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Bhagavad Gita Quotes: शिक्षा और ज्ञान उसी को मिलता है जिसमें जिज्ञासा होती है
Bhagavad Gita Motivational Quotes: जीवन से लेकर मृत्यु तक के चक्र को बेहद खुबसुरती से श्रीमद भगवत गीता में वर्णित है। आइये एक नज़र डालते हैं इन कोट्स पर।
Bhagavad Gita Motivational Quotes in Hindi: हिंदुओं की सबसे पवित्र पुस्तकों में से एक श्रीमद्भगवद गीता हजारों साल पहले लिखी गई थी। मनुष्य के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक के चक्र को श्रीमद्भगवद गीता में सुंदर ढंग से चित्रित किया गया है। जीवन पर भगवद गीता के उद्धरण बताते हैं कि मोक्ष की प्राप्ति का सूत्र मनुष्य का सांसारिक भ्रम से बाहर आना है। आइये श्री कृष्ण द्वारा दिए इन उपदेशों को हम भी अपने जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करें इन श्रीमद भगवत गीता कोट्स के ज़रिये।
श्रीमद भगवत गीता कोट्स (Bhagavad Gita Motivational Quotes in Hindi)
जो मुझे सर्वत्र देखता है और सब कुछ मुझमें
देखता है,
उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।
एक अनुशासित व्यक्ति अपना तथा समाज व देश का
विकास कर सकता है।
शिक्षा और ज्ञान उसी को मिलता है जिसमें जिज्ञासा होती है।
मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए
और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।
आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो उठो अनुशाषित रहो।
जो पैदा हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है,
जैसे जो मृत है उनके लिए जन्म इसलिए जिसे बदल नहीं सकते उसके लिए शोक मत करो।
अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे,
इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो तुम अपना कर्म करते रहो।
सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं,.
लेकिन झूठ हमेशा दावा करता हैं कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं।
गलतियां ढूंढना गलत नही है बस शुरुआत खुद से होनी चाहिए।
अच्छी नीयत से किया गया काम कभी व्यर्थ नहीं जाता, और उसका फल आपको ज़रूर मिलता है।
जिससे किसी को कष्ट नहीं पहुँचता तथा जो अन्य किसी के द्वारा विचलित नहीं होता,
जो सुख-दुख में भय तथा चिन्ता में समभाव रहता है, वह मुझे अत्यन्त प्रिय है।
क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है।
स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है
और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद का अपना ही नाश कर बैठता है।
जो मनुष्य सुख और दुख में विचलित नहीं होता है,
दोनों में समभाव रखता है वह मनुष्य निश्चित रूप से मुक्ति के योग्य हैं।
आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं,
न आग उसे जला सकती है,
न पानी उसे भिगो सकता है,
न हवा उसे सुखा सकती है।
ध्यान का अर्थ है भीतर से मुस्कुराना
और सेवा का अर्थ है इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना।
हृदय से जो दिया जा सकता है वो हाथ से नहीं
और मौन से जो कहा जा सकता है वो शब्द से नहीं।
समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील है
इनपर कभी अहंकार नही करना चाहिए।
सुकून संसार की सबसे महँगी वस्तू है,
जो केवल आपको प्रभु की भक्ति से ही मिलेगी ।
मनुष्य की मानवता उसी समय नस्ट हो जाती है,
जब उसे दूसरों के दुख में हसीं आने लगती।