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Bhisam Sahani Birthday: तमस उपन्यास के प्रसिद्ध लेखक भीष्म साहनी, जानते हैँ उनके जीवन के बारें में
Bhisam Sahani Birthday: भीषम सहनी एक प्रमुख भारतीय साहित्यिक थे जिन्होंने कहानी, उपन्यास, नाटक, लेखन और संपादन के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान किए।
Bhisam Sahani Birthday: भीषम सहनी एक प्रमुख भारतीय साहित्यिक थे जिन्होंने कहानी, उपन्यास, नाटक, लेखन और संपादन के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान किए। उनकी प्रसिद्ध किताबों में "तमाशा" और "मानवीय पंक्तियाँ" शामिल हैं।
भीष्म साहनी का जन्म
भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त, 1915 को अविभाजित पंजाब के रावलपिंडी में हुआ था। अपना बचपन और स्कूली शिक्षा उनकी रावलपिंडी से ही हुई थी।
भीष्म साहनी की शिक्षा
स्कूली शिक्षा उन्होंने रावलपिंडी से ग्रहण की। 1958 में, उन्होंने लाहौर के सरकारी कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री और चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
भीष्म साहनी का कार्य
सात वर्ष तक विदेशी भाषा प्रकाशन गृह मास्कों में कार्य किया।
वहां रूसी भाषा का गहन अध्ययन किया एवं अनेक पुस्तकों का हिंदी
में अनुवाद किया। भारत वापस आने के बाद दिल्ली
विश्वविद्यालय से शिक्षा ली।
भीष्म साहनी की कृतियाँ एवं कहानियाँ
भीष्म साहनी की कई महत्वपूर्ण कृतियाँ और कहानियाँ हैं, जो उनके साहित्यिक योगदान को प्रमोट करती हैं। यहाँ उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ और कहानियाँ हैं:
उपन्यास:
1) "तमस" (Tamas): यह उपन्यास 1947 के पाकिस्तान और भारत के बीच हिंसा की कहानी को प्रस्तुत करता है।
2) "मेरी कुंडली" (Meri Kundali): इसमें उन्होंने आत्मविश्वास और जीवन के मुद्दों पर अपने विचार प्रकट किए।
3) "जिन पार" (Jin Par): यह उपन्यास मानव और दिव्य प्रेम की कहानी है।
4) "सात परिंदों की कहानी" (The Tale of Seven Birds): इस कहानी में सात परिंदों के माध्यम से समाज की समस्याओं को प्रस्तुत किया गया है।
कहानियाँ (Short Stories):
1) "तमाशा" (Tamasha): इस कहानी में एक बच्चे के मृत्यु के पीछे के समाज के दोहरे मानसिकता को दिखाया गया है।
2) "बैठक" (Baithak): यह कहानी एक बैठक के दौरान होने वाली गतिविधियों की कहानी है जो उसके साथी बालक की मौत के बाद घटती है।
3) "अदरक की दुकान" (Adrak Ki Dukan): इस कहानी में भीष्म साहनी ने एक अदरक की दुकान के माध्यम से छोटे व्यापारी के जीवन को दर्शाया है।
4) "दरबार" (Darbar): यह कहानी एक राजकीय दरबार के माध्यम से समाज की स्थिति को उजागर करती है।
कविताएँ:
1) "मानवीय पंक्तियाँ" (Manaviya Panktiyan): इसमें उन्होंने मानवता, समाज और जीवन के मुद्दे पर अपने विचार प्रकट किए।
इसके अतिरिक्त पत्र पत्रिकाओं में विचारात्मक लेख भी छपे हैं।
भीष्म साहनी की कहानी लिखने की कला
भीष्म साहनी की कहानियों का रचनात्मक दृष्टिकोण और उनकी कला कई तरीकों से प्रकट होती है। यदि आप भी उनकी तरह कहानी लिखने की कला में माहिर होना चाहते हैं, तो निम्नलिखित कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं:
1) विशेषण और वर्णन: उनकी कहानियों में विविध वर्णन और उपमा का उपयोग किया जाता है, जो कहानी के पात्रों और स्थलों को जीवंत बनाते हैं।
2) सामाजिक संवाद: उनकी कहानियों में सामाजिक संवाद बड़े महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने उन्हें जीवन में घटनाओं को दर्शाने का माध्यम बनाया है।
3) सामाजिक संवाद: उनकी कहानियों में सामाजिक संवाद बड़े महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने उन्हें जीवन में घटनाओं को दर्शाने का माध्यम बनाया है।
4) विचारपूर्ण प्रस्तावना: आपकी कहानी की प्रस्तावना विचारपूर्ण होनी चाहिए, जिससे पाठकों का ध्यान आकर्षित हो सके।
5) संक्षिप्तता: उनकी कहानियाँ अक्सर संक्षिप्त होती हैं लेकिन व्यापक भावनाओं को सही तरीके से प्रकट करती हैं।
6) समाजिक संवाद: उनकी कहानियों में समाजिक संवाद बड़े महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने उन्हें जीवन में घटनाओं को दर्शाने का माध्यम बनाया है।
7) भाषा का प्रयोग: उनकी कहानियों में सरल और सुगम भाषा का प्रयोग किया गया है, जो उपयुक्त भावनाओं को प्रकट करने में मदद करता है।
भीष्म साहनी को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान
1) साहित्य अकादमी पुरस्कार: उन्हें 1969 में हिंदी कथा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था।
2) पद्म श्री: भारत सरकार ने उन्हें 1973 में पद्म श्री से सम्मानित किया था, जो भारतीय साहित्य और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सम्मान है।
3) सहित्य सम्मान: उन्हें भारतीय साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया और उनकी श्रेष्ठता को पहचाना गया।
4) साहित्य अकादमी फेलो: उन्हें साहित्य अकादमी फेलोशिप से भी सम्मानित किया गया, जो उनके साहित्यिक योगदान की प्रशंसा करता है।
5) इन्हें लोटस अवार्ड साल 1975 में afro-asian लेखक के एसोसिएशन के द्वारा प्रदान किया गया।
6) सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड भीष्म साहनी जी को साल 1983 में प्राप्त हुआ।
7) साल 2004 में इन्हें कॉलर ऑफ नेशन अवार्ड प्राप्त हुआ। यह अवार्ड उन्हें रसिया देश में आयोजित इंटरनेशनल थियेटर फेस्टिवल में मिला था।
8) भारतीय पोस्ट डिपार्टमेंट के द्वारा साल 2017 में 31 मई के दिन साहनी जी के नाम पर पोस्टल स्टैंप जारी किया गया था।
यशपाल तथा प्रेमचंद का प्रभाव
भीष्म साहनी के जीवन में यशपाल और प्रेमचंद का प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है। उनके लेखन में इन दोनों लोकप्रिय लेखकों का गहरा प्रभाव दिखता है:
यशपाल: भीष्म साहनी और यशपाल के बीच दोस्ती का एक दृष्टिकोण था। यशपाल के लेखन में समाज के मुद्दों, असमानता, और जातिवाद के खिलाफ उनकी आवश्यकताओं की प्रतिसादना थी। भीष्म साहनी ने यशपाल की इस विचारधारा को अपने लेखन में अपनाया और समाज की समस्याओं को उजागर किया।
प्रेमचंद: प्रेमचंद की कहानियाँ भीष्म साहनी के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्रोत रही हैं। प्रेमचंद की लेखनी में सामाजिक सुधार, मानवता की महत्वपूर्णता, और समाज के कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति का संदेश छिपा होता था। भीष्म साहनी ने भी इन मुद्दों पर अपने लेखन के माध्यम से दिलचस्प दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
यशपाल और प्रेमचंद के विचारों का प्रभाव भीष्म साहनी के लेखन में उनके सामाजिक और नैतिक मूल्यों को मजबूती से प्रकट करता है।
भीष्म साहनी का निधन
भीष्म साहनी का निधन 11 जुलाई 2013 को हुआ था। 1 मई 2017 को, इंडिया पोस्ट ने साहनी की श्रद्धांजलि में एक स्मारक टिकट जारी किया।