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भारत की आर्थिक आजादी, देश भर में लागू हुआ गुड एंड सिंपल टैक्स

भारत की आर्थिक आजादी ने भी देश की आजादी की तरह दबे पांव रात बारह बजे हमारी जिंदगी में प्रवेश किया। इसे भी लेकर तमाम यक्षप्रश्न हैं।

tiwarishalini
Published on: 1 July 2017 12:27 AM IST
भारत की आर्थिक आजादी, देश भर में लागू हुआ गुड एंड सिंपल टैक्स
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योगेश मिश्र

लखनऊ: 15 अगस्त 1947 को रात 12 बजे आजादी ने हमारे दिलों में दस्तक दी थी, भारत की आजादी को लेकर तमाम यक्ष प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं। भारत की आर्थिक आजादी ने भी ठीक उसी तरह दबे पांव रात बारह बजे हमारी जिंदगी में प्रवेश किया। इसे भी लेकर तमाम यक्षप्रश्न हैं। इसके लागू करने वाला एक पक्ष विरोध की मुनादी पीटते हुए बाजार बंदी तक आमादा है। पर इन दोनों यक्ष प्रश्नों के आकार प्रकार और पूछने वालों की नीति और नियति में खासा अंतर है।

भारत शायद ऐसा पहला देश होगा जहां ....

आर्थिक आजादी के टूल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर जो प्रश्न उठा रहे हैं उनका मकसद हेराफेरी के जरिए कर को सरकार के खाते में जाने से रोकना है। भारत शायद ऐसा पहला देश होगा जहां गलत तरीके से अपनी जेब भरने के रास्ते मे आने वाले कानून को खत्म करने का अभियान शुरु हो जाता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने जेवर खरीदने वालों से अभी पिछले ही साल सिर्फ पैन नंबर मांग लिया था।

नतीजतन, सर्राफा कारोबारियों ने 43 दिन तक बाजार नहीं खोले। यह स्टैंड सर्राफा कारोबारियों का तब था जब कर उपभोक्ता को चुकाना था। कुछ यही स्थिति जीएसटी का विरोध करने में भी दिख रही है। यह बताया और भड़काया जा रहा है कि जीएसटी लागू होते ही मुद्रास्फीर्ति बढ़ जाएगी। आम जरुरत की चीजें महंगी हो जाएंगी। यह एक बड़ा झूठ है जो फैलाया जा रहा है।

हकीकत यह है कि फिलहाल देश में 17 तरह के टैक्स हैं और 23 सेस हैं। उन्हें एक कर दिया गया है। अभी देश में आम तौर पर 15 प्रतिशत वैट और 15 प्रतिशत ही सेवाकर है। विशेष स्थितियो में वैट 26 फीसदी तक भी लगाया जाता है। जबकि जीएसटी में यह अधिकतम दर 28 फीसदी और विशेष परिस्थिति में अधिकतम 3 फीसदी सेस लिया जा सकता है।

इंटीग्रेशन ऑफ सिस्टम

यह पूरी प्रक्रिया इंटीग्रेशन ऑफ सिस्टम की है। इसमें आटो पापुलेशन आफ डेटा किया गया है जिसमें खरीद फरोख्त दिखने लगेगी। पहले इनपुट क्रेडिट लेने में धांधली होती थी अब इनपुट क्रेडिट नहीं लिए जा सकेंगे। जब तक आप पिछले महीने का टैक्स नहीं जमा करेंगे तो अगले महीने रिटर्न नहीं भर सकेंगे। हर बार बुक्स फाइनल करनी पडेगी। अभी तक बुक्स साल के अंत में फाइनल करनी पड़ती थी और लाभ कम करने के लिए खर्चे ज्यादा दिखा दिए जाते थे।

स्टाफ वेलफेयर, प्रिंटिंग आदि तमाम तरीके लाभ कम करने के लिए अपनाया जाता था। जबकि जीएसटी एक्ट इस तरह की सुविधा नहीं देता है। अगर गैर पंजीकृत व्यापारी से खऱीद फरोख्त की भी जाती है तो जो जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी को देना होगा। सिर्फ 5000 रुपये तक की छूट है । इससे ऊपर खर्च करने पर रिवर्स चार्ज लागू होगा।

20 लाख से कम का सालाना कारोबार करने वालों को जीएसटी से बाहर रखा गया है। मोटे तौर पर जीएसटी के पांच भाग किए गए हैं। पहले भाग में कर मुक्त वस्तुएं हैं। इसके बाद की वस्तुओं पर 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी कर लागने का प्रावधान है।

ऑनलाइन ट्रैकिंग

जीएसटी पूरी वैल्यू चेन को ऑनलाइन ट्रैक करेगा। जबकि मौजूदा व्यवस्था में व्यापारियों की वास्तविक खऱीद और बिक्री को ट्रैक नहीं किया जा सकता था। जो लोग टैक्स चोरी के लिए या तो बिना बिल दिए बिक्री करते थे या फिर बेचते किसी और को थे और बिल दूसरे को देते थे, माल की वास्तविक बिक्री नहीं होती थी पर कारोबारी को को वास्तविक इनपुट क्रेडिट मिल जाता था जीएसटी का साफ्टवेयर अब उन्हें ऐसा नहीं करने देगा।

चिकित्सा, शिक्षा, पेट्रोल और डीजल को जीएसटी से बाहर रखा गया है पर पेट्रोल डीजल पर हाल फिलहाल 57 फीसदी टैक्स दिया जाता है। इन्हें अगर जीएसटी के दायरे में लाया जाता तो सरकार के आमदनी कम होती। हैरतअंगेज यह है कि जीएसटी के 122 वें संशोधन विधेयक में शराब का जिक्र ही नहीं है। नतीजतन वह इससे बाहर रह गयी है। इसे अब जीएसटी के दायरे में लाने के लिए नया कानून बनाना होगा।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में बनीं थी जीएसटी की पहली अवधारणा

जिस जीएसटी को मोदी सरकार ने लागू किया है उसके बारे मे पहली अवधारणा 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने बनाई थी। उन्होंने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर आई जी पटेल, बिमल जलान और सी रंगराजन के साथ बैठक भी की, उन्होने वर्ष 2000 में कम्युनिस्ट नेता और पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री असीम दास गुप्ता की अगुवाई में एक समिति बनाई थी।

असीम दास गुप्ता एमआईटी से अर्थशास्त्र डाक्ट्रेट की डिग्री हासिल की है। बाद में फीलगुड के चक्कर मे अटल बिहारी वाजपेयी को समय से पूर्व चुनाव कराना पड़ा, मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन गये उन्होंने भी दासगुप्ता को हटाने से मना कर दिया। दासगुप्ता ने 7 साल काम किया। पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार आने के बाद दासगुप्ता ने इस्तीफा दे दिया।

केरल के वित्तमंत्री के.एम.मणि ने इनकी जगह ली। 2015 में भ्रष्टाचार के एक मामले में फंस जाने की वजह से मणि को इस्तीफा देना पड़ा । इसके बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा को इसका अध्यक्ष बनाया। मित्रा फिक्की के महासचिव भी रह चुके हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज जब सरकार उनकी अवधारणा को लागू करने जा रहे है तो उनकी पार्टी बहिष्कार कर रही है। पी.चिदम्बरम, प्रणव मुखर्जी और अरुण जेटली को जीएसटी लागू करने का श्रेय दिया जाना चाहिए।

भारत के इतिहास में यह पहला ऐसा कानून

शायद भारत के इतिहास में यह कोई ऐसा पहला कानून है जिसे कभी सत्ता पक्ष ने स्वीकार किया तो विपक्ष मुखालफत की है और जब वही विपक्ष जब सत्तापक्ष बनकर उसे स्वीकार कर रहा है मतलब जीएसटी की स्वीकार और इनकार की यात्रा में सारे आलोचनाओं के जवाब तलाश लिए गये होंगे, सारे कीलकांटे दुरस्त कर लिए गये होगें। तभी पीएम नरेंद्र मोदी 14 अगस्त 1947, 26 नवंबर 1949 और 6 दिसंबर 1946 के मूकसाक्षी संसद के सेंट्रल हाल मे यह कहने की स्थिति में आए होंगे यह जीएसटी की प्रक्रिया सिर्फ अर्थव्यवस्था के दायरे तक सीमित नहीं है, सिर्फ किसी एक दल की सिद्धि नहीं, किसी एक सरकार की सिद्धि नहीं हम सबकी सांझी विरासत है। यह ईमानदारी को अवसर देती और भ्रष्टाचार को रोकती है।

जीएसटी गुड्स एंड सर्विस नहीं ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जीएसटी गुड्स एंड सर्विस नहीं ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ है। सचमुच जीएसटी ने नई अर्थव्यवस्था के द्वार खोले हैं। संविधान के निर्माण में लगे 2 साल 11 महीने 17 दिन से अधिक का समय लिया है। चार कानून संसद ने पास किए हैं। 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के आर्थिक एकीकरण की दिशा में मील का पत्थर गाड़ा है।

18 अध्याय वाली गीता

18 अध्याय वाली गीता अगर हर किसी के जीवन में कर्म का उजाला ला सकती है तो 18 जीएसटी काउंसिल की बैठक और 18000 कार्यदिवस के बाद बना जीएसटी देश के कारोबार के लिए नई गीता बन जाए ऐसी उम्मीद करना बेमानी नहीं होगा।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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