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Motivational Story: दूसरों की चिंता

Motivational Story: गाँव में किसी के घर रात्रि विश्राम करने रुक गया। सम्पन्न परिवार था। सुबह उठकर वह आगे की यात्रा पर चलने लगा तो घर की सेठानी ने पूछा... बेटा कहाँ जाते हो ?

Sankata Prasad Dwived
Published on: 27 July 2024 9:46 PM IST
Motivational Story ( Social- Media- Photo)
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Motivational Story ( Social- Media- Photo)

Motivational Story: एक माँ थी उसका एक बेटा था। माँ-बेटे बड़े गरीब थे।एक दिन माँ ने बेटे से कहा – बेटा !! यहाँ से बहुत दूर तपोवन में एक बहुत पहुॅचे हुये महात्मा पधारे हैं वे बड़े सिद्ध पुरुष हैं और महाज्ञानी हैं।तुम उनके पास जाओ और पूछो कि हमारे ये दु:ख के दिन और कब तक चलेंगे। इसका अंत कब होगा।बेटा घर से चला। पुराने समय की बात है, यातायात की सुविधा नहीं थी। वह पद यात्रा पर था।चलते-चलते सांझ हो गई। गाँव में किसी के घर रात्रि विश्राम करने रुक गया। सम्पन्न परिवार था। सुबह उठकर वह आगे की यात्रा पर चलने लगा तो घर की सेठानी ने पूछा... बेटा कहाँ जाते हो ?

उसने अपनी यात्रा का कारण सेठानी को बताया। तो सेठानी ने कहा – बेटा एक बात महात्मा से मेरी भी पूछ आना कि..मेरी यह इकलौती बेटी है, वह बोलती नहीं है। गूंगी है। वह कब तक बोलेगी ? तथा इसका विवाह किससे होगा उसने कहा – ठीक है और वह आगे बढ़ गया।रास्ते में उसने एक और पड़ाव डाला। अबकी बार उसने एक संत की कुटिया में पड़ाव डाला था।विश्राम के पश्चात्‌ जब वह चलने लगा तो उस संत ने भी पूछा – कहाँ जा रहे हो ?उसने संत श्री को भी अपनी यात्रा का कारण बताया।संत ने कहा – बेटा! मेरी भी एक समस्या है, उसे भी पूछ लेना। मेरी समस्या यह है कि मुझे साधना करते हुए 50 साल हो गये मगर मुझे अभी तक संतत्व का स्वाद नहीं आया। मुझे कब संतत्व का स्वाद आयेगा, मेरा कल्याण कब होगा। बस इतना सा पूछ लेना।

युवक ने कहा – ठीक है। और संत को प्रणाम करके आगे चल पड़ा।युवक ने एक पड़ाव और डाला। अबकी बार का पड़ाव एक किसान के खेत पर था।रात में चर्चा के दौरान किसान ने उससे कहा मेरे खेत के बीच में एक विशाल वृक्ष है। मैं बहुत परिश्रम और मेहनत करता हूँ, लेकिन उस बड़े वृक्ष के आस-पास दूसरे वृक्ष पनपते नहीं हैं। पता नहीं क्या कारण है।किसान ने युवक से कहा – मेरी भी इस समस्या का समाधान कर लेना। युवक ने स्वीकृति में सिर हिला दिया और सुबह आगे बढ़ गया।अगले दिन वह महात्माजी के चरणों में पहुँच गया। उनके दर्शन किये। दर्शन कर उसने अपने जीवन को धन्य माना।

महात्मा जी से प्रार्थना की कि प्रभु! मेरी कुछ समस्याओं से संबंधित प्रश्न हैं, जिनका मैं समाधान चाहता हूँ। आप आज्ञा दें तो श्री चरणों में निवेदन करूं।मुनि ने कहा – ठीक है !! मगर एक बात का विशेष ख्याल रखना कि तीन प्रश्न से ज्यादा मत पूछना। मैं तुम्हारे किन्हीं भी तीन प्रश्नों का ही समाधान दूंगा। इससे ज्यादा का नहीं।युवक तो बड़े धर्म-संकट में फंस गया। अब क्या करूं, प्रश्न तो चार हैं. तीन कैसे पूछूं। तीन प्रश्न दूसरों के हैं और एक प्रश्न मेरा खुद का है।अब किसका प्रश्न छोड़ दूं। क्या लड़की का प्रश्न छोड़ दूं ? नहीं, यह तो ठीक नहीं है, यह उसकी जिन्दगी का सवाल है। तो क्या महात्मा के प्रश्न को छोड़ दूं ? यह भी नहीं हो सकता।तो क्या किसान का प्रश्न छोड़ दूं ? नहीं, यह भी ठीक नहीं है। बेचारा खून-पसीना एक करता है, तब भी उसे कुछ भी नहीं मिलता है।अंत में काफी उहापोह के बाद उसने तय किया कि वह खुद का प्रश्न नहीं पूछेगा। उसने अपना प्रश्न छोड़ दिया और शेष तीनों प्रश्नों का समाधान लिया और वापिस अपने घर की ओर चल दिया।

रास्ते में सबसे पहले किसान से मुलाकात हुई। किसान से युवक ने कहा – महात्माजी ने कहा है – कि तुम्हारे खेत में जो विशाल वृक्ष है, उसके नीचे चारों तरफ सोने के कलश दबे हुए हैं। इसी कारण से तुम्हारी मेहनत सफल नहीं होती है।किसान ने वहाँ खोदा तो सचमुच सोने के कलश निकले।किसान ने कहा – बेटा यह धन-सम्पदा तेरे कारण से निकली है। इसलिए इसका मालिक भी तू है। और किसान ने वह सारा धन उस युवक को दे दिया। युवक आगे बढ़ा।अब संत के आश्रम आया। संत ने पूछा – मेरे प्रश्न का क्या समाधान बताया है।

युवक ने कहा – स्वामी जी! माफ करना महात्माजी ने कहा है कि आपने अपनी जटाओं में कोई कीमती मणि छुपा रखी है।जब तक आप उस मणि का मोह नहीं छोड़ेंगे, तब तक आपका कल्याण नहीं होगा।साधु ने कहा – बेटा तू ठीक ही कहता है, सच में मैंने एक मणि अपनी जटाओं में छिपा रखी है, और मुझे हर वक्त इसके खो जाने का, चोरी हो जाने का भय बना रहता है।इसलिए मेरा ध्यान भजन-सुमिरण में भी नहीं लगता। ले अब इसे तू ही ले जा, और साधु ने वह मणि उस युवक को दे दी।युवक दोनों चीजों को लेकर फिर आगे बढ़ा। अब वह सेठानी के घर पहुँचा।सेठानी दौड़ी-दौड़ी आई और पूछा – बेटा ! बोल क्‍या कहा है महात्माजी ने।युवक ने कहा कि माँ जी महात्माजी ने कहा है कि तुम्हारी बेटी जिसको देखकर ही बोल पड़ेगी, वही इसका पति होगा।अभी सेठानी और युवक की बात चल ही रही थी कि वह लड़की अन्दर से बाहर आई और उस युवक को देखते ही एकदम से बोल पड़ी।सेठानी ने कहा – बेटा आज से तू इसका पति हुआ। महात्मा की वाणी सच हुई। और उसने अपनी बेटी का विवाह उस युवक से कर दिया।

अब वह युवक धन, मणि और कन्या को साथ लेकर अपने घर पहुँचा।माँ ने पूछा – बेटा तू आ गया। क्या कहा है महात्माजी ने। कब हमें इन दु:खों से मुक्ति मिलेगी।बेटा ने कहा – माँ मुक्ति मिलेगी नहीं, मुक्ति मिल गई। महात्माजी के दर्शन कर मैं धन्य हो गया। उनके तो दर्शन मात्र से ही जीवन के दु:ख, पीड़ाएं और दर्द खो जाते हैं।माँ ने पूछा – तो क्या महात्माजी ने हमारी समस्याओं का समाधान कर दिया है?बेटे ने कहा – हाँ माँ ! मैंने तो अपनी समस्‍या उनसे पूछी ही नहीं और समाधान भी हो गया।माँ ने पूछा वो कैसे ?बेटे ने कहा .. माँ मैंने सबकी समस्या को अपनी समस्या समझा तो मेरी समस्या का समाधान स्वत: हो गया।



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Shalini Rai

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