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Motivational Story: क्षमा से रिश्तों को गरिमा

Motivational Story: आजकल इसका प्रचलन छूटता जा रहा है। क्षमा भारी-भरकम भावनात्मक अभिव्यक्ति थी कभी आजकल के तुरत-फुरतिया काल में विलुप्त-सी होती जा रही है

Kanchan Singh
Published on: 13 May 2024 1:17 PM IST (Updated on: 13 May 2024 3:18 PM IST)
Motivational Story ( Social Media Photo)
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Motivational Story ( Social Media Photo)

Motivational Story: हम गाहे-बगाहे कहते रहते हैं, सुनते भी रहते हैं। जुमला युग में सॉरी तो वाकई जुमला ही बन गया है। न कहने वाले को कोई ख़ास फर्क पड़ा न सुनाने वाले को ही कोई मतलब की बात लगी। मुआफ एक तहजीब द्योतक शब्द होता था कभी, आजकल इसका प्रचलन छूटता जा रहा है। क्षमा भारी-भरकम भावनात्मक अभिव्यक्ति थी कभी आजकल के तुरत-फुरतिया काल में विलुप्त-सी होती जा रही है। भावनात्मक अभिव्यक्ति तो तब हो जब सम्बन्ध अर्थात‍् समान बंधन वाले भाव-भीने सम्बन्ध बचे हों। सम्बन्ध ही नहीं, रिश्ते भी सिकुड़ती रिश्तेदारियों की भेंट चढ़ गए हैं।

खैर, लौटते हैं क्षमा पर। यह शब्द तभी बोला जाता है जब हम से कोई गलत काम हो जाता है। गलत काम भी कई तरह का हो सकता है- मामूली से टकराने से लेकर भयंकर एक्सीडेंट तक। यह अप शब्द भी हो सकता है या बिना जाने, बिना समझे गुस्से में बोला गया कोई अपमानजनक शब्द अथवा भाव भी हो सकता है। क्षमा के दो प्रकार ही अधिक जाने जाते हैं। पहला, क्षमा याचना करना। दूसरा, क्षमा देना या क्षमा दान।अब बात क्षमा याचना करने की। क्षमा का अर्थ है किसी के द्वारा किये गये अपराध या गलती पर क्षमा या माफी मांगना यानी अपनी गलती स्वीकार करना यथा मुंशी प्रेमचंद की कहानियों से- मेरा जो कुछ कहा-सुना हो, क्षमा करो(ईर्ष्या कथा) व इस धृष्टता को क्षमा कीजिएगा। (उद्धार) तथा क्षमा कीजिएगा।


बिना बोले भी क्षमा मांगी जा सकती है। कई बार मौन रहकर मांगी क्षमा ज्यादा कारगर सिद्ध होती है। मौन क्षमा याचना भी कई तरह की है| जैसे अपने से बड़े के सामने हाथ जोड़ कर, नजर नीची कर खड़े रहना तब तक कि सामने वाला क्षमा स्वीकार न कर ले। वहीं हमउम्र दोस्त, पति-पत्नी अथवा प्रेमिका के मामले में, हाथ को प्यार से थामकर विनम्र भाव शब्दों से ज्यादा असर कर सकते हैं। गले लग कर भी क्षमा याचना हो सकती है। गलती होने पर अगर मिलने का समय नहीं मिल रहा हो तो तुरंत मेसेज भेजें फिर जितना जल्द हो सके मिलकर भी क्षमा मांगें। कई बार व्यक्ति इतना आहत होता है कि फोन उठाता ही नहीं ऐसे में किसी अन्य के फोन से कॉल करें या किसी मित्र को उसके पास भेजकर बात करवाने को कहें।


कई बार आहत उम्र या सम्बन्ध में बड़े व्यक्ति यथा पिता, चाचा या ससुर से कान पकड़कर क्षमा मांगना बहुत काम आता है। एक अन्य प्रचलन अपने से बड़े के बहुत अधिक आहत होने पर पांव पकड़ कर क्षमा-याचना का है। कई बार अगर व्यक्ति ज्यादा ही आहत है तो उपरोक्त प्रयोग फेल हो जाने पर अनशन का सहारा लिया जा सकता है। हम में से अधिकतर लोग क्षमा कर देते हैं और भूल भी जाते हैं लेकिन हम चाहते कि दूसरा व्यक्ति ये न भूले कि हमने उसे क्षमा किया है।अनेक बार क्षमा न मांगना बहुत नुकसानदायक हो सकता है जैसे महाभारत युद्ध द्रोपदी द्वारा दुर्योधन को अंधे का पुत्र अंधा होना कहने से हुआ माना जाता है। गलती, अपमान तब अधिक दुखदाई हो जाते हैं जब कोई अपना ऐसा कर दे। बाबा तुलसी की प्रसिद्ध चौपाई है। प्रसंग सती द्वारा पिता दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव के अनादर पर क्रोधित हो आत्मदाह से पूर्व का है :-

जद्यपि जग दारुन दु:ख नाना।

सब तें कठिन जाति अवमाना॥

समुझि सो सतिहि भयउ अति क्रोधा।

बहु बिधि जननीं कीन्ह प्रबोधा॥

क्षमा में देरी सम्बन्ध ख़त्म कर सकती है। समय पर की गई क्षमा याचना ऐसी है जैसे पांव में लगे कांटे को सूई से निकालना। क्षमा याचना करने वाले से क्षमा दान करने वाला बड़ा माना जाता है। संत कवि रहीम का बहुत ही प्रचलित दोहा है


छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात।

का रहीम हरी का घट्यो, जो भृगु मारी लात॥

इंसान की नासमझी ही उससे गलतियां कराती है, कुछ इन्सान अपनी गलती से सीखते हैं और कुछ उन गलतियों को बार-बार दोहराते रहते हैं। इंसान वही श्रेष्ठ होता हैं जब अपनी गलतियों का एहसास करके क्षमा मांगता है, लेकिन जो दूसरों की गलतियों को भुलाकर उसे क्षमा कर देता हैं वह इन्सान और भी श्रेष्ठ होता हैं। क्षमा करें, सॉरी भी आपको हमेशा वही इंसान बोलता है, जिसके लिए आप उसकी ईगो और सेल्फ रेस्पेक्ट से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं ।कहते हैं कि इंसान गलतियों का पुतला है। अगर ऐसा है तो जाहिर है गलतियां बार-बार होंगी। तो इस मर्ज का इलाज है पश्चाताप। पश्चाताप के लिए आमतौर पर कोई अनुचित कार्य करने के बाद मन में होने वाला पछतावा; ग्लानि; खेद; अनुताप; दुख या सही कर्तव्य न निभाने पर अपराध बोध की स्वीकृति होती है; अपराध को न दोहराने का वचन या संकल्प भी। नुक्सान के लिए क्षतिपूर्ति करने का प्रयास, या जहां संभव हो किसी तरह से अनुचित कार्य या चूक के हानिकारक प्रभावों को उलटने का प्रयास। पश्चाताप की अग्नि में जलकर व्यक्ति विशुद्ध सोना बन कर निखरता है।



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Shalini Rai

Shalini Rai

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