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Asafoetida: खाने में तड़के की सोंधी खुशबू के साथ स्वास्थ के लिए नायाब साबित होती है हींग

Asafoetida: आयुर्वेद में हींग को रेचक यानी मल निष्‍कासन की क्रिया में सुधार लाने वाला और पेट फूलने की समस्‍या से राहत प्रदान करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। हींग उत्पादक फेरूला एसाफिटिडा जड़ी बूटी की लगभग 170 प्रजातियां पाई जाती हैं।

Jyotsna Singh
Published on: 24 Nov 2024 3:58 PM IST
Asafoetida
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Asafoetida

Asafoetida: भारतीय रसोईयों में खाने में हींग का तड़का ना लगे ऐसा माना ही नहीं जा सकता। दाल से लेकर रायते में हींग और लालमिर्च का तड़का जान फूंक देता है ।वहीं घरेलू चिकित्सा में भी हींग को पुराने समय से उपयोग में लाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त आयुर्वेद चिकित्सा में पेट के कई रोगों से लेकर कैंसर जैसी असाध्य बीमारी में भी हींग का इस्तेमाल बहुतायत से किया जा रहा है। अंग्रेजी भाषा में इसे Asafoetida कहते हैं। हींग एक लेटेक्स यानी एक तरह का चिपचिपा पदार्थ है, जिसे फेरूला एसाफिटिडा जड़ी बूटी और इसकी कई किस्मों की जड़ों से निकाला जाता है। इसका पौधा मुख्‍य रूप से भूमध्यसागरीय पूर्वी क्षेत्र और मध्य एशिया में पाया जाता है। हींग में कई औषधीय गुण होते हैं और ये खासतौर पर पाचन में सुधार लाने में उपयोगी है।

यहां होता है सर्वाधिक हींग के पौधे का उत्पादन

आयुर्वेद में हींग को रेचक यानी मल निष्‍कासन की क्रिया में सुधार लाने वाला और पेट फूलने की समस्‍या से राहत प्रदान करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। हींग उत्पादक फेरूला एसाफिटिडा जड़ी बूटी की लगभग 170 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से तीन प्रजातियों की खेती कश्‍मीर और पंजाब राज्‍य में की जाती है। एसाफिटिडा कुल के पौधे असल में एक तरह की जड़ी बूटी हैं। जो बिना खराब हुए दो से अधिक वर्षों तक जीवित रह सकती है। आमतौर पर इसका पेड़ चार मीटर तक बढ़ सकता है। लाहौल घाटी को हींग उत्पादन के लिए अनुकूल पाया है। इसके अलावा उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके, लद्दाख, हिमाचल का किन्नौर, मंडी जिला में जनझेली का पहाड़ी क्षेत्र सर्वाधिक हींग उत्पादक क्षेत्र माना जाता है।हींग के पौधे का तना खोखला और रसीला होता है। इस पौधे की जड़ और प्रकंद सबसे ज्‍यादा मूल्यवान हिस्सा होता है जिससे लैटेक्‍स ‘ओलिओरेसिन’ मिलता है। इस लैटेक्‍स को सुखाकर हींग बनाई जाती है।

हींग के फायदे-

हींग अपने अनोखे स्वाद के साथ ही साथ शरीर से जुड़ी कई बीमारियों में घरेलू उपाय के तौर पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है । वहीं आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार इसका इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है:-

पेट के विकारो के उपचार में-

श्वसन प्रणाली के लिए -

मासिक धर्म दर्द से छुटकारे में-

सिर दर्द में उपयोगी -

दांत दर्द में लाभकारी -

कान के दर्द को कम करने में -

कैंसर से शरीर की रक्षा में -

नपुंसकता के इलाज में -

कीड़े के काटने का उपचार में -

पेट से सम्बंधित समस्याओं का उपचार करने के लिए हींग का इस्तेमाल इस तरह करें -

हींग में विभिन्न प्रकार की पेट की समस्याओं का इलाज करने के लिए एक अति उत्तम तत्व पाया जाता हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-फ्लैटुलेंट गुण होते हैं, जो अपच, खराब पेट, गैस, पेट के कीड़े, पेट फूलना और इर्रिटेबल आंत्र सिंड्रोम जैसे समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं। यह भोजन विषाक्तता के उपचार में भी उपयोगी माना जाता है। पेट से जुड़ी समस्या से निजात पाने के लिए करी या दैनिक आहार में हींग को एक मसाले के रूप में शामिल करें।डेढ़ कप पानी में हींग के कुछ छोटे टुकड़ों को अच्छे से घुलने दें। अपना भोजन खाने के बाद रोजाना इस घोल को पी लें।

हींग के नुकसान -

एक ओर हींग जहां हमारे स्वास्थ्य पर कई तरह से सकारात्मक प्रभाव डालने वाला घरेलू उपाय सिद्ध हुआ है। वहीं इसके जरूरत से ज्यादा सेवन पर लाभ की जगह इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।हींग के अत्यधिक सेवन से आपके होंठों में असामान्य सूजन हो सकती है।हींग का सेवन गैस या दस्त जैसी समस्या पैदा कर सकता है। जिससे आपको पेट जलन महसूस हो सकती है। कुछ लोगों में हींग के सेवन से त्वचा पर रैशेस भी उत्पन्न हो सकते हैं। अधिक मात्रा में हींग का सेवन सिर दर्द एवं चक्कर का कारक भी बन सकता है। उच्च रक्त चाप और निम्न रक्त चाप भी अधिक हींग के सेवन से संभव है। जिन्हें हाई या लो बीपी की समस्या है, उन्हें हींग खाने से बचना चाहिए। गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं को हींग के सेवन से बचना चाहिए। यह रक्त-सम्बंधित समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है। साथ नवजात शिशुओं का हाजमा भी खराब कर सकता है।

सौंदर्य वृद्धि में हींग का इस्तेमाल

खाने और स्वास्थ के साथ ही साथ हींग का इस्तेमाल सौंदर्य वृद्धि के लिए भी किया जाता है। स्किन पर ग्लो लाने के लिए हींग फायदेमंद है। इसका इस्तेमाल करने से डार्क स्पॉट्स, एक्ने मार्क्स और ऑयली स्किन से छुटकारा मिलता है। चेहरे पर इसका इस्तेमाल करने के लिए टमाटर का पल्प मैश करें, इसमें शक्कर मिक्स कर लें। शक्कर अच्छे से घुल जाए, तो हींग डाल दें। हींग त्वचा के लिए बहुत फ़ायदेमंद है और इसका इस्तेमाल करके आप बेदाग़ और निखरी हुई त्वचा पा सकते हैं।

हींग कई तरह से त्वचा को खूबसूरत बनाने में मददगार साबित होती है:-

जलन होने पर हींग त्वचा पर लगाने पर ठंडक प्रदान करती है।

हींग त्वचा संबंधी कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया का विकास रोकने में सहायक होती है।

हींग से डार्क स्पॉट्स, एक्ने मार्क्स और ऑयली स्किन से छुटकारा मिलता है।

हींग त्वचा पर बैक्टीरिया पैदा करने वाले मुंहासों का बेहतरीन इलाज करती है।

हींग से स्किन पोर्स भी साफ़ होते हैं इसके फेस पैक से त्वचा फिर से जीवंत हो सकती है।

हींग का तेल बालों के विकास को बढ़ावा दे सकता है।

हींग का पौधा गमले में लगाने के लिए रखें इन बातों का ध्यानः

हींग का पौधा ठंडी जगह पर लगाना चाहिए। इसे ज़्यादा पानी और धूप की ज़रूरत नहीं होती। इसे सुबह की धूप में बाहर रखें और दो घंटे बाद अंदर ले आएं।हींग के पौधे को छायादार जगह पर रखें। हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान सही माना जाता है। गमले में पौधा लगाने का काम शाम को करना चाहिए। मिट्टी बदलने के बाद गमले को दो-तीन दिन छांव में रखना चाहिए। पौधा लगाने या बदलने के लिए मार्च या जुलाई का महीना अच्छा होता है। अच्छी मिट्टी पौधे को मज़बूती से खड़ा रखती है। हींग के पौधे को ऑनलाइन मंगाया जा सकता है। अमेज़न पर हींग का पौधा उपलब्ध है।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)



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Shalini singh

Shalini singh

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