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Bharat Ki Pahli Swatantra Senani: रानी लक्ष्मीबाई की प्रेरणास्रोत थीं वेलु नचियार, भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने पहली महिला सेना "उडलाइकल" बनाकर अंग्रेजों को दी थी मात
Rani Velu Nachiyar Kon Thi: रानी वेलु नचियार भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी रानी मानी जाती हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संगठित युद्ध लड़ा। आइए जानते हैं इस वीर महिला के बारे में।
Bharat Ki Pahli Swatantra Rani Velu Nachiyar Wikipedia in Hindi(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Rani Velu Nachiyar Wikipedia in Hindi: भारत के इतिहास में त्याग, तपस्या, स्वाभिमान और वीरता से जुड़े अनगिनत जीवंत उदाहरण विद्यमान हैं जो इस देश को पूरी दुनिया के सम्मुख गर्व से सर ऊंचा रखने की प्रेरणा देते हैं। भारत की वीर गाथाओं में दर्ज महिला योद्धा वेलु नचियार (Velu Nachiyar) एक ऐसा व्यक्तित्व हैं जिनकी वीरता आगे अंग्रेजों को भी घुटने टेकने पड़े थे। जिन्होंने न सिर्फ एक महिला शासक के रूप में अपने राज्य की सत्ता को अंग्रेजों से मोर्चा लेते हुए बखूबी दस सालों तक 1730– 1796 संभाला और महिलाओं के बीच देश की रक्षा की लौ जलाकर उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ हथियार चलाने के लिए तैयार किया।
रानी वेलु नचियार भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी रानी मानी जाती हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संगठित युद्ध लड़ा। उन्हें "वीरमंगई (Veeramangai)" (वीर महिला) कहा जाता है। वे दक्षिण भारत के शिवगंगा साम्राज्य (Sivaganga Empire) की रानी थीं और 1780 में उन्होंने अंग्रेजों के किले पर पहला सफल हमला किया, जिससे वे औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष करने वाली पहली भारतीय रानी बनीं।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लगभग 75 साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया और अपनी स्वतंत्रता वापस प्राप्त की। वेलु नचियार ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और अन्य महिला स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का काम किया। उनकी बहादुरी और रणनीति आज भी महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक है। आइए जानते हैं इनके जीवन से जुड़े बहादुरी से भरे हुए किस्सों के बारे में -
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (India's First Freedom Fighter Queen Velu Nachiyar Life Story)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
वेलु नचियार का जन्म 3 जनवरी 1730 को तमिलनाडु के रामनाथपुरम में हुआ था। - वे रामनाथपुरम के राजा चेल्लामुथु सेतुपति और रानी सकलनेयक्की की एकमात्र संतान थीं। उन्हें राजकुमारी के रूप में विशेष सैन्य और शास्त्रीय शिक्षा दी गई थी। उन्होंने घुड़सवारी, तीरंदाजी, युद्ध कौशल, सिलंबम (तमिल मार्शल आर्ट) और तलवारबाजी में महारत हासिल की थी। वे फ्रेंच, अंग्रेजी और उर्दू आदि कई भाषाओं की भी जानकार थीं। उनकी शिक्षा में सैन्य रणनीति और राज्य प्रशासन का विशेष प्रशिक्षण शामिल था।
विवाह और संघर्ष की शुरुआत
उनका विवाह शिवगंगा के राजा मुत्तु वाडुगानाथ पेरिय उडैयाथेवर से हुआ था। शादी के बाद वे शिवगंगा की महारानी बनीं और उन्होंने राज्य प्रशासन में अपनी शिक्षा और युद्ध कौशल के बलपर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंग्रेजों से संघर्ष की शुरुआत
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
1772 में, अंग्रेजों ने मदुरै के नवाब के साथ मिलकर शिवगंगा पर हमला किया। राजा मुत्तु वाडुगानाथ की युद्ध में हत्या कर दी गई, और वेलु नचियार को अपनी बेटी वल्लियाच्ची के साथ जंगलों में शरण लेनी पड़ी। अंग्रेजों ने शिवगंगा पर कब्ज़ा कर लिया, लेकिन रानी ने हार नहीं मानी और जंगल के बीच विपरीत परिस्थितियों में बसर करते हुए इन्होंने अपनी सेना संगठित करने का अभियान शुरू किया।
अंग्रेजों के खिलाफ प्रतिरोध और सैन्य रणनीति
अंग्रेजों के खिलाफ जाकर उन्हें चुनौती देने के लिए अपने सैन्य निर्माण के दौरान रानी वेलु नचियार ने मराठा सरदार हैदर अली (मैसूर के शासक) से इस काम में सहायता मांगी। हैदर अली ने उनकी वीरता से प्रभावित होकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए 5000 सैनिकों की सेना देकर उनकी मदद की। उन्होंने अपने राज्य के वफादार सैनिकों को भी संगठित किया और युद्ध की तैयारी शुरू की।
भारत का पहला आत्मघाती हमला (1780)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
जल्दी ही वो भी दिन आया जब रानी ने अपनी सेना में शामिल कुइली नामक एक महिला योद्धा की मदद से शिवगंगा किले पर हमला किया। इस युद्ध में रानी की मदद के लिए कुइली ने तेल में भीगकर खुद को आग लगा ली और अंग्रेजों के बारूद भंडार में कूद गई, जिससे भयंकर विस्फोट हुआ और अंग्रेजों की सेना कमजोर पड़ गई। इस हमले को भारत का पहला आत्मघाती (सुसाइड) हमला माना जाता है।
शिवगंगा पर पुनः अधिकार 1780 में, वेलु नचियार ने अपने सैन्य कौशल और रणनीति से *शिवगंगा को अंग्रेजों से मुक्त कराने में सफलता हासिल की।
उन्होंने अंग्रेजों को हराकर अपना खोया हुआ राज्य फिर से हासिल किया। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से संधि करने से इनकार कर दिया और स्वतंत्र शासन किया।
वीरता और शासनकाल
शिवगंगा को आज़ाद करने के बाद उन्होंने (1780 – 1790) लगातार 10 वर्षों तक स्वतंत्र शासन किया। इस दौरान वे अपने राज्य को मजबूत करने और सेना को संगठित करने में लगी रहीं। उन्होंने एक *महिला सेना "उडलाइकल" (Udalai Warriors) बनाई, जिसमें विशेष रूप से महिलाओं को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था।
उत्तराधिकार और अंतिम वर्ष
अंग्रेजों को खिलाफ मजबूती से अपने राज्य की सत्ता संभालते हुए 1790 में, रानी वेलु नचियार ने राज्य का शासन अपनी बेटी *वल्लियाच्ची को सौंप दिया।
उन्होंने अपने अंतिम वर्षों में महिलाओं के अधिकारों, सैनिक प्रशिक्षण और राज्य कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया। 25 दिसंबर 1796 को 66 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।
वेलु नचियार की विरासत और सम्मान
(फोटो साभरा- सोशल मीडिया)
भारत की "पहली स्वतंत्रता सेनानी" का सम्मान हासिल करने वाली भारत की इस महिला योद्धा को 2008 में, भारत सरकार ने उनकी याद में डाक टिकट जारी किया। तमिलनाडु सरकार ने उनके सम्मान में कई स्मारकों का निर्माण किया है।
आधुनिक काल में भी महिलाओं के लिए वेलु नचियार साहस, रणनीति और नेतृत्व की मिसाल हैं। उन्होंने महिला होते हुए न केवल अंग्रेजों से लोहा लिया, बल्कि एक संगठित युद्ध जीतकर अपना राज्य वापस लिया। उनकी कहानी भारत के इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय है, जिसे हर भारतीय को जानना चाहिए। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनदेखी नायिका थीं, जिनका साहस और बलिदान हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।