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मुलायम कुनबे के कब्जे से कॉलेज होगा मुक्त, SC की सख्ती पर UP का फैसला
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के सख्त तेवर के बाद यूपी सरकार ने इटावा के हैबरा गांव में चौधरी चरण सिंह कॉलेज में सरकारी प्रतिनिधि नियुक्त करने की बात कही है। यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से इसके लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा है। इस कॉलेज को एक सोसायटी चला रही थी, जिसमें सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उनके कुनबे के लोग शामिल हैं।
क्या है मामला?
इटावा के चौधरी चरण सिंह कॉलेज को एक सोसायटी चलाती रही है। ये सरकारी धन से बना कॉलेज है। इस सोसायटी में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, उनके भाई और यूपी के कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह, रामगोपाल यादव और बेटे अखिलेश यादव समेत परिवार के और लोग भी हैं।
साल 2004 में सीएम रहते मुलायम ने कॉलेज को 100 करोड़ रुपए का फंड भी दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी धन से चलने वाले कॉलेज में इस सोसायटी पर कड़ा रुख अपनाया था और पूछा था कि किस तरह ये सोसायटी कॉलेज को चला रही है।
संपत्ति को कब्जे में लेने को कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कॉलेज की बिल्डिंग सरकारी धन से बनी है। बावजूद इसके सोसायटी इसे अपनी संपत्ति की तरह दिखाती रही है। कोर्ट में सोसायटी ने कहा कि उसने गलती से ऐसा किया। इस पर चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यूपी सरकार चाहे तो कॉलेज की संपत्ति अपने कब्जे में ले।
अदालत ने मुलायम और शिवपाल की तरफ से जवाब न मिलने पर नाराजगी भी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि कोई भी पद का गुमान न रखे, हमें कानून का पालन कराना आता है।
3 नवंबर को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी। मंगलवार को सुनवाई में याचिकाकर्ता मनेंद्र नाथ राय, मुलायम, शिवपाल और दूसरे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने कोर्ट में कहा कि दिखावटी कार्रवाई कर मामले को हल्का करने की कोशिश की जा रही है। मामला आपातकालीन फंड के नाजायज इस्तेमाल का है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।