×

वो दावोस दुनिया की जरुरत क्यों है, जहां पीएम मोदी जा रहे हैं

Rishi
Published on: 22 Jan 2018 5:04 PM IST
वो दावोस दुनिया की जरुरत क्यों है, जहां पीएम मोदी जा रहे हैं
X

नई दिल्ली : स्विट्ज़रलैंड को हम सिर्फ उतना ही जानते हैं। जितना हमें हमारी फिल्में दिखाती हैं। अमिताभ से लेकर सलमान तक ने यहां रोमांस किया है। लेकिन इसी स्विट्ज़रलैंड के एक कस्बे में साल में एक बार दुनिया के सबसे बड़े सियासी और कारोबारी सितारे भी जमीं पर उतरते हैं। जिन्हें दुनिया भर की मीडिया कवर करती है।

हम बात कर रहे हैं दावोस की, जो पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे की वजह से एक बार फिर चर्चा में आ गया है। मोदी वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम में हिस्सा लेने दावोस जा रहे हैं। 1997 के बाद पहला ऐसा मौका है जब कोई पीएम दावोस जा रहे हैं।

दावोस प्राटिगाउ जिले की एक तहसील है। यह कस्बा वासर नदी के किनारे आल्प्स और अल्बूला की गोद में बसा है। समुद्र तल से 5120 फुट की उचाई पर बसा दावोस यूरोप का सबसे ऊंचा शहर है।

ये भी देखें :#WorldEconomicForum: PM मोदी दावोस के लिए रवाना, करेंगे संबोधित

दावोस में दो हिस्से हैं एक डॉर्फ़ (गांव) और दूसरा प्लाट्ज़. दावोस हर वर्ष वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम का मेजबान होता है।

दावोस स्विट्ज़रलैंड का सबसे बड़ा स्की रिजार्ट है। हर साल यहां विश्वप्रसिद्ध स्पेंगलर कप आइस हॉकी टूर्नामेंट आयोजन होता है।

दावोस-क्लोस्टर्स की सालाना बैठक में कारोबारी, सरकारें और सिविल सोसाइटी विश्व के गंभीर मुद्दों पर चर्चा करते हैं और समाधान खोजते हैं।

प्रोफेसर क्लॉज़ श्वॉब का सपना

प्रोफेसर क्लॉज़ श्वॉब ने इसे यूरोपियन मैनेजमेंट फोरम के नाम से आरंभ किया था। उस समय ये फोरम स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा का एक एनजीओ हुआ करता था। उस समय भी प्रत्येक वर्ष जनवरी में इसकी बैठक होती और दुनिया भर से कारोबारी पहुंचते थे। उस बैठक में श्वाब यूरोपीय कंपनियां कैसे अमरीकी कंपनियों को टक्कर दे सकती हैं इसपर चर्चा करते थे। श्वाब का यही विजन आज वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के तौर पर आपके सामने है। साल 1973 में इस बैठक को सिर्फ मैनेजमेंट तक ही सीमित नहीं रखा गया। बल्कि इसमें आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को स्थान दिया गया जो अभीतक जारी है।

कब क्या खास

जनवरी 1974 में पहली बार इस बैठक में राजनेताओं को भी शामिल किया जाने लगा।

जनवरी 1976 में दुनिया की 1000 बड़ी कंपनियों' के लिए सदस्यता अभियान शुरू हुआ।

साल 1979 में 'ग्लोबल कम्पीटीटिव रिपोर्ट' के साथ ही ये नॉलेज हब बन कर सामने आया।

साल 1987 में मैनेजमेंट फोरम वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम बना गया और विमर्श मंच में बदल गया।

साल 1988 में दावोस घोषणापत्र पर यूनान और तुर्की ने हस्ताक्षर किए। जो उस समय युद्ध जैसे हालातों से जूझ रहे थे।

साल 1989 में उत्तर और दक्षिण कोरिया की पहली मंत्री-स्तर बैठक हुई।

दावोस में ही दोनों जर्मनी को एक करने का निर्णय हुआ।

साल 1992 में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति डे क्लर्क नेल्सन मंडेला से मिले। जिसने देश में राजनीति ही बदल दी।

साल 2015 में इस फोरम को अंतरराष्ट्रीय संस्थान मान लिया गया

Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story