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Famous IAS Anna Rajam Malhotra: भारतीय नौकरशाही में साहस, दृढ़ संकल्प और लिंग सशक्तिकरण की मिसाल मानी जाती हैं अन्ना राजम मल्होत्रा

Bharat Ki Pahli IAS Mahila: अन्ना राजम मल्होत्रा ने 1951 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होकर, ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनने का गौरव हासिल किया था। आइए जानें इनके जीवन के बारे में।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 3 Feb 2025 11:27 AM IST
IAS Anna Rajam Malhotra: भारतीय नौकरशाही में साहस, दृढ़ संकल्प और लिंग सशक्तिकरण की मिसाल मानी जाती हैं अन्ना राजम मल्होत्रा
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IAS Anna Rajam Malhotra (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Bharat Ki Pahli IAS Mahila Anna Rajam Malhotra: भारत में नारी के रूप में शक्ति की उपासना करने की परंपरा आदि काल से चलती चली आ रही है। वेदों और धर्म ग्रंथों में भी नारी को बहुत ही सम्मान की दृष्टि से देखा गया है। यही वजह कि हमारे धार्मिक रीति रिवाजों में देवताओं के साथ ही साथ देवियों को भी पूजे जाने की परंपरा है। समय-समय राष्ट्र और कुल की रक्षा के लिए हमारे देश की नारियों ने अपने अदम्य साहस का परिचय देकर अपना नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया है। हालांकि समाज का एक वर्ग आज भी अस्तित्व में है, जहां लिंगभेद की स्थिति बेहद असंतोषजनक है। जहां बेटियों को पढ़ने और आगे बढ़ने पर प्रतिबंध लगाया जाता है।

इन सारी चुनौतियों और बाधाओं को पार कर देश की महिलाओं ने राष्ट्र की रक्षा के लिए सेना से लेकर शिक्षा, चिकित्सा, उद्यम आदि लगभग हर क्षेत्र में जहां अब तक पुरुषों का बोलबाला था, वहां आज अपनी मजबूत भागीदारी तय की है। जिनकी उपलब्धियों और साहस को लेकर बहुत सी मिसालें दी जाती हैं। हर क्षेत्र में अग्रणी रहकर महिलाओं ने साबित किया है कि वो किसी से कम नहीं हैं। आजादी के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बना। इसके बाद से देश में विकास होना शुरू हुआ। भारत के विकास में भी महिलाओं का भी अहम योगदान रहा है।

देश के विकास के साथ ही महिलाओं की स्थिति भी समाज के हर क्षेत्र में मजबूत हुई। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण आईएएस अधिकारी, अन्ना राजम मल्होत्रा (Anna Rajam Malhotra) के रूप में देखने को मिलता है। दृढ़ संकल्प, बुद्धिमत्ता और एक अटूट भावना के साथ, उन्होंने बाधाओं को तोड़ा और अनगिनत महिलाओं के अनुसरण के लिए एक से एक शानदार मिसाल बनी हैं। लोक प्रशासन के क्षेत्र में एक यूपीएससी आईएएस अधिकारी के रूप में उनकी शानदार उपलब्धियों ने न केवल महिलाओं के लिए बनाई गईं कांच की छतें तोड़ दीं बल्कि सशक्तिकरण और प्रगति का प्रतीक भी बन गईं। आइए हम अन्ना राजम मल्होत्रा की प्रेरक यात्रा के बारे में जानते हैं।

अन्ना राजम मल्होत्रा का आरंभिक जीवन (Anna Rajam Malhotra First Woman IAS Officer Biography In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

17 जुलाई, 1927 को अन्ना का जन्म केरल के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके दादा प्रसिद्ध मलयालम लेखक पैलो पॉल थे। अन्ना केरल की कोज़ीकोड डिस्ट्रिक्ट में पली-बढ़ीं। वह बचपन से ही बहुत होशियार थीं। उन्होंने प्रोविडेंस वुमन्स कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद अपनी बैचलर्स की डिग्री मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज से की।इसके बाद मद्रास स्थानांतरित होने के बाद मद्रास विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की। 1950 में, अन्ना ने सिविल सेवा परीक्षा का प्रयास करके अपने करियर में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। उस समय उसे कम ही पता था कि वह इस परीक्षा के साक्षात्कार दौर के लिए अर्हता प्राप्त करने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास रच रही थी।

उप जिलाधिकारी के रूप में तैनाती देने से हिचकिचा रहे थे मुख्यमंत्री सी राजगोपालचारी

1951 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होकर ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनने का गौरव हासिल किया। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अन्ना की पहली पोस्टिंग मद्रास राज्य में हुई थी तब मुख्यमंत्री सी राजगोपालचारी उन्हें उप जिलाधिकारी के रूप में तैनाती देने से हिचकिचा रहे थे। लेकिन बाद में उन्हें मद्रास राज्य में उप जिलाधिकारी पद पर तैनाती दी गई। इस पद को प्राप्त करने वाली भी वो पहली महिला थीं।

दो प्रधानमंत्रियों और सात मुख्यमंत्रियों के साथ अन्ना राजम मल्होत्रा ने किया काम

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अन्ना मल्होत्रा को बोर्ड से निराशा का सामना करना पड़ा, जिसमें यूपीएससी के अध्यक्ष आरएन बनर्जी सहित चार आईएस अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने सुझाव दिया कि वह विदेश सेवा या केंद्रीय सेवाओं में शामिल हों, इसे महिलाओं के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। हालाँकि, वह दृढ़ता से अपने पक्ष में रही और आईएएस में शामिल होने के अपने अधिकार के लिए तर्क दिया। अन्ना राजम ने मद्रास कॉडर से ट्रेनिंग ली। अपने सेवा काल में देश के दो प्रधानमंत्रियों और सात मुख्यमंत्रियों के साथ अन्ना राजम मल्होत्रा ने काम किया।

ज्वाइनिंग के दौरान कई चुनौतियों का करना पड़ा सामना

एक सिविल सेवक के रूप में उनकी प्रारंभिक पोस्टिंग मद्रास राज्य में थी, जहां मुख्यमंत्री सी. राजगोपालाचारी ने एक महिला को जिला उप-कलेक्टर का प्रभार सौंपने में संकोच किया और उसके बजाय सचिवालय में एक पद की पेशकश की। समझौता करने से इनकार करते हुए, घुड़सवारी, राइफल और रिवॉल्वर शूटिंग, और मजिस्ट्रियल शक्तियों में प्रशिक्षित अन्ना मल्होत्रा ने मद्रास राज्य में तिरुपत्तूर के उप कलेक्टर के रूप में तैनात होने पर जोर दिया। इसने उन्हें पहली आईएएस अधिकारी महिला बना दिया। उन्होंने मद्रास और भारत दोनों सरकारों के लिए कई उच्च पद संभाले।

राजीव गांधी के कार्यकाल में हासिल किए बड़े पद

अन्ना ने 1951 बैच में सर्विसेज ज्वाइन की और वो राजीव गांधी और पूर्व गवर्नर सी. राजगोपालाचारी के साथ काम कर चुकी थीं। उन्होंने अपने काम को हमेशा सर्वोपरि रखा। 1982 एशियन गेम्स में उन्होंने राजीव गांधी के नेतृत्व में बहुत अहम भूमिका निभाई थी। दिल्ली में हुए एशियाई खेलों की प्रभारी के तौर पर अन्ना राजम मल्होत्रा ने कार्य किया। साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय में भी अपनी सेवा दी।

थोड़े समय के लिए इंदिरा गांधी से भी मिलीं। न्हावा शेवा पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में, इनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी, जब मुंबई का पहला कम्प्यूटरीकृत पोर्ट बनाया गया था। वह भारत सरकार की सचिव के रूप में काम करने वाली पहली महिला भी थीं। रिटायरमेंट के बाद अन्ना राजम मल्होत्रा ने प्रसिद्ध होटल लीला वेंचर लिमिटेड के डायरेक्टर पद पर कार्य किया।

अपने ही बैचमेट से रचाई थी शादी

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1951 में जब उन्होंने अपनी सर्विस ज्वाइन की तो उनके अपॉइंटमेंट लेटर में लिखा था- ’आपकी शादी होने पर आपको टर्मिनेट किया जा सकता है।’ ऐसा लेटर देखकर सभी परेशान हो सकते हैं।लेकिन अन्ना ने फिर भी अपना काम जी जान से किया। कुछ सालों में नियम बदल गया और उन्हें अपनी जॉब जारी रखने दी गई।अन्ना ने अपने ही बैचमेट आर.एन.मल्होत्रा से शादी कर ली थी।

कई प्रशानिक ओहदों पर किया काम

उन्होंने मद्रास और भारत दोनों सरकारों के लिए कई उच्च पद संभाले। उनकी कुछ उल्लेखनीय भूमिकाओं में शामिल हैंः

अवर सचिव, कृषि;

अवर सचिव और उप सचिव, लोक;

सरकार के सचिव, कृषि विभाग;

उप सचिव, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय;

अतिरिक्त सचिव, कृषि मंत्रालय;

अध्यक्ष, राष्ट्रीय बीज निगम; और

सचिव, भारत सरकार, शिक्षा एवं संस्कृति मंत्रालय।

1989 में मिला था पद्म अवॉर्ड

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

प्रथम महिला आईएएस अधिकारी के रूप में उनकी अनुकरणीय सेवा के लिए 1989 में उन्हें राष्ट्रपति से पद्म भूषण अवॉर्ड मिला था। अन्ना के सामने कई सारी समस्याएं आईं और उन्होंने हमेशा ही मुश्किलों से आगे बढ़कर अपने हौसलों को बुलंद किया। 17 सितंबर, 2018 को 91 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। इस ईमानदार और मेहनती महिला का जीवन ऐसा था जो उस युग की कुछ ही महिलाओं ने अनुभव किया था। उनके उदाहरण ने कई लोगों को आने वाले वर्षों में सार्वजनिक सेवा में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया।



Shreya

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