Chhath Puja 2022: आज से छठ महापर्व शुरू, जानिए क्या होता है नहाय-खाय और खरना, महत्वपूर्ण बातें

Chhath Puja 2022: चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व आज से शुरू हो गया है। छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य होता है।

Anupma Raj
Report Anupma Raj
Published on: 28 Oct 2022 3:50 AM GMT
Chhath Puja Nahay Khay
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Chhath Puja 2022 (Image: Social Media)

Chhath Puja 2022: चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व आज से शुरू हो गया है। छठ पूजा पूरे देशभर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य होता है। 28 अक्तूबर यानी आज से नहाय खाय के साथ महापर्व की शुरुआत हो गई है। तो आइए जानते हैं नहाय-खाय और खरना के बारे में विस्तार से:

जानें छठ पूजा के बारे में विस्तार से

आज से (28 अक्तूबर) नहाय खाय के साथ महापर्व की शुरुआत हो गई है। छठ पूजा के मौके पर गली-मोहल्ले में छठ के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं। इस बार यानी इस साल 28 अक्तूबर से चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हो रहा है, जो 31 अक्तूबर तक चलेगा। 29 अक्तूबर को खरना, 30 अक्तूबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और उसके अगले दिन सुबह यानी 31 अक्तूबर को उदयगामी यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा। छठ पूजा सूर्य उपासना और छठी माता की उपासना का पर्व है। छठ पूजा के पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। नहाय खाए के दिन व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष एक समय का भोजन करके अपने मन को शुद्ध करते हैं। फिर इस दिन से घर में शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है, और लहसुन-प्याज़ बनाने की मनाही हो जाती है। नहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं लौकी की सब्ज़ी, चने की दाल, चावल और मूली खाती हैं।

नहाय खाए के अगले दिन यानी छठ पूजा में दूसरे दिन को "खरना" के नाम से जाना जाता है। दरअसल खरना का मतलब होता है, शुद्धिकरण। खरना के दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखती हैं और खरना के दिन शाम होने पर गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर व्रती महिलाएं पूजा करने के बाद अपने दिन भर का उपवास खोलती हैं। फिर इस प्रसाद को सभी में बाँट दिया जाता है और फिर इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन प्रसाद बनाने के लिए नए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है।

छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है, जिसकी वजह से इसे "संध्या अर्ध्य" कहा जाता है। फिर इस दिन व्रती महिलाएं भोर में सूर्य निकलने से पहले रात को रखा मिश्री-पानी पीती हैं। फिर उसके बाद अगले दिन अंतिम अर्घ्य देने के बाद ही पानी पीना होता है। संध्या अर्घ्य के दिन विशेष प्रकार का पकवान "ठेकुवा" और मौसमी फल सूर्य देव को चढ़ाए जाते हैं और सूर्य देव को दूध और जल से अर्घ्य दिया जाता है। इस साल 31 अक्टूबर (सोमवार) को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पूजा का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा महापर्व का विशेष महत्व रहता है।



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