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हिंदी दिवस: हिंदी की वर्तमान दशा सोचनीय क्यों? जानिए इससे जुडी कुछ रोचक बातें

Shivakant Shukla
Published on: 14 Sept 2018 3:34 AM
हिंदी दिवस: हिंदी की वर्तमान दशा सोचनीय क्यों? जानिए इससे जुडी कुछ रोचक बातें
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लखनऊ: आज हिन्दी दिवस है, हर साल देशभर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत के आजाद होने के दो साल बाद यानी 1949 में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में घोषित किया गया था। तब से हम इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं।

बता दें, 15 अगस्त 1947 को जब देश अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से आजाद हुआ था तब संविधान सभा में एक विश्वासमत से हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। वर्तमान भारत में हिंदी समाचार पत्र की संख्या अंग्रेजी समाचार पत्र की तुलना में निरंतर बढ़ती जा रही है फिर भी हिन्दी भाषा लगातार हाशिये पर चल रही है। एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2006 से 2016 तक हिंदी अखबारों के पाठकों का ग्राफ 8.76 फीसदी तक बढ़ा है। वहीं अंग्रेजी अखबार के पाठकों का ग्राफ 2.87 प्रतिशत तक ही सीमित है। यह आंकड़ें बताते हैं कि आज भी हिंदी भाषा का वर्चस्व अब भी कायम है।

हिंदी की वर्तमान दशा सोचनीय क्यों ?

सभी क्षेत्रों में अंग्रेजी भाषा की तेजी से बढ़ती मांग के कारण आज के समय में हिंदी शहरी इलाकों की बोल-चाल से भी लगभग समाप्त होती जा रही है। आज हिन्दी की दशा सोचनीय है जिस तरह आज के समय में लोगों का रूझान अंग्रेजी भाषा की तरफ तेजी से बढ़ रहा है उस प्रकार से तो आने वाले दिनों में हो सकता है कि हिन्दी को अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ाई लड़ना पड़े। इसका कारण है मार्डलाइजेशन! प्राय: लोग इसका मतलब लनकालते हैं कि आधुनिकता में जीना लेकिन मेरा मानना है यह है कि मार्डलाइजेशन का मतलब ये तो नहीं है कि लोग अपनी भाषा को ही भूल जायें।

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प्रारम्भिक शिक्षा में अंग्रजी को आज बहुत बढ़ावा और हिन्दी को गौण विषय के रूप में देखा जाता है। यही वजह है कि आज हिन्दी कर दशा और दिशा दोनों विचारणीय बन गई है। जब मूल शिक्षा के प्रारम्भ ​ही बच्चों को हिन्दी को मात्र एक जानकारी के लिए बताया जाता है तो यही हमारे भाषा का पतन का कारण बनेगा। हालांकि हम अंग्रेजी भाषा का विरोध नहीं करते हैं लेकिन हिन्दी को भूलकर यदि हम अंग्रेजी अपनाते हैं तो यह कहीं न कहीं अपनी मातृभाषा पर पहार करना है।

हिन्दी दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा

लेकिन यह जानना अहम हो जाता है कि संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया। हिंदी की खास बात यह है कि इसमें जिस शब्द को जिस प्रकार से उच्चारित किया जाता है, उसे लिपि में उसी प्रकार लिखा भी जाता है। भारत की राजभाषा हिन्दी दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत में हिन्दी भाषी राज्यों की आबादी 46 करोड़ से अधिक है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की 1.2 अरब आबादी में से 41.03 फीसदी की मातृभाषा हिंदी है।

हिन्दी को दूसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल करने वाले अन्य भारतीयों को मिला लिया जाए तो देश के लगभग 75 प्रतिशत लोग हिन्दी बोल सकते हैं। भारत के इन 75 प्रतिशत हिंदी भाषियों सहित पूरी दुनिया में तकरीबन 80 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो इसे बोल या समझ सकते हैं।

Shivakant Shukla

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