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Best Motivational Story: शरारती ठाकुर

Best Motivational Story: एक बार की बात है जब वल्लभाचार्य जी एक दिन अपने लाला को सुला रहे थे तो उन्होंने लाला के लिए सुन्दर सा बिछोना बिछाया किन्तु लाला ने सोने से मना कर दिया।

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Published on: 10 Jun 2023 3:00 PM IST
Best Motivational Story: शरारती ठाकुर
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sharaaratee thakur (social media)

Best Motivational Story:

जगतगुरु वल्लभाचार्य जी हमारे श्रीनाथ जी
की सेवा करते थे। उन दोनों में पिता पुत्र का
अद्भुत प्रेम था।

एक बार की बात है जब वल्लभाचार्य जी एक दिन अपने लाला को सुला रहे थे तो उन्होंने लाला के लिए सुन्दर सा बिछोना बिछाया किन्तु लाला ने सोने से मना कर दिया।

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वल्लभाचार्य जी ने पूछा की लाला क्या हुआ
सोता क्यों नहीं । तो लाला बोले की जय जय देखो ना ये बिछोना चुभता है । नींद नहीं आती हमको इस पर।

तब गोसाई जी दूसरा बिछोना लगाते है ।अच्छे से किन्तु लाला कन्हैया उसपे भी सोने से मना कर देते हैं।

ऐसा करके गोसाई जी ने कई बार अलग
अलग तरीके से बिछोना बिछाया । फिर भी
कन्हैया नहीं सोये।

तब गोसाई जी ने डांट के बोला क्यों रे लाला
कैसे सोयेगा?

तब लाला ने गोसाई जी को हाथ पकड़ के अपने बिस्तर पर लिटाया और उनके पेट पर सो गए और बोले जय जय ऐसे सोयेंगे हम।

वल्लभाचार्य जी ने लाड लड़ा लड़ा के लाला को इतना बिगाड़ रखा था कि लाला का जब जी करता किसी को भी पीट के आ जाता था।

एक दिन की बात है लाला ब्रजवासी लडके का रूप धरके दूसरे बच्चों के साथ खेल रहे थे। तभीएक श्रीनाथ जी का जलघडिया वहाँ से गुज़र रहा था।

सब बच्चे बोले की भैया सब आगे से हट जाओ श्रीनाथ जी का जलघडिया आ रहा है।

कोई छु ना देना अपरस में है ये।
लाला कहा मानने वाले थे भीड़ गए जान बुझ के जल्घडिये से।

जल्घडिये को गुस्सा आ गया की मुर्ख बालक अब दुबारा नहाना पड़ेगा और लाला के गाल पे खीच के चांटा मार दिया , लाला अपनी गाल पे हाथ फेरते रह गए।और सोचने लगे की बेटा इसका बदला तो ये नन्द का लड़का बड़े अच्छे से लेगा और चले गए।

एक दिन क्या हुआ गर्मियों का समय था
गोसाई जी ने उसी जल्घडिये को बुलाया और कहा की लाला को गर्मी न लगे इसलिए तुमको श्रीनाथ जी को पंखा झलना है।

जल घडिये ने हाँ कर दी और गोसाई जी अपने कमरे में चले गए। जल घडिया सेवा तो ठीक करता था किन्तु ठाकुर जी में प्रेम नहीं था।

जैसे ही वो श्रीनाथ जी के पास पंखा झलने बैठा तभी उसको नींद आ गई। और पंखा छुटके ठाकुर जी को लग गया।

लाला को गुस्सा तो आया किन्तु सोचा
शिशुपाल के 100 अपराध क्षमा किये थे
इसका एक तो करना बनता है।

ठाकुर जी चुपचाप खड़े हो गए। किन्तु जल
घडिये की फिर से आँख लगी और पंखा फिर छुटके ठाकुर जी के मुख पे लगा।

अबकी बार लाला को आया गुस्सा और अपने गाल पे लगे चांटे को याद किया। फिर तो लाला ने भी जल घडिये को ऐसा खीचकर चाटा मारा की सीधा मंदिर के प्रांगण से बहार जाके गिरा।

चिल्लाने की आवाज़ सुनी तो गोसाई जी भागे भागे आये और देखा तो जल्घडिया अपनी गाल पे हाथ लगाए कोने में बैठा है।

गोसाई जी ने पूछा तो उसने बताया की मैं तो
पंखा झल रहा था तभी अचानक किसी ने
थप्पड़ मारा मुझे।

गोसाई जी सीधे ठाकुर जी के पास गए और
पूछा क्यों रे लाला तूने मारा उसको?

तब लाला बोले जय जय मारता नहीं तो क्या करता मेरी सेवा करते करते सोता है और दो बार पंखा मेरे मुह पे मार दिया।

मैंने भी ऐसा मारा है कि अब कभी सेवा में नहीं सोएगा।

देखिये ऐसा नही है की ठाकुर जी केवल जगत गुरु या पीठाधिस्वरों के साथ ही ऐसी प्रेम लीला करते हैं। उनको तो सुन्दर कोमल हृदय वाले भक्त ही पसंद हैं।

जब राजा राम जी मिथिला गए तो वहाँ की
गोपिकाओं ने पुरुषो ने बच्चों ने सुमन वर्षा की थी और जब कन्हैया मथुरा गए थे।

कंस को मारने तब भी मथुरा निवासिओं ने सुमन वर्षा की सुमन का अर्थ केवल पुष्प नहीं होता सुन्दर मन भी होता है उसी से ठाकुर इतने प्रसन्न हुए थे।

इसलिए बाहरी आडम्बरों को त्यागकर केवल सुंदर हृदय से ठाकुर जी से प्रेम करो।



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