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Artificial Sweeteners: कृत्रिम मिठास है एक मीठा ज़हर, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का है जनक
Artificial Sweeteners examples: बहुत से लोग खुद को फिट रखने के लिए कृत्रिम मिठास (artificial sweeteners) का सहारा लेते हैं हाल ही के एक रिसर्च में पाया गया है कि कृत्रिम मिठास कई खतरनाक बीमारियों को जन्म देता है।
Artificial Sweeteners examples: आजकल अधिकतर लोग अपने को स्लिम और फिट रखने के चक्कर कई तरह के हत्कंडे अपनाते हैं। चीनी से बचने के लिए कृत्रिम मिठास (Artificial sweetener) का उपयोग करना आजकल एक सामान्य बात हो गयी है। वैसे डॉक्टर भी चीनी का अधिक मात्रा में प्रयोग करने से मना करते हैं। क्योंकि यह एक ऐसा सफ़ेद ज़हर है जो धीरे-धीरे आपकी सेहत को खोखला बनाने के लिए पर्याप्त है।
लेकिन उसकी जगह कृत्रिम मिठास का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए उससे ज्यादा खतरनाक है। जी हाँ, प्राकृतिक विकल्पों की जगह कृत्रिम मिठास का चयन आपके शरीर में कई गंभीर रोगों को जन्म देने के लिए काफी है। इतना ही नहीं एक शोध में यह बात भी सामने आयी है कि कृत्रिम मिठास के सेवन से वजन कम होने की जगह बढ़ने लगता है। यही नहीं, इनका लगातार सेवन कमर का घेरा बढ़ाने से लेकर कैंसर की चपेट में आने की आशंका को कई गुना तक बढ़ा देता है।
आजकल बाज़ारों में मिलने वाली खाद्य सामग्री और पेय पदार्थों में भी चीनी के कई विकल्पों का इस्तेमाल धलड़ल्ले से हो रहा है। जिन्हें 'शुगर फ्री', 'डाइट' या 'लो कैलरी फूड्स' का लेबल लगाकर बाज़ारों में आसानी से बेचा जा रहा है। इनमें सॉफ्ट ड्रिंक्स, च्यूइंगम, जेलीज, बेकरी आइटम्स, कैंडी, फू्रट जूस, आइसक्रीम, दही, सोडा, सलाद ड्रेसिंग आदि सभी शामिल हैं। इतना ही नहीं विश्व भर में सबसे अधिक प्रचलित डाइट सोडा ड्रिंक्स भी इनमें से ही एक है।
बता दें कि चीनी की जगह कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल चीनी की तरह ही मीठा स्वाद देती है। लेकिन इसमें फूड एनर्जी की बहुत कम मात्रा होती है। अगर इसकी रासायनिक संरचना की बात करें तो यह चीनी से बिल्कुल अलग होती है। गौतलब है कि कृत्रिम मिठास में कोई पोषक तत्व मौजूद नहीं होते हैं।
एक शोध के अनुसार कृत्रिम मिठास मोटापे और उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का जन्मदाता है। विश्वभर में हुए 37 अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि लंबे समय तक कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल मोटापे, उच्च रक्तचाप और टाइप 2 डाइबिटीज का खतरे को कई गुना बढ़ा देता है।
एक शोध में यह बात सामने आई है कि जो लोग कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल लम्बे समय तक करते हैं, उनकी कमर का घेरा औरों के मुकाबले बढ़ जाता है, जो भविष्य में वजन बढ़ने और मोटापे का मुख्य कारण बनता है। इतना ही नहीं हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म, आंतों में पाये जाने वाले बैक्टीरिया और भूख पर कृत्रिम मिठास का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गौतलब है कि शरीर को कृत्रिम मिठास को पचाने में ज्यादा परेशानी आती है।
कृत्रिम मिठास से हो सकता है कैंसर
कई अध्ययनों से इस बात का खुलासा हुआ है कि कृत्रिम मिठास कैंसर (cancer) विशेषकर ब्रेन ट्यूमर के लिए ज़िम्मेदार है। इसका अधिक मात्रा में सेवन करना डीएनए तक को भी क्षतिग्रस्त कर सकता है। वैसे अभी भी इस पर शोध जारी है। पुरे विश्व भर के विशेषज्ञ अभी तक कैंसर और कृत्रिम मिठास के बीच का संबंध और साफ़ करने के लिए कई अध्धयन कर रहें हैं।
इसके अलावा कृत्रिम मिठास का लगातार सेवन हृदय की धड़कनों को भी तेज कर देता है। बता दें कि लगातार बनी ऐसी स्थिति हृदय की धड़कनों को अनियंत्रित कर हृदय के स्वास्थ्य को ख़राब कर देती है। इतना ही नहीं कृत्रिम स्वीटनर हृदय की सामान्य कार्यप्रणाली के लिए भी नुकसानदायक होते हैं। गौरतलब है कि कृत्रिम मिठास का अत्यधिक सेवन उच्च रक्तचाप (high blood pressure) को बढ़ाने के साथ-साथ आपके हृदय को बहुत बीमार कर सकता है।
कई बार डाइबिटीज से ग्रसित लोग मीठा खाने की चाहत में कृत्रिम स्वीटनर का प्रयोग ज्यादा करने लगते है। जिसके कारण उनका शुगर (sugar) लेवल हमेश हाई रहता है। बता दें की जिन लोगों को डायबिटीज नहीं है अगर वो भी कृत्रिम स्वीटनर का लगातार और अधिक मात्रा में प्रयोग करेंगे तो उन्हें भी डाइबिटीज होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। डायबिटीज के मरीज़ों को ऐसे पेय पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए जिसमें कृत्रिम स्वीटनर का इस्तेमाल हुआ हो।
कृत्रिम मिठास बना सकता है मानसिक रोगी
इतना ही नहीं कई बार इसके इस्तेमाल के कई घातक रूप भी देखने को मिलते हैं। कई बार कृत्रिम मिठास का लगातार सेवन आपको मानसिक रूप से भी बीमार बना कर एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार बना सकता है। इसके लगातार सेवन से तंत्रिका-तंत्र संबंधी कई गड़बड़ियां पैदा हो जाती है।
विशेषज्ञों की राय में कृत्रिम मिठास से बेहतर प्राकृतिक विकल्प हैं जिनमें गुड़, शहद, खजूर, फलों का जूस, फलों आदि मुख्य है। वैसे तो कृत्रिम मिठास के सेवन से बचना ही चाहिए फिर भी अगर इसका सेवन करना भी है तो बहुत ही अल्प मात्रा में इसे लेना उचित है। लेकिन वो भी लगातार नहीं। अच्छा तो यहीं है की आप इसके सेवन से खुद को बचायें।