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'पद्मावती' विवाद : नायडू ने कहा, शारीरिक धमकियां स्वीकार नहीं
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि लोकतंत्र में फिल्म निर्माताओं को शारीरिक धमकियां देना और अवरोध उत्पन्न करना अस्वीकार्य है।
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि लोकतंत्र में फिल्म निर्माताओं को शारीरिक धमकियां देना और अवरोध उत्पन्न करना अस्वीकार्य है। नायडू ने फिल्म 'पद्मावती' का विरोध करने वाले लोगों और समूहों से आग्रह किया कि वह शांतिपूर्ण और कानून के तहत विरोध करें।
टाइम्स लिटफेस्ट के उद्घाटन सत्र के दौरान नायडू ने कहा, "फिल्मनिर्माताओं को शारीरिक धमकियां और शारीरिक अवरोध स्वीकार नहीं किया जा सकता। प्रदर्शनकारियों को कानून के तहत और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना चाहिए।"
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संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म 'पद्मावती' को लेकर विवाद के बाद इसकी रिलीज को लेकर कई संगठन पूरे देश में विरोध कर रहे हैं। दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म पहले 1 दिसंबर को रिलीज होनी थी, लेकिन इसे अब टाल दिया गया है।
नायडू ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वंतत्रता पर कोई सहमत है या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता। इस बहस को जारी रखने की इजाजत देनी चाहिए।
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उन्होंने कहा, "भारत हमेशा बहुलवादी परंपराओं और लोकाचार में विश्वास करता रहा है और कभी भी संकीर्ण, कट्टर विचारों के साथ बोझिल प्रथाओं को सिर उठाने की अनुमति नहीं देता।" नायडू ने यह भी कहा कि अहसमति को स्वीकार किया जा सकता है लेकिन विघटन स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने कहा, "यह अंतिम रेखा है और ताकत द्वारा भारत की अखंडता और एकता को कम करने के किसी भी प्रयास को शुरू में ही जड़ से उखाड फेंकना चाहिए, इससे पहले की वो बाद में मुश्किलें खड़ी करें और अनियंत्रित हो जाए।"
--आईएएनएस