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आतंकी ग्रुप्स के निशाने पर पढ़े-लिखे युवक, देश में चला रहे 'ऑपरेशन स्टूडेंट'
आशीष शर्मा 'ऋषि'
नई दिल्ली : घाटी में आतंकियों की भर्ती के लिए आतंकी संगठन अब पढ़े लिखे युवकों को अपना टारगेट बना रहे हैं। इसके लिए इन संगठनों से जुड़े स्लीपर सेल देश के अलग-अलग राज्यों में पढने वाले कश्मीरी छात्रों को बरगला कर उनकी भर्ती करने में लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक घाटी में सक्रीय सभी आतंकी ग्रुप्स इस समय 'ऑपरेशन स्टूडेंट' चला युवकों की भर्ती में लगे हैं।
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विदेशी आतंकी नहीं स्थानीय युवक बने पहली पसंद
सूत्रों के मुताबिक सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के चलते आतंकी सीमा पार से घुसपैठ नहीं कर पा रहे। वहीं बाहरी आतंकी घाटी में जल्द घुलमिल भी नहीं पाते उनकी भाषा और उनकी शैली उन्हें जल्द ही सुरक्षा एजेंसी और स्थानीय लोगों के निशाने पर ले आती है। जबकि जो युवक राज्य के अन्य हिस्सों में रह कर पढ़ रहे हैं उनको बरगलाने में ज्यादा समय नहीं लगता। उन्हें पैसे भी अधिक नहीं देने होते। जबकि विदेशी आतंकियों को बड़ी धनराशि देनी पड़ती है। स्थानीय युवक जब आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं तो उनकी पहचान करना भी सुरक्षा एजेंसीज के लिए मुश्किल होती है इसीलिए वो सॉफ्ट टारगेट बन कर उभरे हैं।
कैसे होती हैं भर्ती
सूत्रों के मुताबिक आतंकी ग्रुप्स के ओवर ग्राउंड वर्कर उन स्टूडेंट्स की लिस्ट तैयार करते हैं जो कश्मीर से बाहर अन्य राज्यों में पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बाद इन स्टूडेंट्स से ये वर्कर सोशल मीडिया के जरिए संपर्क कर उन्हें अपने साथ आने के लिए तैयार करते हैं। इसके लिए महीनों तक उनको बरगलाया और भड़काया जाता है।
गरीब परिवार के युवक होते हैं निशाने पर
सूत्र बताते हैं कि ऐसे कश्मीरी छात्र जो अन्य राज्यों में रह कर स्कालरशिप से अपनी पढाई कर रहे हैं, उनको पैसों का लालच दिया जाता है। जो इससे भी नहीं मानते उन्हें धर्म के नाम पर और सेना के खिलाफ भड़काया जाता है। जो भी युवक इनके टारगेट पर होता है उसके परिवार की पूरी जानकारी आतंकी ग्रुप्स के ओवर ग्राउंड वर्कर के पास होती है। ये कैसे भी दबाव बना उन्हें अपने साथ मिला लेते हैं। जब ये युवक ग्रुप्स में शामिल हो जाते हैं, तो उनको अच्छी सेलरी पैकेज के साथ कमांडर, एरिया कमांडर जैसे पदनाम दिए जाते हैं। इसके साथ ही पढ़े लिखे और खूबसूरत युवकों को पोस्टर बॉय बनाया जाता है। इनको पहले छोटे टारगेट दिए जाते हैं। जब ये उसे पूरा करते हैं तो उनको इंसेंटिव में बड़ी रकम दी जाती है। इसके पीछे मंशा सिर्फ ये रहती है कि उसके साथी और अन्य दोस्त प्रभावित होकर इन ग्रुप्स में शामिल हो जाएं। जब इनके साथी आतंकी ग्रुप में शामिल हो जाते हैं तो इन्हें बदले में और पैसा मिलता है।
कश्मीर में सक्रीय आतंकी संगठन
लश्कर ए तौयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जैशे मुहम्मद, अल बदर, जमातुल मुजाहिदीन, हरकत उल अंसार, लश्करे उमर, हरकतुल मुजाहिदीन, लश्कर ए जब्बार, हरकत उल जेहाद ए इस्लामी।