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Bhagwat Geeta Quotes: श्री कृष्ण कहते हैं कर्म वह फसल है जिसे इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है
Bhagwat Geeta Quotes: महाभारत काल में श्री कृष्ण द्वारा कही बातें आज के समय में भी सार्थक सिद्ध होतीं हैं वहीँ आज हम आपके लिए गीता के कुछ श्लोक लेकर आये हैं आइये इसपर एक नज़र डालते हैं।
Bhagwat Geeta Quotes: महाभारत हिन्दुओं का महान महाकाव्य है ये पांचवां वेद माना जाता है। मानव शरीर के लिए हृदय का जो महत्व है, वहीँ महाकाव्य में गीता का स्थान है। महाभारत काल में श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया गया। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ भगवत गीता श्लोक लेकर आये हैं। आइये एक नज़र डालते हैं भगवत गीता श्लोक पर।
भगवत गीता कोट्स (Bhagwat Geeta Quotes)
- “अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है।”
- “सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और।”
- “फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।”
- “जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।”
- “मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।”
- “धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।”
- “लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है।”
- “तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो, तुम क्या लाए थे जो तुमने खो दिया, तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया, तुमने जो लिया यहीं से लिया, जो दिया यहीं पर दिया, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का होगा। क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है।”
- “सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है। एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प।”
- “मैं भूतकाल, वर्तमान और भविष्य काल के सभी जीवों को जानता हूं, लेकिन वास्तविकता में मुझे कोई नही जानता है।”
- “जो पुरुष सुख तथा दुख में विचलित नहीं होता और इन दोनों में समभाव रहता है, वह निश्चित रूप से मुक्ति के योग्य है।”
- “कर्म वह फसल है जिसे इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है इसलिए हमेशा अच्छे बीज बोए ताकि फसल अच्छी हो।”
- “जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते, वे मुझे पा नहीं सकते। अतः वे इस दुनिया में जन्म-मृत्यु के रास्ते पर वापस आते रहते हैं।”
- “मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम भी मैं ही हूँ।”
- “वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं ” और “मेरा ” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शान्ति प्राप्त होती है।”
- “वह व्यक्ति जो अपनी मृत्यु के समय मुझे याद करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है और इसमें कोई शंशय नही है।”
- “मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय, किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वो मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूँ।”
- “मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।”
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