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Bhagwat Geeta Quotes: श्री कृष्ण कहते हैं व्यक्ति या जीव का कर्म ही उसके भाग्य का निर्माण करता है
Bhagwat Geeta Quotes: भगवत गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए हैं उन्हें लिपिबद्ध किया गया है आइये जानते हैं हैं श्री कृष्ण।
Bhagwat Geeta Quotes: भगवत गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत की रणभूमि में ज्ञान दिया वहीँ उन्होंने हर मनुष्य को ये समझाया कि उनके लिए कौन सा मार्ग सही है और कौन सा नहीं। भगवत गीता की ये प्रेरक बातें आपके लिए काफी मदददगार साबित होंगीं और भविष्य में आपको दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करना है ये भी जानते हैं।
भगवत गीता कोट्स (Bhagwat Geeta Quotes)
“जीवन में आधे दु:ख इस वजह से आते है, क्यूंकि हमने उनसे आशाऐं रखी जिन से हमें नहीं रखनी चाहिए थी।”
“मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।”
“बहुत विनम्रता चाहिए रिश्तों को निभाने के लिए, छल कपट से तो सिर्फ महाभारत रची जाती है।”
“व्यक्ति या जीव का कर्म ही उसके भाग्य का निर्माण करता है।”
“वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है। मैं और मेरा की लालसा तथा भावना से मुक्त हो जाता है। उसे शांति प्राप्त होती है।”
“उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा। जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता।”
“वर्तमान परिस्थिति में जो तुम्हारा कर्तव्य है, वही तुम्हारा धर्म है।”
“इस संसार में मूर्ख व्यक्ति, अधर्मी, अज्ञानी व नास्तिक प्रकृति का व्यक्ति, मेरी शरण स्वीकार नहीं कर सकता।”
“उस इंसान का मंजिल से भटक जाना तय है जिसकी संगत में नकारात्मक लोग रहते हैं।”
“श्री कृष्ण कहते हैं एक बार माफ़ करके अच्छे बन जाओ। पर दुबारा उसी इन्सान पर भरोसा करके बेवकूफ कभी न बनो।”
“दिव्यता केवल शक्तिशाली होने में नहीं, बल्कि वास्तविक दिव्यता दूसरों में शक्ति जाग्रत करने में है।”
“मन बहुत चंचल है, जो इंसान के दिल में उथल-पुथल कर देता है।”
जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा अच्छा होगा। स्वयं को मुझ पर छोड़ दो अपने कर्म पर ध्यान दो। कर्म ऐसा जो स्वार्थरहित पापरहित हो।”
“न हार चाहिए ना जीत चाहिए। जीवन में अच्छी सफलता के लिए परिवार और कुछ मित्र का साथ चाहिये।”
“इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढ़ता है, और इच्छा पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है। इसलिये जीवन की हर स्थिति में धैर्य बनाये रखना।”
“धर्म केवल कर्म से होता है कर्म के बिना धर्म की कोई परिभाषा ही नहीं है।”
“कृष्ण कहते हैं जैसे प्राणी अपने पुराने कपड़ों उतार कर फेंक देता है, नए को धारण करता है। उसी प्रकार यह आत्मा पुराने शरीर से त्याग करके नया शरीर प्राप्त करती हैं।”
“कृष्ण ने दुष्टों को भी अपनी गलती सुधारने का मौका दिया, क्योकि वो किसी मनुष्य को नहीं उसके अंदर के बुराई को मारना चाहते थे।”
“लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है।”
“कृष्ण कहते हैं जब – जब संसार में धर्म की हानि होगी, अधर्म की विजय। तब – तब मैं इस पृथ्वी पर अवतार लूंगा।”
“जीवन में कभी भी किसी से अपनी तुलना मत कीजिये, आप जैसे हैं सर्वश्रेष्ठ हैं।”
“स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं। और प्रेम से बने रिश्तों को कितना भी तोड़ने की कोशिश करें, वो कभी नही टूटते।”
“प्रेम सदैव माफी मांगना पसंद करता है और अहंकार सदैव माफी सुनना पसंद करता है।”