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Bharat Ki Pahli Miss India: भारत की पहली मिस इंडिया जिनपर पाकिस्तानी जासूस होने का भी लगा था इल्जाम, 5वीं प्रेग्नेंसी के बावजूद मिला खिताब
Bharat Ki Pahli Miss India Esther Victoria Abraham: आज हम आपको भारत की पहली मिस इंडिया एस्थर विक्टोरिया अब्राहम के बारे में बताने जा रहे हैं आइये जानते हैं उन्होंने कैसे 5वीं प्रेग्नेंसी के बावजूद जीता था ये खिताब
Bharat Ki Pahli Miss India Esther Victoria Abraham: पर्दा प्रथाओं से घिरे भारतीय परंपराओं के परिवेश में ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने इसे अपने जुनून के चलते उखाड़ फेंकने के साथ समाज में महिलाओं के पक्ष में एक मजबूत जमीन तैयार की है। देश दुनियां में एक लंबे समय से सौंदर्य प्रतियोगिताओं का चलन चलता चला आ रहा है। इस प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन के बाद ही मॉडल्स को अन्य अंतरराष्ट्रीय ब्यूटी पेजेंट प्रतियोगिता में जाने का मौका मिलता है। अब तक भारत से कई महिलाएं इस खिताब को हासिल कर देश दुनिया में अपना नाम रौशन कर चुकी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने देश की पहली मिस इंडिया प्रतियोगिता की विनर कौन थी? आइए जानते हैं इस लोकप्रिय व्यक्तित्व के बारे में जो इस सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लेने के दौरान 5वीं बार मां बनने वाली थीं।
बंदिशों को तोड़कर मिसाल बनीं थीं दुर्गाबाई कामत से लेकर फातमा बेगम जैसी हस्तियां
सीमित सामाजिक बंधनों के बीच जिंदगी जीने को मजबूर महिलाओं के बीच हिंदी सिनेमा के इतिहास में ऐसी भी कई हस्तियां रहीं, जिन्होंने समाज की सारी बंदिशों को तोड़कर अपनी किस्मत खुद लिखी और दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है। दुर्गाबाई कामत से लेकर फातमा बेगम तक, बॉलीवुड की दुनिया में ऐसी कई शख्सियत रहीं, जिन्होंने समाज को अनदेखा कर अपनी किस्मत को अपनी इच्छाओं के अनुरूप ढाला। दुर्गाबाई कामत एक भारतीय मराठी अभिनेत्री थीं, जो भारतीय सिनेमा की पहली अभिनेत्री थीं। उन्हें भारतीय सिनेमा में पहली महिला अभिनेत्री के रूप में जाना जाता है, जब उन्होंने 1913 में फिल्म मोहिनी भस्मासुर में अभिनय किया था, उस समय जब इसे सम्मानित परिवारों की लड़कियों के लिए एक उपयुक्त पेशा नहीं माना जाता था।
फ़ातिमा बेगम एक भारतीय अभिनेत्री, निर्देशक और पटकथा लेखक थीं। उन्हें अक्सर भारतीय सिनेमा की पहली महिला फिल्म निर्देशक माना जाता है। चार सालों के भीतर, वह कई फिल्मों को लिखने, उत्पादन और निर्देशित करने लगीं। उन्होंने अपने स्वयं के प्रोडक्शन हाउस, फ़ातिमा फिल्म्स की शुरुआत की और 1926 में ‘बुलबुल-ए-पेरिसतान’ का निर्देशन किया। इस प्रकार दुर्गाबाई और फातमा बेगम सामाजिक जंजीरों को तोड़ कर हिम्मत न दिखातीं तो न तो एक भारतीय सिनेमा की पहली एक्ट्रेस बन पाती और न ही दूसरी देश की पहली महिला डायरेक्टर। इसी कड़ी में एक और महिला का नाम आता है। यह थीं एस्थर विक्टोरिया अब्राहम। ये न सिर्फ आजाद भारत की पहली मिस इंडिया थी, बल्कि बॉलीवुड की पहली महिला प्रोड्यूसर के तौर पर भी इनको जाना जाता है।
प्रेग्नेंसी में भी बनीं पहली मिस इंडिया विनर
1947 की बात है, उस समय महिलाओं का घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर काम करना समाज में बेहद गलत माना जाता था। महिलाओं के घर से बाहरी दुनिया में कुछ भी काम करने पर पाबंदी थी। लेकिन इस साहसी महिला एस्थर विक्टोरिया अब्राहम ने सारे सामाजिक तानों बानों को तोड़कर अपनी शर्तों पर खुद की पहचान कायम की।
एस्थर विक्टोरिया अब्राहम का जुनून इस तरह से समझा जा सकता है कि जब एस्थर ने ब्यूटी पेजेंट जीता तो उस समय वह प्रेगनेंट थीं। वह चार बच्चों की मां थीं और पांचवी बार प्रेगनेंट थीं।
इनका जन्म 1916 में कोलकाता में एक बगदादी परिवार में हुआ था। एस्थर के पिता एक यहूदी बिजनसमैन थे, जबकि मां पाकिस्तान की रहने वाली थीं। एस्थर को बड़े होकर उन्हें प्रमिला नाम से लोकप्रियता मिली। फिल्मों में एस्थर ने प्रमिला नाम से ही काम किया था। एस्थर विक्टोरिया अब्राहम ने 1947 में मिस इंडिया पेजेंट जीता था। सबसे खास बात है कि देश में पहली बार मिस इंडिया पेजेंट 1947 में ही हुआ था, जिसे स्थानीय प्रेस द्वारा आयोजित करवाया गया था। एस्थर ने उस पेजेंट में हिस्सा लिया और वह जीत गईं। उस समय एस्थर विक्टोरिया अब्राहम 31 साल की थीं।
एक्टिंग के लिए छोड़ा घर
जुनूनी स्वभाव के चलते एस्थर विक्टोरिया अब्राहम ने एक्टिंग के लिए अपना घर तक छोड़ दिया था और एक थिएटर कंपनी से जुड़ गईं। उस समय वह 17 साल की थीं। ये बचपन से ही बेहद बगावती तेवर की रहीं। एस्थर का झुकाव फिल्मों और थिएटर की ओर था, पर परिवार इसके सख्त खिलाफ था।
एस्थर एक ऐसे यहूदी परिवार से थीं, जहां महिलाओं को तमाम बंदिशों के साथ पर्दे में रखा जाता था। उनके बाहर निकलने तक पर पाबंदी थी। इसीलिए एस्थर यानी प्रमिला के घरवाले नहीं चाहते थे कि उनके घर की कोई भी लड़की या औरत फिल्मों या थिएटर जैसी चीज का हिस्सा बने। इसी वजह से एस्थर यानी प्रमिला ने घरवालों के खिलाफ बगावत कर दी थी।
मोरारजी देसाई के द्वारा पहनाया गया था ताज
पहली बार जब आजाद भारत में मिस इंडिया प्रतियोगिता की शुरुआत हुई। इस साल इस प्रतियोगिता में एस्थर ने भाग लिया और अपनी खूबसूरती के बल पर सारी सुंदरियों को पछाड़ दिया।
ये खिताब अपने नाम पर हासिल करने के बाद एस्थर को यह ताज मोरारजी देसाई के द्वारा पहनाया गया था।
डिमांडिंग मॉडलों में एक थीं एस्थर
एस्थर का जन्म 30 दिसंबर, 1916 में हुआ था। बचपन से उन्हें डांस और एक्टिंग करना बेहद पसंद था। इसके अलावा वो मॉडलिंग में भी काफी एक्टिव रहती थीं। उनकी बेजोड़ खूबसूरती के चलते उस दौर में उन्हें बतौर फैशन आइकन माना जाता था। एस्थर की खूबी थी कि वे अपनी कॉस्ट्यूम खुद ही डिजाइन करती थीं। 30 से 40 के दशक के दौरान एस्थर फैशन और फिल्मी मैगजीन की कवर पेज मॉडल हुआ करती थीं। एस्थर उस वक्त केवल 23 साल की थीं जब उन्होंने सैयद हसन अली से शादी की। जहां यह एस्थर की पहली शादी थी, वहीं सैयद पहले से ही शादीशुदा थे।उस समय एस्थर डिमांडिंग मॉडलों में एक थीं, करियर के पीक पर उन्होंने शादी करने का फैसला लिया। महज 31 वर्ष के इतने छोटे से करियर में उन्होंने करीब 30 फिल्मों में काम कर लिया था।एस्थर ने दो शादियां की थीं। उनकी दूसरी शादी एक्टर सय्यद हसन अली जैदी से हुई थी। एक बार जब एस्थर के पति सय्यद सबकुछ छोड़कर पाकिस्तान जाने लगे तो एक्ट्रेस यहीं रुक गईं। इस तरह दोनों का रिश्ता टूट गया। एस्थर का पहली शादी से एक बच्चा था और दूसरी शादी से उन्हें तीन बच्चे हुए। पति के पाकिस्तान जाने के बाद एस्थर विक्टोरिया अब्राहम बच्चों के साथ यहीं रहने लगीं।
ऐसे मिला था पहली फिल्म का ऑफर
एस्थर के फिल्मी सफर की बात करें तो इनकी फिल्मों में एंट्री एक डांसर के तौर पर हुई थी। कुछ समय तक उन्होंने एक पारसी थिएटर में बतौर डांसर भी नौकरी की थी। बाद में एस्थर ने बॉलीवुड में कदम रखा। एस्थर एक बार बॉम्बे अपनी बहन के यहां घूमने गईं तो वहां डायरेक्टर अर्दशीर ईरानी की नजर उन पर पड़ी और फिल्म का ऑफर दे डाला।
इस तरह एस्थर ने 1935 में फिल्म ’रिटर्न ऑफ द तूफान मेल’ से बतौर हीरोइन शुरुआत की। यही नहीं खूबसूरती से भरपूर इस जुनूनी महिला एस्थर विक्टोरिया ने फिल्मों में खूब स्टंट रोल भी अदा किए हैं। इनमें ’जंगल किंग’, ’उल्टी गंगा’ और ’बिजली’ जैसी फिल्में शामिल हैं।वह करीब 30 फिल्मों में स्टंटवुमन बनीं।
बॉलीवुड की पहली महिला प्रोड्यूसर का भी हासिल किया खिताब
मॉडल, डांसर, स्टंटवुमन जैसे हुनर के अलावा एस्थर ने अपना नाम प्रोड्यूसर के तौर पर भी रौशन किया। उन्होंने सिल्वर प्रोडक्शंस के नाम से अपने प्रोडक्शन बैनर की शुरुआत की। इसके तहत एस्थर यानी प्रमिला ने करीब 16 फिल्मों का निर्माण किया। एस्थर विक्टोरिया अब्राहम पहली ऐसी महिला थीं, जिसने फिल्म प्रोडक्शन का भी काम संभाला था। हालांकि इस मुकाम को हासिल करने के बाद भी इन्हें कई बड़ी मुश्किलें झेलनी पडीं।
देश द्रोह के आरोप में जाना पड़ा था जेल
शोहरत के ऊंचे मुकाम पर पहुंच कर एस्थर विक्टोरिया अब्राहम को अपने माथे पर लगे कलंक का भी सामना करना पड़ा था। इनपर पाकिस्तान की जासूस होने का आरोप लगा था और इस वजह से उन्हें तब जेल भिजवा दिया गया था। असल में एस्थर अकसर ही पाकिस्तान जाया करती थीं। इस वजह से राजनीति में लोगों को इनपर शक होने लगा कि एस्थर पाकिस्तान के लिए जासूसी करती हैं।
इस वजह से एस्थर को काफी समय तक जेल में रहना पड़ा। महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम मोरारजी देसाई ने उन्हें जासूस बताते हुए जेल करवा दी। हालांकि, बाद में साबित हो गया कि वह जासूसी नहीं बल्कि फिल्म प्रमोशन के चलते पाकिस्तान गई थीं।
कैंब्रिज से ग्रैजुएट थी एस्थर
एस्थर सिर्फ एक एक्ट्रेस, स्टंट स्टार, डांसर और प्रोड्यूसर ही नहीं रहीं, बल्कि वह एक टीचर भी थीं। 30 और 40 के दशक में भी एस्थर ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से ग्रैजुएशन किया था। बताया जाता है कि वह फिल्मों में अपने कपड़े और जूलरी भी खुद डिजाइन करती थीं।
इनकी बेटी ने भी जीता मिस इंडिया का टाइटल
मां की तरह ही साल 1967 में एस्थर की बेटी नकि ने भी मिस इंडिया का टाइटल अपने नाम किया। 1962 में प्रमिला के पति अपना सब कुछ छोड़कर पाकिस्तान जाना चाहते थे, लेकिन प्रमिला इसके लिए राजी नहीं थीं। पति नहीं माना तो वो भारत में ही रुक गईं। प्रोडक्शन हाउस बंद होने की कगार में था और प्रमिला के इंडस्ट्री के लोगों के संबंध भी लगभग खत्म होने लगे थे। आखिरकार 1960 में प्रमिला ने आखिरी फिल्म ‘बहाना’ प्रोड्यूस की और 1961 की मुराद के बाद फिल्मों में काम करना भी बंद कर दिया।
फिल्मों से दूर होने के बाद प्रमिला अपने बच्चों के साथ शिवाजी पार्क- दादर वेस्ट में अपने ’प्रमिला निवास’ में रहने लगीं। 45 सालों तक इसी बंगले में रहते हुए 6 अगस्त, 2006 में प्रमिला का 89 साल की उम्र में निधन हो गया। उनकी उपलब्धियों और जूनून के चलते उन्हें आज भी याद किया जाता है।