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Bhagwat Geeta Quotes: श्री कृष्ण कहते हैं क्रोध से भ्रम पैदा होता है भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है
Bhagwat Geeta Quotes: भगवत गीता में भगवान् श्री कृष्ण के द्वारा दिए जीवन के सबसे बड़े ज्ञान मौजूद है आइये इसपर एक नज़र डालते हैं।
Bhagwat Geeta Quotes: भगवत गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया वो आज भी हर मनुष्य को समझना बेहद ज़रूरी है क्योंकि जीवन में ऐसे कई मोड़ आते हैं जब व्यक्ति को नहीं समझ आता क्या किया जाये और क्या नहीं। वहीँ इस समय उनका साथ गीता में लिखीं ये बातें करतीं हैं। जो मनुष्य को हर परिस्थिति में धैर्य रखना और चिंतामुक्त रहना भी सिखाती है।
भगवत गीता कोट्स (Bhagwat Geeta Quotes)
- इस जीवन में कुछ भी खोया या व्यर्थ नहीं है।
- हमेशा संदेह करने वाले के लिए न तो इस दुनिया में और न ही कहीं और कोई खुशी है।
- किसी दुसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है की हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें
- अगर आपको कोई अच्छा लगता है तो अच्छा वो नहीं, बल्कि अच्छे आप हो क्योंकि उसमें अच्छाई देखने वाली नजर आपके पास है।
- सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा, आपसे हर मसले पर बात करेगा. लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा।
- अगर आपको झुकना है तो किसी के विनम्रता के आगे झुके, किसी के शक्ति के आगे, रूप के आगे, और धन के आगे तो बिलकुल भी मत झुकना।
- हमेशा संदेह करने से खुद का ही नुकसान होता है, संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न ही इस लोक में है और न ही किसी और लोक में।
- जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है,क्यों कि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है, ऐसे पुरुष के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी एवं मान-अपमान एक से हैं।
- क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है,तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
- जो बीत गया उस पर दुख क्यों करना, जो है उस पर अहंकार क्यों करना, और जो आने वाला है उसका मोह क्यों करना।
- जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार भजता है यानी जिस इच्छा से मेरा स्मरण करता है, उसी के अनुरूप मैं उसे फल प्रदान करता हूं, सभी लोग सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।
- आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है, न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है, आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।
- आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है, न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है,आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।
- जब भविष्य धुंधला पड़ने लग जाता है, त आपको अपने वर्तमान में ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- कर्म करो और फल की चिंता मत करो।
- ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है वही सही मायने में देखता है।
- जो कर्म प्राकृतिक नहीं है वह हमेशा आपको तनाव देता है।
- जिसने कर्म त्याग दिया है, उसे कर्म नहीं बांधता।
- जब मनुष्य की बुद्धि, मन, श्रद्धा तथा शरण सब कुछ भगवान् में स्थिर हो जाते हैं, तभी वह पूर्णज्ञान द्वारा समस्त कल्मष से शुद्ध होता है और मुक्ति के पथ पर अग्रसर होता है।
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