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Bhagavad Gita Quotes: श्री कृष्ण कहते हैं सच्चा प्रेम स्वार्थी आसक्ति और अधिकार की लालसा से मुक्त होता है

Bhagavad Gita Quotes: भगवत गीता (श्रीमद्भगवद्गीता) में श्री कृष्ण ने मनुष्य को जीने की सही राह और उसका सार बताया है आइये एक नज़र डालते हैं भगवत गीता कोट्स पर।

Shweta Srivastava
Published on: 7 Jun 2024 7:00 AM IST (Updated on: 7 Jun 2024 7:00 AM IST)
Bhagavad Gita Quotes
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Bhagavad Gita Quotes (Image Credit-Social Media)

Bhagavad Gita Quotes: भगवत गीता (श्रीमद्भगवद्गीता) जीवन का सार है जिस भी मनुष्य ने इसे समझ लिया उसका जीवन सफल हो जाता है। महाभारत काल में जब रणभूमि में अर्जुन अपने की परिवार के सामने हथियार लिए खड़े थे तब वो असमंजस की स्तिथि में थे कोई उनका गुरु तो कोई पितामह इन सबपर वो कैसे वार करें। इस स्थिति में भगवान् श्री कृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान दिया जिसने उन्हें जीवन का सही अर्थ समझाया। आइये इस महान ग्रन्थ में वर्णित इन सभी ज्ञान की बातों पर एक नज़र डालें।

भगवत गीता कोट्स (Bhagavad Gita Quotes)

"यदि तुम सभी पापियों में सबसे अधिक पापी हो, तो भी तुम ज्ञान की नाव से सभी पापों को पार कर जाओगे।"

परिवर्तन के लिए ज्ञान एक शक्तिशाली उपकरण है। "जिसके पास कोई आसक्ति नहीं है, वह वास्तव में दूसरों से प्रेम कर सकता है, क्योंकि उसका प्रेम शुद्ध और दिव्य है।"

सच्चा प्रेम स्वार्थी आसक्ति और अधिकार की लालसा से मुक्त होता है।

"महान व्यक्ति जो भी कार्य करता है, सामान्य व्यक्ति उसके पदचिन्हों पर चलता है।"

समाज पर अनुकरणीय व्यक्तियों का प्रभाव, "किसी का अपना कर्तव्य, भले ही वह गुणहीन हो, किसी दूसरे के अच्छे से निभाए गए कर्तव्य से बेहतर है।"

अपने स्वयं के मार्ग का अनुसरण करने का महत्व, "एक उपहार तभी शुद्ध होता है जब वह सही समय और सही जगह पर सही व्यक्ति को दिल से दिया जाता है, और जब हम बदले में कुछ भी उम्मीद नहीं करते हैं।"

निःस्वार्थ दान की पवित्रता,"किसी और के जीवन की नकल करके पूर्णता के साथ जीने की अपेक्षा अपने भाग्य को अपूर्ण रूप से जीना बेहतर है।"

अपना जीवन जीने में प्रामाणिकता। "मैं सभी प्राणियों के लिए एक समान हूँ। मैं किसी का पक्ष नहीं लेता, न ही मैं किसी के प्रति पक्षपाती हूँ। मैं सभी का पिता हूँ और सभी के लिए एक समान हूँ।"

ईश्वर का सार्वभौमिक प्रेम और निष्पक्षता। “सभी प्रकार के हत्यारों में समय सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि समय हर चीज को मार देता है।”

समय की अथक शक्ति,"सत्य को जानने वाला बुद्धिमान व्यक्ति सोचता है, 'मैं कुछ भी नहीं करता'; क्योंकि देखने, सुनने, छूने, सूंघने, खाने, चलने, सोने, सांस लेने में वह सोचता है, 'इंद्रियां इंद्रिय विषयों के बीच घूमती हैं।'"

यह बोध कि कर्म इन्द्रियों द्वारा किये जाते हैं तथा आत्मा इन कर्मों से परे है।



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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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