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मनोरोग का इलाज़ डीप ब्रेन स्टीमुलेशन सर्जरी है संभव
गौरतलब है कि गुमसुम रहना, खाने-पीने में रुचि न दिखाना, किसी से मिलने में कतराना, काम को उत्साह से न करना आदि सभी मनोरोग के ही लक्षण हैं। दिमाग में मौजूद रसायनों का असंतुलन ही इनका कारण बनता है।
Deep Brain Stimulation Surgery: क्या आजकल आप बहुत ज्यादा गुमसुम रहने लगे हैं या किसी भी काम को करने में ज्यादा निराशा होने के साथ भोजन में भी अरुचि है तो संभव है कि आप मनोरोग के शिकार हो सकते हैं। जी हाँ दिमाग में रसायनों का असंतुलन के कारण मनोरोग की समस्या उत्पन्न हो सकती है । बता दें कि इन मनोरोगों का डीबीएस (डीप ब्रेन स्टीमुलेशन) सर्जरी से इलाज संभव है।
गौरतलब है कि गुमसुम रहना, खाने-पीने में रुचि न दिखाना, किसी से मिलने में कतराना, काम को उत्साह से न करना आदि सभी मनोरोग के ही लक्षण हैं। दिमाग में मौजूद रसायनों का असंतुलन ही इनका कारण बनता है। लेकिन इन मनोरोगों का डीबीएस (डीप ब्रेन स्टीमुलेशन) सर्जरी से इलाज संभव माना जाता है।
डिप्रेशन या दिमाग से जुड़ा डिस्ऑर्डर होने के कारण :
बता दें कि मस्तिष्क में मौजूद लिंबिक सर्किट गंभीर और उत्तेजित करने वाले भावों को नियंत्रित करने के साथ इसके निर्जीव या कमजोर होने पर रसायन असंतुलित भी हो जाते हैं। जिस कारण डिप्रेशन या मस्तिष्क से जुड़े डिस्ऑर्डर की समस्या भी पैदा हो जाती है।
डीबीएस सर्जरी क्या होता है?
गौरतलब है कि डीप ब्रेन स्टीमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी तब करते हैं जब दवाएं व्यक्ति पर असर नहीं करतीं। बता दें कि सर्जरी से पहले ईईजी व एमआरआई जैसी जांचें कराकर कारण व स्थिति स्पष्ट की जाती है। इसके लिए सर्जरी के तहत प्रभावित हिस्से पर बारीक चीरा लगाकर इंसुलेटेड तार को इम्लांट करने के बाद तार के सिरे को सिर, गर्दन और कंधे की त्वचा के अंदर से लाते हुए कॉलरबोन (गर्दन), सीने या पेट के पास इंप्लांट किए गए न्यूरोस्टीमुलेटर से भी जोड़ते हैं।
उल्लेखनीय है कि न्यूरोस्टीमुलेटर की मदद से प्रभावित हिस्से में हर दो घंटे में 2 वोल्ट का करंट सर्किट को सक्रिय करने का काम करता है। बता दें कि न्यूरोस्टीमुलेटर आजीवन लगा रहता है। इस सर्जरी 2-3 दिन के बाद ही मरीज स्वस्थ हो जाता है। लेकिन ऐसे में डॉक्टर कुछ सावधानी जैसे जिस जगह पर न्यूरोस्टीमुलेटर लगा है वहां किसी तरह का दबाव न पड़े, की सलाह देते हैं।
इतना ही नहीं सर्जरी के बाद इंफेक्शन या ब्लीडिंग न हो इस कारण विशेषज्ञ समय-समय पर चेकअप करवाने के लिए कहते हैं। गौरतलब है कि पार्किंसन डिजीज, डिस्टोनिया, क्रॉनिक पेन व ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिस्ऑर्डर (मन में अजब-गजब विचार आना व उसे करने की जिद करना) जैसे मनोरोगों का भी इलाज किया जाता है।