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अ सक्सेस विदआउट फीट, कुछ ऐसी है जुनून रेस्त्रां की स्टोरी
चलिये बात की शुरुआत करते हैं कि मिशलिन अवार्ड प्राप्त जुनून रेस्त्रां से। इस रेस्त्रां को एक भारतीय युवक ने शुरू किया। और जिस भारतीय युवक ने शुरू किया उसका नाम विकास खन्ना है।
रामकृष्ण वाजपेयी
मिसलिन स्टार। मशहूर शेफ। विकास खन्ना। द लास्ट कलर। न्यूयार्क का जुनून रेस्त्रां । अलग अलग आपने ये सब शब्द या नाम सुने होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी धुरी में एक ऐसा शख्स है जो अपने पैरों ठीक से चल नहीं सकता है।
चलिये बात की शुरुआत करते हैं कि मिशलिन अवार्ड प्राप्त जुनून रेस्त्रां से। इस रेस्त्रां को एक भारतीय युवक ने शुरू किया। और जिस भारतीय युवक ने शुरू किया उसका नाम विकास खन्ना है। जो अपने पैरों पर चल ही नहीं सकते। लेकिन किसी भी व्यक्ति की सफलता में सपोर्ट सबसे महत्वपूर्ण होता है और इस युवक की तो मां उसके साथ थी। मां ने कहा था कि तुम चलने के लिए नहीं उड़ने के लिए पैदा हुए हो। आज हम जुनून रेस्त्रां के मालिक और मशहूर शेफ विकास खन्ना के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
जन्म से संघर्ष की शुरुआत
विकास खन्ना का जन्म 1971 में अमृतसर में हुआ था। विकास खन्ना का जब जन्म हुआ तो उनके पैरों में गड़बड़ी थी। डाक्टरों ने लंबे निरीक्षण के बाद पाया कि विकास के पैरों में जन्मजात समस्या थी, लंबी जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा था कि यह बच्चा कभी भी अपने पैरों पर नहीं चल पाएगा। सबके लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं थी लेकिन उनकी मां ने हार नहीं मानी। वह अपने बच्चे को सीने से लगाकर सब तरफ दौड़ीं फिर दिल्ली गई बच्चे का ऑपरेशन कराया, लेकिन आपरेशन के बाद कुछ सुधार तो हुआ लेकिन विकास खन्ना कभी भी सामान्य बच्चों की तरह चल और दौड़ नहीं पाये।
लोग मजाक उड़ाते थे, विकास खन्ना के चलने के अंदाज को देखकर ताने मारते थे। मजाक उड़ने की वजह से ही विकास खन्ना ने दोस्तों के साथ खेलना बंद कर दिया और खेलने की जगह वह अपनी मां के साथ उनके रसोई के कामों में हाथ बटाने लगे। मां के साथ रसोई में हाथ बटाने से ही विकास खन्ना की एक खानसामा या एक शेफ के रूप में ट्रेनिंग शुरू हुई। जिसकी बदौलत विकास खन्ना ने यह मुकाम हासिल किया।
'उत्सव, ए क्यूलिनरी एपिक' के लेखक
विकास खन्ना ने भारतीय व्यंजन कला व त्योहारों पर 'उत्सव, ए क्यूलिनरी एपिक' किताब लिखी इस किताब को लिखने में विकास खन्ना को 12 साल लग जाए और जब यह किताब छप कर दुनिया के सामने आई तो विश्व की तमाम प्रसिद्ध हस्तियों ने इसे हाथों हाथ लिया।
द लास्ट कलर फिल्म
पिछले साल विकास खन्ना ने एक फिल्म बनाई द लास्ट कलर। इस फिल्म में अभिनेत्री नीना गुप्ता ने 70 साल की नूर का किरदार निभाया है। इस फिल्म को ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया है। यह फिल्म विकास खन्ना की किताब के ही एक हिस्से और वृंदावन और वाराणसी की विधवाओं पर आधारित पर आधारित है।
विकास खन्ना ने मणिपाल अकैडमी आफ हायर सेकेंडरी स्कूल से स्नातक किया है। उन्होंने अमेरिका की कार्नेल यूनिवर्सिटी के द क्यूलिनिरी इंस्टिट्यूट और यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की।
विकास खन्ना का परिवार मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों में आता है। उनकी दादी अमृतसर की एक छोटी सी गली में पराठे बनाती थी, विकास खन्ना पराठे बेचा करते थे। विकास खन्ना के पिता की वीडियो कैसेट की दुकान थी। स्कूल के बाद वह अपने पापा के काम में हाथ बंटाते थे।
शेफ बनने की कहानी
विकास हमेशा कुछ नया करना चाहते हैं। मूलतः कैटरिंग में अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ाने का जब उनका मन किया और उन्होंने कहा कि मुझे शेफ बनना है तो लोगों ने बहुत मजाक उड़ाया क्योंकि इस काम को बहुत छोटा समझा जाता था और लोग हेय दृष्टि से देखते थे लेकिन उनके परिवार ने उनका समर्थन किया। आज तो छोटे-छोटे बच्चे कहते हैं कि मुझे शेफ बनना है क्योंकि अब इसमें बेहतरीन कैरियर की संभावनाएं हैं लेकिन उस दौर में ऐसा नहीं था लोग कहते थे कि बावर्ची बनकर क्या करोगे यह भी कोई प्रोफेशन है।
जब पैसा नही लिया
विकास खन्ना ने शुरू में पहला काम एक किटी पार्टी का लिया पहली पार्टी में आई आंटियों ने उनके खाने की इतना ज्यादा तारीफ कर दी कि विकास ने खुश हो कर उनसे कोई पैसा ही नहीं लिया। इस पर उनके पिता ने कहा कि पैसा नहीं लोगे तो व्यवसाय को आगे कैसे बढ़ाओगे लेकिन विकास खन्ना के शब्दों में कहें तो सच्चाई यह है कि उन्होंने पैसों के लिए कभी काम ही नहीं किया और ना आज वह पैसे के लिए काम करते हैं उनका जुनून है खाना बनाना। जिसमें विविधता लाने में उन्हें मजा आता है और वह इसके लिए काम करते हैं।
विकास खन्ना ने ताज होटल, ओबेरॉय ग्रुप, वेलकमग्रुप, लीला ग्रुप ऑफ होटल्स सहित तमाम जगहों पर काम किया और इसके बाद जुनून रेस्त्रां की शुरुआत कर अपना स्टार्टअप आरंभ किया।