Bhagwat Geeta Quotes: श्री कृष्ण कहते हैं समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील है इनपर कभी अहंकार नही करना चाहिए

Bhagwat Geeta Quotes: भगवान् श्री कृष्ण ने कई ज्ञान की बातें भगवत गीता के माध्यम से बताईं जिन्हे आज भी तर्कसंगत माना जाता है साथ ही जो मनुष्य इसमें बताये मार्ग पर चलता है वो मुक्ति प्राप्त करता है।

Shweta Srivastava
Published on: 25 Aug 2024 12:45 AM GMT (Updated on: 25 Aug 2024 12:45 AM GMT)
Bhagwat Geeta Quotes
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Bhagwat Geeta Quotes (Image Credit-Social Media)

Bhagwat Geeta Quotes: भगवत गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया वो आज भी हर एक मनुष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने गीता में कहा है कि मनुष्य को अहंकार, ईर्ष्या, स्वार्थ, द्वेष आदि बुराइयों से दूर रहना चाहिए। ऐसे में भगवत गीता हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और महान ग्रंथों में से एक है। आइये एक नज़र डालते हैं भगवत गीता के इन्ही कुछ अमोल विचारों पर आइये एक नज़र डालते हैं जो आपके जीवन में काम आयेंगें।

भगवत गीता के अनमोल विचार (Bhagwat Geeta Quotes)

जो मुझे सर्वत्र देखता है और सब कुछ मुझमें देखता है,

उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।

एक अनुशासित व्यक्ति अपना तथा समाज व देश का

विकास कर सकता है।

शिक्षा और ज्ञान उसी को मिलता है जिसमें जिज्ञासा होती है।

मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए

और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।

आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो उठो अनुशाषित रहो।

जो पैदा हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है,

जैसे जो मृत है उनके लिए जन्म इसलिए जिसे बदल नहीं सकते उसके लिए शोक मत करो।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे,

इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो तुम अपना कर्म करते रहो।

सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं,.

लेकिन झूठ हमेशा दावा करता हैं कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं।

गलतियां ढूंढना गलत नही है बस शुरुआत खुद से होनी चाहिए।

अच्छी नीयत से किया गया काम कभी व्यर्थ नहीं जाता, और उसका फल आपको ज़रूर मिलता है।

जिससे किसी को कष्ट नहीं पहुँचता तथा जो अन्य किसी के द्वारा विचलित नहीं होता,

जो सुख-दुख में भय तथा चिन्ता में समभाव रहता है, वह मुझे अत्यन्त प्रिय है।

क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है।

स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है।

और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद का अपना ही नाश कर बैठता है।

जो मनुष्य सुख और दुख में विचलित नहीं होता है,

दोनों में समभाव रखता है वह मनुष्य निश्चित रूप से मुक्ति के योग्य हैं।

आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं,

न आग उसे जला सकती है,

न पानी उसे भिगो सकता है,

न हवा उसे सुखा सकती है।

ध्यान का अर्थ है भीतर से मुस्कुराना

और सेवा का अर्थ है इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना।

हृदय से जो दिया जा सकता है वो हाथ से नहीं

और मौन से जो कहा जा सकता है वो शब्द से नहीं।

समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील है

इनपर कभी अहंकार नही करना चाहिए।

Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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