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लोकपर्व : सफाई का 'छठ मॉडल' ही बनाएगा स्मार्ट
पटना: लोकपर्व छठ की तैयारी शुरू हो गई है। छठ के लिए छतों पर गेहूं धोकर सुखाए जा रहे हैं। मिट्टी के चूल्हे बाजार में सज गए हैं। बांस के सूप-दउरे की बिनाई में तेजी से हाथ चल रहे हैं। यह सब पूरे बिहार और इससे सटे उत्तर प्रदेश में भी हो रहा है। लेकिन, पटना में एक अलग तैयारी होती है छठ की। वह तैयारी अभी शुरू नहीं हुई है। यह अचानक होती है और बदल जाता है पटना का रंग-रूप। पटना से शिशिर कुमार सिन्हा की रिपोर्ट।
दीपावली के छठे दिन अस्ताचलगामी सूर्य की आराधना और फिर अगली सुबह उगते सूर्य की अर्चना का पर्व होगा। लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय से होती है और पटना इसी दिन से अपना रूप बदला देखता है। इस बार भी देखेगा। यह एक ऐसा मॉडल है, जिसे अगर अंगीकार कर लिया जाए तो नगर निगम पटना को हर दिन साफ रख सकेगा।
श्री श्री छठ पूजा समिति, ऐसे नाम से यहां सैकड़ों समितियां छठ पूजा को लेकर अलग तरह की तैयारी करती है। प्रशासन छठ घाटों की सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी देखता है तो इन समितियों से जुड़े लोग हर घाट तक पहुंचने वाले हर रास्ते की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा लेते हैं। नहाय खाय के साथ कूड़ा हटाने की प्रक्रिया शुरू होती है और अगले दिन खरना के साथ यह तेज हो जाती है।
इसके बाद पहले अध्र्य की सुबह से सड़कों को धो दिया जाता है ताकि व्रतियों को गंदगी से होकर नहीं गुजरना पड़े। कदमकुआं छठ पूजा समिति से जुड़े कन्हाई यादव बताते हैं कि जब वह छोटे थे तो पिताजी यह जिम्मेदारी निभाते थे और अब वह समिति के सदस्यों के साथ साफ-सफाई की जिम्मेदारी निभाते हैं।
सड़कों पर कूड़ा नहीं जमा होने दिया जाता है। निगम के लोगों से ताकीद कर हर वार्ड पार्षद अपने इलाके का कूड़ा हटवाते हैं जबकि पूजा समिति का हर सदस्य झाड़ू बाल्टी उठाकर रास्तों की सफाई में जुट जाता है। सुबह तीन बजे से शाम चार बजे तक यह प्रक्रिया चलती रहती है ताकि व्रती जब अस्ताचलगामी सूर्य की आराधना के लिए निकलें तो गंदगी उनके पैरों से नहीं छुए।
आम लोग भी सुधरे रहते हैं
बिहार में छठ के दौरान अपराध का ग्राफ धड़ाम होकर नीचे गिरा रहता है। अपराधी जब सुधरे रहते हैं तो आम आदमी का सुधरना अस्वाभाविक नहीं। लोग इस हद तक सुधरे होते हैं कि 99.99 फीसदी लोग गुटखा-पान खाकर सड़कों पर नहीं फेंकते हैं। कोई कचरा सड़क पर फेंकता हुआ नहीं दिखता है। कूड़ा उठाने और नालों की सफाई करने वाले भी तन्मयता से काम करते हैं क्योंकि उन्हें भी छठी मइया के प्रकोप का डर रहता है। सार्वजनिक शौचालयों की कमी का बहाना कर जहां-तहां खड़े या बैठने वाले भी इस चार दिवसीय महापर्व में गंदगी फैलाने से बचते हैं।
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इसी समय निगम और आम आदमी चलते हैं साथ
'दरअसल, सफाई वहीं रहती है जहां हम-आप चाहते हों। निगम चाहे और आप नहीं, तो सफाई असंभव है। आप चाहें और निगम नहीं, तो भी असंभव है। छठ में निगम भी सफाई करता है और आम आदमी भी न केवल सफाई चाहता है बल्कि सफाई करता भी है और गंदगी फैलाने वालों पर सख्ती भी करता है। आस्था के नाम पर ही सही जो काम छठ के दौरान होता है, वही अगर आम आदमी हर समय करे तो निगम के संसाधनों का पर्याप्त उपयोग होगा। इससे पटना की छवि जरूर सुधरेगी। वैसे, निगम लगातार इसके लिए प्रयासरत है।
- विशाल आनंद, अपर नगर आयुक्त (सफाई), पटना नगर निगम