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Atmhatya Kyo Karte Hain: आत्महत्या करने के कारण क्या होते हैं, क्यों कोई करता है आत्महत्या

Atmhatya Ke Karan Kya Hai: सुसाइड की दरों से स्ट्रेस का स्तर भी जुड़ा हुआ है। जो लोग खुदकुशी करते हैं, उनके शरीर में असाधारण तरीके से उच्च गतिविधियां और स्ट्रेस हार्मोन पाया जाता है।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 14 Dec 2024 1:03 PM IST
Atmhatya Kyo Karte Hain: आत्महत्या करने के कारण क्या होते हैं, क्यों कोई करता है आत्महत्या
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Atmhatya Ke Karan Kya Hai: आत्महत्या एक गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो पूरी दुनिया में बढ़ती जा रही है। हर साल लाखों लोग आत्महत्या के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इसके पीछे कई कारण होते हैं, जैसे मानसिक रोग, सामाजिक दबाव, पारिवारिक विवाद, या व्यक्तिगत आघात। इसे केवल एक व्यक्ति की समस्या के रूप में नहीं देखा जा सकता, क्योंकि यह व्यक्ति के परिवार, समाज, और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालती है। इसे रोकने के लिए समाज, परिवार और सरकार को मिलकर काम करना होगा।

आत्महत्या का वैज्ञानिक कारण-

सुसाइड की दरों से स्ट्रेस का स्तर भी जुड़ा हुआ है। जो लोग खुदकुशी करते हैं, उनके शरीर में असाधारण तरीके से उच्च गतिविधियां और स्ट्रेस हार्मोन पाया जाता है।

सेरोटोनिन मस्तिष्क का केमिकल (न्यूरोट्रांसमीटर) होता है, जो मूड, चिंता और आवेगशीलता से जुड़ा होता है। खुदकुशी करने वाले व्यक्ति के सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूड और मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर सामान्य से कम पाया जाता है।

आत्महत्या के मुख्य कारण

आत्महत्या के पीछे कई परतें होती हैं, जो एक व्यक्ति को उस कड़ी स्थिति तक पहुंचाती हैं। मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

1. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं-मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण हैं। अवसाद (डिप्रेशन), चिंता (एंग्जायटी)और अन्य मानसिक रोग व्यक्ति की सोचने की क्षमता और उसके दृष्टिकोण को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।पहला है-डिप्रेशन । डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति गहरी निराशा और आत्म-मूल्यहीनता महसूस करता है। उसे यह लगने लगता है कि उसकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं है।दूसरा है-एंग्जायटी। इसमे अत्यधिक चिंता व्यक्ति को तनावग्रस्त और मानसिक रूप से कमजोर बना देती है।फिर बाइपोलर डिसऑर्डर और सिज़ोफ्रेनिया है । यह मानसिक विकार व्यक्ति के विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता को बाधित करते हैं।

2. सामाजिक दबाव और कलंक -आज का समाज भी आत्महत्या का एक बड़ा कारण है। व्यक्ति पर अच्छे करियर, उच्च जीवनस्तर और सामाजिक मान्यता प्राप्त करने का दबाव होता है।घरेलू झगड़े, रिश्तों में तनाव और तलाक व्यक्ति को मानसिक रूप से तोड़ सकते हैं।बेरोजगारी, कर्ज और वित्तीय असफलता आत्महत्या के लिए प्रेरित कर सकती है।जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता, और शारीरिक विकलांगता के कारण व्यक्ति अकेलापन महसूस करता है।

3. शैक्षणिक और करियर का तनाव- छात्रों पर बेहतर प्रदर्शन करने और माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करने का भारी दबाव होता है। यह दबाव असफलता के डर को बढ़ाता है और कभी-कभी आत्महत्या की ओर ले जाता है।

4. पिछले आघात और दुर्व्यवहार- बचपन में हुए यौन शोषण, घरेलू हिंसा या मानसिक प्रताड़ना का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर स्थायी रूप से रहता है।आघात के और जीवन को समाप्त करने के संकेत देना।प्रियजनों को विदाई संदेश देना या संपत्ति का दान करना।

3. परिवार और दोस्तों की भूमिका-परिवार और दोस्तों का भावनात्मक समर्थन आत्महत्या के विचारों को कम कर सकता है।व्यक्ति की समस्याओं को गंभीरता से सुनना और समाधान में सहायता करना।

4. शिक्षा और जागरूकता-स्कूल और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।आत्महत्या से जुड़े मिथकों और कलंक को तोड़ना।

5. आपातकालीन सेवाएं-संकट के समय हेल्पलाइन नंबर और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग करना।भारत में "आसरा" और "वायोवा" जैसी हेल्पलाइन सेवाएं उपलब्ध हैं।

मनोवैज्ञानिकों का दृष्टिकोण

1. परामर्श (Counseling)- मनोवैज्ञानिक परामर्श व्यक्ति की समस्याओं और भावनाओं को समझने में मदद करता है। यह उसे अपनी समस्याओं को हल करने के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।

2. संज्ञानात्मक-व्यवहार चिकित्सा (CBT)-CBT का उपयोग नकारात्मक सोच को सकारात्मक दृष्टिकोण में बदलने के लिए किया जाता है।

3. संकटकालीन हस्तक्षेप (Crisis Intervention)-आत्महत्या के जोखिम को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक आपातकालीन हस्तक्षेप करते हैं।

आत्महत्या आज वैश्विक स्तर पर एक गंभीर समस्या बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। यह हर साल लगभग 8 लाख लोगों की जान लेती है। भारत में, यह समस्या और भी गंभीर है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष 1,64,033 लोग आत्महत्या करते हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या एक व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्या है, जिसके पीछे कई परतें होती हैं।

दुनिया भर में हर साल 70 लाख लोग आत्महत्या करते हैं. इससे कई गुना अधिक लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं.विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 15 से 19 साल के युवाओं के बीच मौत की चौथी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है। WHO के अनुसार, आत्महत्या के लगभग 90 प्रतिशत मामलों में व्यक्ति किसी न किसी मानसिक रोग, जैसे अवसाद (डिप्रेशन), चिंता (एंग्जायटी), या बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होता है।भारत में हर 4 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहा है।अवसाद के कारण आत्महत्या करने वालों में से अधिकांश युवावस्था या मध्य आयु वर्ग के लोग होते हैं।

NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में आत्महत्या करने वाले 33 प्रतिशत लोगों ने पारिवारिक समस्याओं को कारण बताया।महिलाओं में घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा और सामाजिक बहिष्कार जैसे मुद्दे आत्महत्या के मुख्य कारणों में आते हैं।जातिगत भेदभाव और लैंगिक असमानता से जुड़े कलंक व्यक्ति को अकेलापन और निराशा का शिकार बना सकते हैं।

2021 में भारत में 11,724 लोगों ने आर्थिक समस्याओं और कर्ज के कारण आत्महत्या की।COVID-19 महामारी के बाद बेरोजगारी और वित्तीय अस्थिरता के कारण आत्महत्या के मामलों में तेजी देखी गई।

छात्रों में आत्महत्या के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं। NCRB के अनुसार, 2021 में 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की, जो कुल आत्महत्याओं का 8% था।शैक्षणिक दबाव, परीक्षा का डर, और माता-पिता की अपेक्षाएं इस समस्या को बढ़ावा देते हैं।

यौन शोषण, बचपन में हुए मानसिक आघात और घरेलू हिंसा के कारण व्यक्ति में आत्महत्या का जोखिम बढ़ जाता है. 2021 में, आत्महत्या करने वाली महिलाओं में 50 प्रतिशत से अधिक ने घरेलू समस्याओं का कारण बताया।

आत्महत्या के परिणाम और प्रभाव

आत्महत्या का सबसे बड़ा असर परिवार पर पड़ता है। परिवार को न केवल शोक का सामना करना पड़ता है, बल्कि सामाजिक कलंक और अपराधबोध भी सहना पड़ता है। WHO के अनुसार, प्रत्येक आत्महत्या से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या 135 है।आत्महत्या से समाज में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी उजागर होती है।आर्थिक दृष्टि से, कार्यबल की कमी और उत्पादकता में गिरावट समाज और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।मानसिक स्वास्थ्य के लिए 2017 में भारत सरकार ने मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट लागू किया। इस कानून के तहत मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं हर व्यक्ति का अधिकार हैं।भारत में ‘आसरा’और ‘वायोवा’ जैसी हेल्पलाइन सेवाएं उपलब्ध हैं।

कभी-कभी लोग आत्महत्या का प्रयास इसलिए नहीं करते क्योंकि वे वास्तव में मरना चाहते हैं, बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि मदद कैसे प्राप्त करें। खुद को मारने के इरादे के बिना आत्महत्या की नकल करना पैरासुसाइड कहलाता है। ऐसे मामलों में, आत्महत्या का प्रयास दुनिया को यह दिखाने का एक तरीका बन जाता है कि वे कितने दुखी हैं।

आत्महत्या के विचार से जुड़ी ग़लतफहमियां क्या-क्या हैं

लोगों में आत्महत्या करने के विचार से जुड़ी कई ग़लतफहमियां होती हैं. एक ग़लतफहमी तो यही है कि लोग अमूमन ये सोचते हैं कि जब तक स्थिति गंभीर नहीं हो तब तक लोग आत्महत्या के बारे में नहीं सोचते हैं.आत्महत्या की बात केवल ध्यान खींचने करने के लिए की जा रही है.आत्महत्या की बात करने से दूसरे लोग प्रेरित हो सकते हैं.दूसरे लोग भी आत्महत्या करने के बारे में सोच सकते हैं.जो लोग पूरी तरह ठीक हैं वे आत्महत्या के बारे में नहीं सोच सकते।

आत्महत्या एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे रोकना संभव है। मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर, परिवार और समाज के सहयोग से और सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाकर आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोका जा सकता है। यह सामूहिक प्रयास से ही संभव है कि हम मानसिक स्वास्थ्य के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करें और इस सामाजिक समस्या का समाधान करें।

Admin 2

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