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तीन तलाक: जानें क्या है बिल में, शौहर को सजा होने पर महिला के लिए क्या?
लखनऊ: संसद में जारी गतिरोध ख़त्म होने के बाद गुरुवार (28 दिसंबर) को सरकार लोकसभा में तीन तलाक पर बिल पेश कर सकती है। इसके लिए बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया है। लेकिन आम जन के मन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस बिल में है क्या और यदि पति को सजा
हो जाती है तो महिला के गुजारा भत्ता आदि का प्रावधान क्या है?
पीएम मोदी ने तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए अंतर मंत्रीस्तरीय समूह का गठन किया था। राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले इस समूह में अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, सुषमा स्वराज, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे।
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ऐसा होगा बिल?
बता दें, कि सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ के नाम से इस बिल को को ला रही है। यह कानून सिर्फ तीन तलाक यानि 'तलाक-ए-बिद्दत' पर ही लागू होगा। इस कानून के आने के बाद कोई भी मुस्लिम पति यदि अपनी पत्नी को तीन तलाक देगा तो वह गैर कानूनी होगा।
ये है सजा का प्रावधान
साथ ही किसी रूप में दिया गया तीन तलाक चाहे वह मौखिक हो या लिखित या तकनीक के जरिए यानि एसएमएस या व्हाट्सएप तथा मेल के माध्यम से तो वह अवैध होगा। किसी भी तरह तीन तीन तलाक देने वाले को तीन साल की सजा होगी। उस पर आर्थिक दंड यानि जुर्माने का भी प्रावधान है। इसका मतलब है कि तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध होगा। इसमें मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना लगाया जाए।
ये है प्रस्तावित बिल
-एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होगा।
-ऐसा करने वाले किसी भी पति को तीन साल जेल की सजा हो सकती है।
-यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा।
-यह कानून सिर्फ 'तलाक ए बिद्दत' यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा।
-तलाक पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए अपील कर सकेगी।
-इससे पहले पीड़ित महिला दर-दर भटकने को मजबूर थी।
-पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है।
-लेकिन अपील के बाद अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट ही करेंगे।
-यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा।