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Chhath Puja 2024: बेहद खास होता है संध्या अर्घ्य, आज जरूर करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना

Chhath Puja 2024 Sandhya Arghya: चार दिन चलने वाले छठ के त्योहार में संध्या अर्घ्य का सबसे ज्यादा महत्व होता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है।

Shreya
Written By Shreya
Published on: 7 Nov 2024 10:38 AM IST
कल के लिए.... Chhath Puja 2024: बेहद खास होता है संध्या अर्घ्य, आज जरूर करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना
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Chhath Puja 2024 (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Chhath Puja 2024 Tisra Din: आज 7 नवंबर, 2024 को छठ पूजा का तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य) है। इस दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का नियम होता है। संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) बेहद खास होता है। यह छठ का मुख्य दिन भी माना जाता है। संध्या अर्घ्य के मौके पर सूर्यास्त के समय व्रती नदी या तालाब के किनारे इकट्ठा होते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करते हैं। इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं (Chhath Mein Dubte Hue Surya Ko Argh Kyu Dete Hai)

चार दिन चलने वाले छठ के त्योहार में संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) का सबसे ज्यादा महत्व होता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। हिंदू धर्म में हमेशा उगते सूर्य को ही अर्घ्य दिया जाता है, लेकिन इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि डूबते समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं और इस समय इन्हें अर्घ्य देने से जीवन में चल रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि, संतुलन, शक्ति और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

इन शक्तिशाली मंत्रों का करना चाहिए जाप (Chhath Puja 2024 Mantra)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

ऐसा कहते हैं कि छठ पूजा के तीसरे दिन अगर डूबते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देते समय आप कुछ शक्तिशाली मंत्रों (Chhath Mantra) का जाप कर लें तो इससे पूजा सफल हो जाती है। साथ ही इन मंत्रों से सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करने से उनके आशीर्वाद से व्रति की सभी मनोकामनाएं पूरी जाती हैं।

1- ॐ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकरः।।

2- सूर्याय नम:।।
3-
आदित्याय नम:।।
4- नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
5- ॐ घृणि सूर्याय नम:।।
6- ॐ भास्कराय नम:।।
7- आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते।।
8- ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:।।


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