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Chanakya Niti: चाणक्य कहते हैं 'जब पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए, तो समझ लीजिए कि देश का राजा ईमानदार है
Chanakya Niti: चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गईं बातें आज के समय में भी बिलकुल सही प्रतीत होतीं हैं ,आइये एक नज़र डालते हैं उनके विचारों पर।
Chanakya Niti: प्राचीन भारतीय विद्वान आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है को उनकी कुटिल राजनीति और सूझ बूझ के लिए आप भी याद किया जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा था 'जब पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए, तो समझ लीजिए कि देश का राजा ईमानदार है।'' आइए आपको उनके अनमोल विचारों के बारे में बताते हैं। यहाँ हम चाणक्य नीति से उनके कुछ विचार लेकर आये हैं।
चाणक्य नीति कोट्स (Chanakya Niti Quotes)
- घर की विवाहिता नारी से ही घर बनता है | लेकिन नारी होना काफी नही | उसमे नारीत्व, मातृत्व का गुण भी होना जरुरी है | पति के प्रति प्रेम भाव भी होना अनिवार्य है |
- मनुष्य के लिए स्वर्ग, नरक कही दूसरे लोक मे नही बल्कि पृथ्वी तल पर ही है |
- मनुष्य को इस संसार मे रहकर कुछ न कुछ करते रहना चाहिए | यह तो मायावी दुनिया है | इसलिए अपने आपको पापों से बचाने के लिए भगवान की पूजा करनी चाहिए |
- याद रहे, जैसे जंगल के एक पेड मे आग लग जाने पर सारा जंगल जलकर राख हो जाता है | उसी प्रकार यदि एक औलाद गलत एवं चरित्रहीन निकल जाए तो पूरा परिवार जलकर राख हो जाता है |
- संधि और एकता होने पर भी सतर्क रहें।
- संध्या का उतना महत्व नही है जितना गुणो का होता है | एक चांद के समक्ष अनेक तारे क्यों?
- ज्ञान बहुत बडी सम्पदा है, लेकिन उसके अनुसार आचरण न हो तो वह ज्ञान व्यर्थ हो जाता है |
- मनुष्य को चाहिए कि वेश्याओं से अनुरक्त न हो वेश्याएं धन प्राप्ति के लिए धन देने वालो को मनोरंजनार्थ हंसाती है और सभी पुरुषो को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है इसलिए इनकी प्रीति क्षणभंगुर होती है |
- कुटिल होना ठीक नही लेकिन सीधे – सादे स्वभाव का होना भी तो ठीक नही है | अन्यथा कोई ठग लेगा
- यह संसार तो एक कडवे वृक्ष के समान है जिसमे दो प्रकार के फल लगते है – मधुर मन और सत्संगति | ये दोनो मानव के लिए लाभकारी हैं जिनके स्वाद पाकर मानव जीवन सफल हो जाता है |
- जन्म के अंधे को दिखाई नही पडता | यह तो उसका दुर्भाग्य है | पिछले जन्म के पापो की ईश्वर प्राप्त सज़ा है | लेकिन अंधापन केवल आंखो का नही होता, बल्कि मन का भी होता है | जिससे वह अविवेकी, अत्याचारी एवं अन्यायी बन जाता है |
- भविष्य चाहे कितना भी सुन्दर क्यो ना हो ? इसकी कल्पना करने से क्या लाभ ? अतीत की चिन्ता भी नही करनी चाहिए | भविष्य तो वर्तमान पर निर्भर करता है | इसलिए तुम जो कर रहे हो उसी का चिंतन करों |
- सब लोग सबसे बैर – भाव नही रखतें | बैर – भाव तो लोग ईर्श्यावश करते है | मूर्ख विद्वानो से जलता है, इसलिए उनसे बैर-भाव रखता है | धनहीनो का धनिको से बैर-भाव रखना भी स्वाभाविक है |
- मनुष्य का मन हमेशा पवित्र होना चाहिए | जिसका अंत:करण अपवित्र है, ऐसा दुष्ट मनुष्य सैकडो बार तीर्थ स्नान क्यों न करे ? शुद्ध नही होता – जैसे मदिरा का बर्तन जलाया भी जाए तो शुद्ध नही होता |
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