशिश कर रही है।

अपोजिशन को सरकार के दावे पर यकीन नहीं

- इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने 9 जुलाई को ऐलान किया था कि 9 महीने चली जंग के बाद मोसुल को IS के कब्जे से छुड़ा लिया गया है। अबादी खुद मोसुल पहुंचे थे और आर्मी कमांडर्स की मौजूदगी में उन्होंने ये अनाउन्समेंट किया था।

- अबादी के इस ऐलान के बाद सुषमा ने अपने जूनियर मिनिस्टर वीके. सिंह को इराक के इरबिल भेजा था। सिंह से कहा गया था कि वो इरबिल पहुंचकर 39 लापता भारतीयों के बारे में जानकारी हासिल करें।

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