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Bharat Ki Famous Mahila Sarpanch: भारत के गांवों का भाग्य बदल रहीं ये महिला सरपंच, जानें इन जुझारू महिलाओं के बारे में

Bharat Ki Famous Mahila Sarpanch Inspirational Stories: बदलते समय के साथ भारत के गांवों में बहुत-सी महिला सरपंच नियुक्त की गईं, जिन्होंने पारंपरिक मानदंडों को तोड़ते हुए विकास को बढ़ावा दिया और अपने गांवों में परिवर्तनकारी बदलाव भी किए।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 29 Jan 2025 1:41 PM IST
Bharat Ki Famous Mahila Sarpanch Inspirational Stories in Hindi
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Bharat Ki Famous Mahila Sarpanch Inspirational Stories in Hindi(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Bharat Ki Famous Mahila Sarpanch: भारत के 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने स्थानीय सरकारों यानी गांव से लेकर ज़िले स्तर तक की पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण का काम किया है। इस संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थानों में चुनाव के दौरान न केवल एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का मार्ग सुनिश्चित किया, बल्कि पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का भी काम किया है। ग्रामीण पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी के मामले में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। भारत में 1.45 मिलियन से अधिक महिलाएं स्थानीय स्तर पर फैसले लेने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

ज़ाहिर है कि स्थानीय शासन, सतत विकास और लैंगिक समानता के बीच निर्वाचित महिला प्रतिनिधि एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। बदलते समय के साथ भारत के गांवों में बहुत-सी महिला सरपंच नियुक्त की गईं, जिन्होंने पारंपरिक मानदंडों को तोड़ते हुए विकास को बढ़ावा दिया। भारत की महिला सरपंचों ने अपने गांवों में परिवर्तनकारी बदलाव भी किए।

इस अधिनियम की बदौलत ग्रामीण राजनीति में महिलाओं की स्थिति में ज़बरदस्त सुधार हुआ है। भारत जैसे देश में, जहां की राजनीति विविधितापूर्ण है, राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य और ग्रामीण स्तर तक फैली हुई है, वहां पंचायत स्तर फैसले लेने वालों में 1.45 मिलियन से अधिक महिलाएं प्रमुख भूमिका निभा रही हैं और भारत के ग्रामीण इलाकों का भाग्य बदल रहीं हैं। आइए जानते हैं उन महिला सरपंच नेताओं के बारे में जिन्होंने ग्रामीण भारत में बदलाव लाने में अपना अथक योगदान दिया है।

महिला सरपंच आरती देवी (Mahila Sarpanch Aarti Devi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

महिला सरपंच की लिस्ट में ओडिशा के गंजम जिले की पूर्व सरपंच आरती देवी महिला सशक्तिकरण की प्रतीक मानी जाती हैं। शहर में एक सफल बैंकर से ग्रामीण इलाके का सरपंच बनने तक का इनका सफर वाकई ग्रामीण भारत के विकास के प्रति इनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आरती ने इंटरनेशनल विजटर्स लीडरशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया था और वहां पर सराहना पाई थी। 29 साल की उम्र में आरती को सरपंच नियुक्त किया गया था।

महिला सरपंच अत्रम पद्मा बाई (Mahila Sarpanch Atram Padma Bai)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गोंड आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली अत्रम पद्मा बाई तेलंगाना के 8 आदिवासी गांवों की परिषद की प्रमुख हैं। पद्मा ने गांव में आदिवासी बच्चों के लिए स्कूल और वृद्धजनों को साक्षर करने के लिए वयस्क साक्षरता कार्यक्रम आयोजित किए। उन्होंने 2013 में, एक एनजीओ से लोन लेकर खेती के औजारों को किराए पर देने के लिए एक सेंटर बनाया। उनका मानना था कि गरीब किसान अपनी फसलों को काटने के लिए महंगे औजार नहीं खरीद सकते हैं। इसलिए, उन्हें किराए पर औजार उपलब्ध कराए जाएं।

महिला सरपंच राधा देवी (Mahila Sarpanch Radha Devi)

मुरतक गांव की सरपंच राधा देवी खुद 5वीं तक शिक्षित हैं। लेकिन वह सुनिश्चित करती हैं कि उनके गांव की महिलाएं और लड़कियां शिक्षित बनें। राधा को स्थानीय मीडिया और सरकारी मंचों से उनके सतत प्रयास की वजह से काफी सराहना भी मिली है। ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के प्रति अपने अथक प्रयास की वजह से राधा देवी ने राजस्थान के मुरतक गांव में सकरात्मक बदलाव लाए।

महिला सरपंच भक्ति शर्मा (Mahila Sarpanch Bhakti Sharma)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सरपंच भक्ति शर्मा ने अपने गांववालों को डिजिटल साक्षर बनाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोले, ताकि उन तक ऑनलाइन सरकारी योजनाएं और सेवाएं पहुंच सकेअमेरिका से पढ़कर आई, भक्ति शर्मा ने साल 2016 में ग्राम परिषद का चुनाव लड़ा और भोपाल के बरखेड़ी अब्दुल्ला गांव की सरपंच बनीं। उन्हें देश की 100 सबसे प्रतिभाशाली महिलाओं में जगह भी मिली। पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएट, भक्ति ने अपने गांव का डिजिटलीकरण करने के लिए ई-गवर्नेंस पहल की शुरुआत की।

महिला सरपंच छवि राजावत (Mahila Sarpanch Chhavi Rajawat)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

छवि को पहचान साल 2011 में संयुक्त राष्ट्र के सूचना-गरीबी विश्व सम्मेलन में दिए गए संबोधन से मिली। छवि राजावत ने भारत की सबसे कम उम्र की महिला सरपंच होने का गौरव पाया है। राजस्थान के जयपुर में जन्मीं छवि ने राजस्थान के टोंक जिले के सोडा गांव की सरपंच बनने के लिए अपना कॉर्पोरेट करियर तक छोड़ दिया। उन्होंने अपने गांव में पानी, सौर ऊर्जा, पक्की सड़कें, शौचालय और बैंक लाने में अहम रोल अदा किया।

महिला सरपंच सुषमा भादू (Mahila Sarpanch Sushma Bhadu)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सुषमा ने हर घर शौचालय, घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा जैसे मुद्दों पर आवाज उठाई। उन्होंने गांव में महिलाओं और लड़कियों के लिए स्कूल और प्रशिक्षण केंद्र की व्यवस्था की।हरियाणा के सिरसा जिले के ढाणी मियां खान गांव की सरपंच हैं सुषमा भादू, जिन्होंने पितृसत्तात्मक समाज में पर्दा प्रथा को खत्म करके और महिलाओं को सशक्त बनाया।

महिला सरपंच मीना बेन (Mahila Sarpanch Meena Ben)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मीना बेन ने गांव में महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया और गांव में स्कूल, स्वास्थ्य सेवा केंद्र और शौचालय की व्यवस्था करवाई। गुजरात के व्यारा जिले की सरपंच और महिला पंचायत बोर्ड की प्रमुख मीना बेन ने अपने गांव में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके गांव में महिलाओं को घर से बाहर निकलने और पुरुषों से बात करने तक की अनुमति नहीं थी, लेकिन मीना ने अपने गांव में महत्वपूर्ण बदलाव लाया।

महिला सरपंच वंदना बहादुर मैदा (Mahila Sarpanch Vandana Bahadur Maida)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

वंदना बहादुर मैदा ने गांव में बिजली, पानी और सड़कों की सुविधा प्रदान की। मध्य प्रदेश के खानखंडवी गांव की सरपंच वंदना बहादुर मैदा का काम संयुक्त राष्ट्र कैलेंडर 2013 में शामिल किया गया था। उन्होंने लैंगिक समानता और महिलाओं के उत्थान के लिए बहुत काम किया। उन्होंने गांव की महिलाओं को वित्तीय रूप से स्वतंत्र करने के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया। वंदना ने गांव में स्वास्थ्य शिविर कार्यक्रमों का आयोजन किया।



Shreya

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