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Sabse Imandar Mukhyamantri: माणिक सरकार, भारत के सबसे ईमानदार और गरीब मुख्यमंत्री के 20 साल सत्ता मे बने रहने का सफर
Most Honest CM Manik Sarkar Biography: क्या आप जानते हैं कि कौन हैं माणिक सरकार जिन्हे भारत के सबसे ईमानदार और गरीब मुख्यमंत्री कहा जाता है। आइये जानते हैं उनके 20 साल सत्ता मे बने रहने का सफर कैसा था।
Manik Sarkar Biography in Hindi: माणिक सरकार का जन्म 22 जनवरी, 1949 को त्रिपुरा के एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता अमूल्य सरकार और मां अणाली सरकार समाजवादी विचारधारा के समर्थक थे। माणिक सरकार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा त्रिपुरा के स्थानीय स्कूल से प्राप्त की और उसके बाद अगरतला के महाराजा बिड़ान चंद्र कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज के दिनों में ही वे वामपंथी विचारधारा से प्रभावित हुए और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़ गए।दिग्गज सीपीएम नेता और त्रिपुरा के 20 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे माणिक सरकार के पास खुद का अपना घर नहीं है। मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें जो सरकारी आवास मिला था, वह भी अब उन्होंने खाली कर दिया है। माणिक सरकार की पहचान देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री के रूप में रही है। उनके पास न तो संपत्ति है और न ही बैंक बैलेंस। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी सैलरी से सिर्फ अपने व्यक्तिगत खर्चों को पूरा किया और बाकी रकम पार्टी को दान कर दी। अब, इस स्थिति में उनका सामना रहने की समस्या से हो रहा है।
माणिक सरकार का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता दर्जी का कार्य करते थे, जबकि उनकी मां राज्य सरकार की कर्मचारी थीं। सरकार ने महाराजा बीर बिक्रम कॉलेज, अगरतला, त्रिपुरा से बी.कॉम की डिग्री प्राप्त की।
कॉलेज के दिनों में ही माणिक सरकार छात्र आंदोलनों में सक्रिय हो गए और 1968 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बने। मार्च 1998 में वे त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बने और लगातार चार बार इस पद पर निर्वाचित हुए। वर्तमान में, वे त्रिपुरा विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत हैं।
माणिक सरकार ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1972 में की, जब वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की युवा शाखा से जुड़े। उनकी नेतृत्व क्षमता और समाज के प्रति समर्पण ने उन्हें जल्द ही पार्टी में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। 1980 में वे त्रिपुरा विधान सभा के सदस्य बने।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
माणिक सरकार ने 1998 में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद वे लगातार 20 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे, जो त्रिपुरा के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। उनके नेतृत्व में त्रिपुरा ने कई क्षेत्रों में प्रगति की, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में।
सबसे गरीब मुख्यमंत्री
माणिक सरकार को भारत का 'सबसे गरीब मुख्यमंत्री' कहा जाता है। इसके पीछे का कारण उनका सादा जीवन और ईमानदारी है। वे अपनी पत्नी पांचाली भट्टाचार्य, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं, के साथ एक छोटे से घर में रहते थे। उनके पास कोई व्यक्तिगत संपत्ति या बैंक बैलेंस नहीं था। अपनी मुख्यमंत्री की तनख्वाह का अधिकांश हिस्सा वे पार्टी फंड और समाजसेवा के लिए दान कर देते थे।
भ्रष्टाचार-मुक्त छवि
माणिक सरकार की सबसे बड़ी पहचान उनकी ईमानदारी और सादगी रही है। उनके 20 साल के कार्यकाल के दौरान उन पर कभी भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। वे सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं करते थे। उन्होंने हमेशा जनता के पैसे को जनता के कल्याण में ही खर्च किया।
त्रिपुरा का विकास
माणिक सरकार के कार्यकाल में त्रिपुरा ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की
- शिक्षा और स्वास्थ्य: उनके नेतृत्व में राज्य में साक्षरता दर बढ़कर 96 प्रतिशत हो गई, जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए।
- ग्रामीण विकास: माणिक सरकार ने मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ।
- शांति और स्थिरता: उनके कार्यकाल में त्रिपुरा ने उग्रवाद से निपटने और शांति स्थापित करने में बड़ी सफलता प्राप्त की। उन्होंने आदिवासी समुदायों के लिए विशेष योजनाएं शुरू कीं और उनके विकास पर ध्यान दिया।
आलोचनाएं और चुनौतियां
हालांकि माणिक सरकार की ईमानदारी और सादगी की हमेशा प्रशंसा हुई, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान कुछ आलोचनाएं भी हुईं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि उनके शासन में औद्योगिक विकास धीमा रहा और बेरोजगारी की समस्या पूरी तरह हल नहीं हो पाई। फिर भी, उनकी भ्रष्टाचार-मुक्त छवि ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाए रखा।
राजनीति से संन्यास
2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और माणिक सरकार मुख्यमंत्री पद से हट गए। इसके बाद भी वे सक्रिय राजनीति में बने रहे और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता के रूप में कार्य करते रहे।
पार्टी कार्यालय में निवास का फैसला
माणिक सरकार की पत्नी, पांचाली भट्टाचार्य, जो केंद्रीय कर्मचारी के रूप में सेवानिवृत्त हो चुकी हैं, के साथ माणिक अब त्रिपुरा की राजधानी अगरतला स्थित पार्टी कार्यालय में रहने का फैसला लिया है। माणिक सरकार और उनकी पत्नी अब इसी पार्टी दफ्तर में रहते हैं ।
बैंक खाते में महज 9720 रुपये
माणिक सरकार की पत्नी पांचाली का कहना है , वे मार्क्सवादी साहित्य और किताबों को पार्टी कार्यालय की लाइब्रेरी और बीरचंद्र सेंट्रल लाइब्रेरी में दान कर देंगी। माणिक सरकार के पास कुल चल और अचल संपत्ति की कीमत ढाई लाख रुपए से भी कम है। विधानसभा चुनावों में नामांकन दाखिल करते हुए माणिक सरकार ने अपने शपथपत्र में यह बताया था कि उनके पास सिर्फ 1,080 रुपये नकद थे और उनके बैंक खाते में महज 9,720 रुपये थे।
रसोई में बने खाने पर ही होगा गुजारा
सीपीएम राज्य इकाई के मुताबिक, माणिक सरकार ने अपना सरकारी आवास खाली कर दिया है और अब पार्टी के गेस्ट हाउस के एक कमरे में रहेंगे, जो उनके पुराने सरकारी आवास से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। माणिक सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह वही खाएंगे, जो पार्टी कार्यालय की रसोई में बनेगा। उन्होंने अपनी किताबें, कपड़े और कुछ सीडी पार्टी कार्यालय में भेज दी हैं। यदि नई सरकार उन्हें सरकारी आवास देती है, तो वह उसमें रहने के लिए तैयार होंगे।
माणिक सरकार का जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि राजनीति में भी ईमानदारी और सादगी के साथ काम किया जा सकता है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान त्रिपुरा को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया और जनता के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई। वे न केवल त्रिपुरा बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनका जीवन एक उदाहरण है कि कैसे सादगी और ईमानदारी के साथ भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।माणिक सरकार का जीवन और राजनीतिक सफर सादगी, ईमानदारी और जनसेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनकी नेतृत्व शैली और निस्वार्थ सेवा भाव ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।