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Air pollution से जुड़ा है ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा, ऐसे बचें

Air Pollution: वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से ऑटोइम्यून बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। वेरोना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के लंबे समय तक संपर्क रूमेटोइड गठिया के लगभग 40% अधिक जोखिम से जुड़ा था।

Preeti Mishra
Written By Preeti MishraPublished By Deepak Kumar
Published on: 16 March 2022 2:39 PM IST
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वायु प्रदूषण। (Photo- Social Media)

Air Pollution: वायु प्रदूषण (Air pollution) के लंबे समय तक संपर्क में रहने से ऑटोइम्यून बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। बता दें कि वायु प्रदुषण के कणों के संपर्क से पहले ही स्ट्रोक, मस्तिष्क कैंसर, गर्भपात और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा जा चुका है। 2019 में प्रकाशित एक वैश्विक समीक्षा ने निष्कर्ष निकाला था कि शरीर की लगभग हर कोशिका गंदी हवा से प्रभावित हो सकती है।

अब वेरोना विश्वविद्यालय (Verona University) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि वायु प्रदूषण (Air pollution) के उच्च स्तर के लंबे समय तक संपर्क रूमेटोइड गठिया के लगभग 40% अधिक जोखिम से जुड़ा था। वहीँ वायु प्रदुषण के कारण क्रॉन्स और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे सूजन आंत्र रोग का खतरा 20% अधिक हो जाता है तो वहीँ ल्यूपस जैसे संयोजी ऊतक रोगों का 15% अधिक खतरा हो जाता है।

आरएमडी ओपन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन ने जून 2016 और नवंबर 2020 के बीच फ्रैक्चर के जोखिम की निगरानी करने वाले इतालवी डेटाबेस पर 81,363 पुरुषों और महिलाओं के बारे में व्यापक चिकित्सा जानकारी ली। इस अवधि के दौरान लगभग 12% को ऑटोइम्यून बीमारी का पता चला था। स्टडी में प्रत्येक रोगी को उनके आवासीय पोस्टकोड के माध्यम से निकटतम वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन से जोड़ा गया था।

अध्ययन ने सूक्ष्म कणों (पीएम10 और पीएम2.5 के रूप में जाना जाता है) के औसत दीर्घकालिक जोखिम का विश्लेषण किया, जो वाहनों और बिजली स्टेशनों जैसे स्रोतों द्वारा उत्पादित किया जाता है। PM10 के लिए 30μg/m3 और PM2.5 के लिए 20μg/m3 का एकाग्रता स्तर आमतौर पर मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि कुल मिलाकर, इन स्तरों से ऊपर के कणों के लिए दीर्घकालिक जोखिम क्रमशः, एक ऑटोइम्यून बीमारी के विकास के 12% और 13% उच्च जोखिम से जुड़ा था।

ब्रुनेल यूनिवर्सिटी लंदन (Brunel University London) में सेंटर फॉर इन्फ्लेमेशन रिसर्च एंड ट्रांसलेशनल मेडिसिन (Center for Inflammation Research and Translational Medicine) के निदेशक फेलिसिटी गेविंस (Director Felicity Gavins) ने कहा: "यह अध्ययन वायु प्रदूषण जोखिम और प्रतिरक्षा-मध्यस्थ बीमारियों के बीच एक लिंक का सुझाव देने वाले बढ़ते सबूतों का समर्थन करता है।" अध्ययन के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में वायु प्रदूषण (Air pollution) को स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े पर्यावरणीय जोखिमों में से एक के रूप में पहचाना है। यह अध्ययन ऑटोम्यून्यून बीमारियों और वायु प्रदूषण (Air pollution) जोखिम के बीच लिंक पर नए वास्तविक प्रमाण प्रदान करता है।

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