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GOOD NEWS: कैंसर का इलाज करा रहे मरीजों की नहीं मरेगी भूख
लखनऊ. कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी दोहरी मार की तरह होती है। इससे कैंसर के सेल्स को कण्ट्रोल करने में मदद तो मिलती है लेकिन साथ इसके सीए इफ़ेक्ट के चलते उनकी भूख मर जाती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। लखनऊ स्थित एनवी आयुर्वेद रिसर्च इंस्टिट्यूट एंड हॉस्पिटल(एनवीएआरआईएच) ने अब ऐसी दवा पर काम करना शुरू किया है, जो कीमोथेरेपी का असर कैंसर के पेशेंट्स की भूख पर नहीं पड़ने देगी। इसके लिए इंस्टिट्यूट लखनऊ के ही संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज(एसजीपीजीआई) की मदद लेगा। यह जानकारी एनवीएआरआईएच के इंचार्ज विद्या गोपाल सी नंदा ने बताया कि शुरुआत परिक्षण में इसके काफी लाभकारी परिणाम मिले हैं, इस दवा के विकसित हो जाने के बाद कैंसर के पेशेंट्स की बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ जाएगी।
भूख की कमी आती इलाज के आड़े
डॉ नंदा ने बताया कि पिछले दिनों एक कांफ्रेंस के दौरान पीजीआई के डॉक्टरों का एक दल एनवीएआरआईएच आया था, उनसे चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि कीमोथेरेपी के दौरान कैंसर के मरीजों की भूख खत्म हो जाती है। इसके चलते उनके शरीर को पोषण नहीं मिलता और भूख की कमी से उनकी कैंसर से लड़ने के लिए जरूरी प्रतिरोधक क्षमता भी खत्म हो जाती है। इससे मरीज की जिन्दगी बचाने के के आसार कम हो जाते हैं। कैंसर की रिसर्च में यह पाया गया है कि कैंसर के मरीज के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो तो उसके बचने के चांसेज बढ़ हैं। डॉ नंदा ने बताया कि उन्होंने प्रयोग के तौर पर पीजीआई के डॉक्टरों को चित्रकादी वटी दी।
SGPGI में निकले अच्छे परिणाम
डॉ नंदा के मुताबिक़ पीजीआई के डॉक्टर्स ने जब अपने कुछ पेशेंट्स को चित्रकादी वटी दी तो इसके चलते उन्हें नियमित भूख लगनी शुरू हुई। इसके चलते उन्होंने अपना नियमित भोजन किया। नियमित भोजन से उनके शरीर में पोषण बाधा और उनके कैंसर से लड़ने की क्षमता भी बढ़ गई। इन परिणामों से उत्साहित होकर एनवीएआरआईएच और पीजीआई के डॉक्टरों ने इस रिसर्च को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
इन पर भी चल रहा है रिसर्च
डॉ नंदा के मुताबिक़ एनवीएआरआईएच को हाल ही में तीन रोगों की दवाओं पर रिसर्च करने की मंजूरी मिली है। इन पर रिसर्च 16 फरवरी से शुरू होना है। इस रिसर्च को शनिवार को एनवीएआरआईएच की एथिकल कमेटी ने भी अपनी मंजूरी दे दी है। एथिकल कमेटी ने डायबिटीज, आर्थाराइटिस और यूरोलिथिसिस पर होने वाली रिसर्च को भी अपनी मंजूरी दी।