×

Indian Army Day 2025 History: 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है सेना दिवस, जानें इस दिन से जुड़ा इतिहास

Indian Army Day 2025 History: भारतीय सेना ने अपनी स्थापना के बाद से कई युद्धों और संकटों में देश की रक्षा की है। सेना दिवस उनके योगदान को याद करने और उनकी वीरता को सलाम करने का दिन है।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 15 Jan 2025 5:45 PM IST
Army Day 2025: 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है सेना दिवस, जानें इस दिन से जुड़ा इतिहास
X

Army Day (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Indian Army Day 2025: सेना दिवस (Army Day) हर साल 15 जनवरी को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सेना के प्रति सम्मान और गर्व प्रकट करने का प्रतीक है। सेना दिवस न केवल हमारी सेना की वीरता, बलिदान और गौरवशाली इतिहास को याद करता है, बल्कि यह भारतीय सेना के प्रति हमारे कर्तव्य और आभार को भी दर्शाता है।

सेना दिवस का इतिहास (Sena Divas Ka Itihas)

के. एम. करियप्पा (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

भारतीय सेना (Indian Army) का इतिहास ब्रिटिश शासनकाल से शुरू होता है। भारतीय सशस्त्र बल ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश सरकार के अधीन कार्य करते थे। भारतीय स्वतंत्रता से पहले भारतीय सेना के सर्वोच्च अधिकारी ब्रिटिश थे।

15 जनवरी, 1949 को भारतीय सेना ने अपने पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ, जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) के. एम. करियप्पा को नियुक्त किया। यह दिन भारतीय सेना के पूर्ण भारतीयकरण का प्रतीक बना और इसे सेना दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 15 जनवरी, 1949 को कमांडर-इन-चीफ़ का पद पहली बार ब्रिटिश सैन्य अधिकारी से भारतीय सैन्य अधिकारी को मिला था। कमांडर-इन-चीफ़ तीन सेनाओं के प्रमुख को कहा जाता है। इस समय भारत में कमांडर-इन-चीफ़ भारत के राष्ट्रपति हैं जो तीनों सेनाओं के प्रमुख हैं।

पहला सेना दिवस (First Indian Army Day)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पहली बार सेना दिवस 15 जनवरी, 1949 को मनाया गया। इस दिन जनरल करियप्पा ने ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ सर फ्रांसिस बुचर (Sir Francis Robert Roy Bucher) से भारतीय सेना (Indian Army) की कमान संभाली। उनको 'किपर' के नाम से भी पुकारा जाता है। कहा जाता है कि जब करियप्पा फ़तेहगढ़ में तैनात थे तो एक ब्रिटिश अफ़सर की पत्नी को उनका नाम लेने में बहुत दिक्कत होती थी। इसलिए उन्होंने उन्हें 'किपर' पुकारना शुरू कर दिया।

केएम करियप्पा (Kodandera Madappa Cariappa) का जन्म 28 जनवरी, 1900 को कर्नाटक में हुआ था। पहले विश्वयुद्ध (1914-1918) के दौरान उन्हें सैन्य प्रशिक्षण मिला था।1942 में करियप्पा लेफ़्टिनेंट कर्नल का पद पाने वाले पहले भारतीय अफ़सर बने। 1944 में उन्हें ब्रिगेडियर बनाया गया और बन्नू फ़्रंटियर ब्रिगेड के कमांडर के तौर पर तैनात किया गया।

सेना दिवस मनाने का कारण (Kyun Manaya Jata Hai Sena Divas)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

भारतीय सेना ने अपनी स्थापना के बाद से कई युद्धों और संकटों में देश की रक्षा की है। सेना दिवस उनके योगदान को याद करने और उनकी वीरता को सलाम करने का दिन है। सेना दिवस भारतीय सेना के भारतीयकरण का जश्न है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि आज भारतीय सेना भारतीय नेतृत्व के अधीन है। यह दिन सैनिकों और उनके बलिदानों के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर है।

भारतीय सेना का इतिहास और गौरव

भारतीय सेना का गठन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन हुआ था। इसे ब्रिटिश भारतीय सेना के नाम से जाना जाता था। यह सेना दोनों विश्व युद्धों में लड़ी और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना ने कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े और देश की अखंडता बनाए रखने में योगदान दिया:1947-48: भारत-पाकिस्तान युद्ध (कश्मीर मुद्दा)।1962: भारत-चीन युद्ध। 1965: दूसरा भारत-पाक युद्ध। 1971: बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए भारत-पाक युद्ध। 1999: कारगिल युद्ध।

भारतीय सेना की शाखाएं

भारतीय सेना तीन प्रमुख शाखाओं में बंटी है: थल सेना (Indian Army): भूमि आधारित सुरक्षा। नौसेना (Indian Navy): समुद्री सुरक्षा। वायु सेना (Indian Air Force): हवाई सुरक्षा।

सेना दिवस का महत्व (Sena Divas Ka Mahatva)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सेना दिवस भारतीय सेना की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को दर्शाता है। यह दिन देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देता है और युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन उन सैनिकों के प्रति श्रद्धांजलि है जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी। सेना दिवस के माध्यम से सेना की ऐतिहासिक और आधुनिक उपलब्धियों को उजागर किया जाता है।

सेना दिवस का आयोजन

सेना दिवस पर दिल्ली में दिल्ली छावनी में एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। इसमें सेना की विभिन्न शाखाओं, रेजीमेंट्स और यूनिट्स का प्रदर्शन होता है।इस दिन सैनिकों को उनकी वीरता और योगदान के लिए पुरस्कार और पदक प्रदान किए जाते हैं।देश के विभिन्न हिस्सों में सेना के द्वारा सैन्य अभ्यास और तकनीकी प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है।सैनिक स्मारकों पर पुष्प अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

सेना दिवस की चुनौतियां और भविष्य- भारतीय सेना को तेजी से बदलते तकनीकी और रणनीतिक परिदृश्य में खुद को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। सेना दिवस पर यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सैनिकों और उनके परिवारों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई जाएं। सेना दिवस पर सेना की नई रणनीतियों और योजनाओं को भी पेश किया जाता है, जो देश की सुरक्षा को और मजबूत बनाती हैं।

सेना दिवस और राष्ट्रीय गर्व- सेना दिवस केवल एक उत्सव नहीं है; यह भारत के लोगों के लिए गर्व का दिन है। भारतीय सेना की बहादुरी और बलिदान ने देश को सुरक्षित और स्वतंत्र बनाए रखा है। यह दिन उन लाखों सैनिकों की मेहनत और साहस को सलाम करता है, जो सीमाओं पर खड़े रहकर हमारे देश की रक्षा करते हैं।

सेना दिवस भारतीय सेना की वीरता, बलिदान और उपलब्धियों का उत्सव है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारी सेना ने कैसे हर संकट में देश की रक्षा की है।भारतीय सेना केवल हमारी सीमाओं की सुरक्षा करने वाली संस्था नहीं है, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भी गारंटी है। सेना दिवस के अवसर पर हमें अपनी सेना के प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सैनिकों और उनके परिवारों को समाज में उचित सम्मान और सुविधाएं मिलें।

सेना दिवस का हर उत्सव हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने देश की सेवा में तत्पर रहें और अपनी सेना के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए उनके बलिदानों को सलाम करें।

पुणे में मनाया जाएगा भारतीय सेना दिवस

77 वां भारतीय सेना दिवस 2025 महाराष्ट्र के पुणे में मनाया जाएगा , जो परंपरा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। पहली बार, पुणे 15 जनवरी को सेना दिवस की मेजबानी करेगा, जो दिल्ली के पारंपरिक आयोजन स्थल से दो साल का बदलाव है। सेना दिवस 2023 और 2024 क्रमशः बेंगलुरु और लखनऊ में मनाया गया था, जबकि पुणे सेना दिवस के लिए दिल्ली के बाहर तीसरा स्थान होगा।

सेना दिवस समारोह में भारत की सैन्य विरासत को उजागर करने और सेना के भविष्य के रोडमैप के लिए एक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पुणे, एक समृद्ध सैन्य इतिहास वाला शहर है और कई प्रमुख रक्षा संस्थानों का घर है, जिसे इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए स्थल के रूप में चुना गया है।



Shreya

Shreya

Next Story