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वेंकैया का राहुल पर निशाना, लोकतंत्र-वंशवाद एक साथ नहीं चल सकते
देश के वाइस प्रेसिडेंट वेंकैया नायडू ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) में डायनेस्टी (वंशवाद) एक साथ नहीं चल सकते।
नई दिल्ली: देश के वाइस प्रेसिडेंट वेंकैया नायडू ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) में डायनेस्टी (वंशवाद) एक साथ नहीं चल सकते। वंशवाद बुरा है, लेकिन कुछ लोगों को यह व्यवस्था बेहद पसंद है। इससे पॉलिटिकल सिस्टम कमजोर होता है। नायडू ने ये बातें दिल्ली में एक बुक लॉन्च के मौके पर कही। गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने अमेरिका के बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में युवाओं के साथ संवाद के दौरान कहा था कि भारत में वंशवाद की राजनीति ही सभी पार्टियों की समस्या है। देश में ज्यादातर ऐसा ही चल रहा है।
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और क्या कहा वेंकैया नायडू ?
-वेंकैया नायडू ने कहा कि वो किसी खास पार्टी या किसी खास शख्स के बारे में नहीं कह रहे हैं।
-वो ये भी नहीं कह रहे हैं कि कौन किसका अनुसरण कर रहा है।
-लेकिन लोकतंत्र में चरित्र, कैलिबर, क्षमता और आचरण का महत्व है।
-राजनीति में जाति, संप्रदाय या धन का महत्व नहीं होना चाहिए।
-नायडू ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है कि वो स्पष्टता के साथ अपनी बात रखते हैं।
-लेकिन मुझे अब इस प्रवृत्ति को छोड़ना पड़ेगा, लोग कहते हैं अब आप उप राष्ट्रपति बन चुके हैं।
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क्या कहा था राहुल ने ?
-भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों में आजकल वंशवाद है, यही परेशानी है।
-अखिलेश यादव, स्टालिन, यहां तक कि अभिषेक बच्चन भी राजवंशज हैं।
-मेरे पीछे मत जाओ क्योंकि पूरा देश ऐसे ही चल रहा है।
-भारत में यही होता है।
संजय निरूपम ने दी प्रतिक्रिया
वेंकैया नायडू के बयान के बाद कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने प्रतिक्रिया व्यक्त की उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि यह कैसे हो सकता है देश के वाइस प्रेसिडेंट राजनीतिक दलदल में उतर गए हैं। इस पर हम कानूनी प्रोटोकॉल और इज्जत भूल सकते हैं।
स्मृति इरानी ने भी साधा था राहुल पर निशाना
राहुल गांधी के दिए बयान के बाद बीजेपी की राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी की तरफ से राहुल को जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी ने विदेश में कहा कि हिंदुस्तान तो ऐसा ही है, डायनेस्ट ही वहां सब कुछ चलाते हैं। शायद वे भूल गए कि पीएम स्वयं गांव से आते हैं। वे सामान्य गरीब परिवार में जन्मे हैं। प्रेसिडेंट भी उस परिवार से हैं जो हाशिए पर पड़े तबके से आते हैं। वाइस प्रेसिडेंट भी किसान के बेटे हैं। संघर्ष के बाद उन्हें यह दायित्व हासिल हुआ है। तीन बड़े संवैधानिक पदों पर ऐसे व्यक्तियों का होना, इस बात का संकेत है कि लोकतंत्र में वंशवाद की नहीं, मेरिट की जगह होती है। एक नाकाम वंशवादी अपनी नाकाम राजनीति को यूएस में जाकर बयां करता है।
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